बॉलीवुड एक्टर अभय देओल और डायरेक्टर नंदिता दास की तरह ही नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी गोरेपन की क्रीम के प्रचार और विज्ञापन के खिलाफ हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए बाबूमोशाय बंदूकबाज के एक्टर ने कहा- गोरेपन की क्रीम का प्रचार करना शर्मनाक है और सेलेब्रिटीज को इससे दूर रहना चाहए। उन्होंने आगे कहा- गोरेपन की क्रीम को प्रमोट करना बेशर्मी है। स्टार्स को इसे एंडोर्स करना बंद करना चाहिए। मैं ऐसा कहता रहूंगा और मैं हमेशा कहता हूं कि लोगों को खुद पर शर्मा आनी चाहिए कि वो फेयरनेस क्रीम को एंडोर्स करते हैं।
इससे पहले जुलाई में नवाजुद्दीन ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्विट कर कहा था- धन्यवाद मुझे अहसास दिलाने के लिए कि मैं किसी फेयर और हैंडसम के साथ मेरी जोड़ी नहीं बनाई जा सकती क्योंकि मैं डार्क और अच्छा दिखने वाला नहीं हूं लेकिन मैंने कभी उसपर ध्यान नहीं दिया। अपने ट्विट के जरिए नवाज ने इंडस्ट्री के एक कास्टिंग डायरेक्टर पर निशाना साधा था जिसने उनपर रेसिस्ट टिप्पणी की थी। एक्टार ने पीटीआई से कहा- आप जो भी महसूस करते हैं हमेशा उसे जाहिर करें और अपने विचारों को सामने रखने से डरें नहीं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि परिस्थिति कितनी मुश्किल होती है। और मुझे लगता है कि मैंने उस जगह को हासिल कर लिया है जहां अगर मुझे कुछ गलत लगता है तो मैं अपने विचार रख सकता हूं।
Thank U 4 making me realise dat I cannot b paired along wid d fair & handsome bcz I m dark & not good looking, but I never focus on that.
— Nawazuddin Siddiqui (@Nawazuddin_S) July 17, 2017
ऐसा माना जा रहा था कि नवाजुद्दीन ने कास्टिंग डायरेक्टर संजय चौहान पर निशाना साधा है जिन्होंने इसी तरह का बयान डेक्कन क्रॉनिकल को दिए इंटरव्यू में कहा था। हालांकि बाद में चौहान ने पीटीआई से बात करते हुए कहा था- मुझे पूरी तरह से गलत कोट किया गया। मैने केवल इतना कहा था कि फिल्म में नवाज की तरह ही अच्छे एक्टर्स चाहिए। मुझे नहीं पता कि कहां से फेयर एंड हैंडसम जैसे शब्द आ गए। लेकिन मैंने कभी ऐसा नहीं कहा।
बदलापुर, बजरंगी भाईजान और रईस जैसी कई कर्मिशयल हिट फिल्में दे चुके 43 वर्षीय अभिनेता का कहना है कि उनकी छोटे बजट की फिल्में ही हैं जो उन्हें एक कलाकार के तौर पर अपने विभन्न रूपों को बाहर लाने के लिए उत्साहित करती हैं। नवाजुद्दीन ने पीटीआई से कहा- ‘मैं हमेशा विशेष प्रवृत्ति की फिल्मों का चयन नहीं कर पाता। मांझी और रमन राघव 2.0 जैसी मेरी सभी एकल फिल्में अलग तरह की थीं। वे सामान्य बॉलीवुड फिल्में नहीं थीं, जो अधिकतर दर्शकों की पसंद होती हैं।’