Amavas Movie Review and Rating: इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्म ‘अमावस’ की सबसे खास बात यह है कि अभिनेत्री नरगिस फाकरी लंबे समय बाद किसी फिल्म में हीरोइन की भूमिका में नजर आई हैं। हालांकि हीरोइन का यह किरदार उन्हें उनकी अभिनय प्रतिभा की वजह से नहीं, बल्कि इसलिए मिला है क्योंकि फिल्म के निर्माता व हीरो सचिन जोशी को अपनी फिल्म के लिए एक ऐसी हीरोइन की तलाश थी जिसका थोड़ा-बहुत नाम हो। इसी वजह से नरगिस की लॉटरी लग गई और उन्हें यह ह़ॉरर फिल्म मिल गई।

फिल्म की कहानी कुछ यूं है कि करण अजमेरा (सचिन जोशी) नाम का मालदार शख्स अपनी प्रेमिका आहाना (नरगिस फाकरी) के साथ पेरिस जाने की योजना बना रहा है, लेकिन प्रेमिका उसके समर हाउस में वीकेंड मनाने जाना चाहती है। करण आहाना को लेकर अपने विशाल समर हाउस में जाता है, लेकिन वहां पहुंचने पर आहाना को पता चलता है कि वह एक भुतहा घर है, जहां एक भूतनी रहती है। ये भूतनी कोई और नहीं, करण की पूर्व प्रेमिका माया (नवनीत कौर ढिल्लों) है। क्या था करण और माया का रिश्ता और माया भूतनी क्यों बनी, यह बताने में निर्देशक को डेढ़ घंटे लग गए। इसी बीच नाच-गाना भी हुआ, जिसकी फिल्म में कोई जरूरत नहीं थी।

सचिन जोशी की बात करें तो वे जबर्दस्ती हीरो बनने पर तुले हुए हैं, जबकि उनके चेहरे पर किसी तरह का कोई भाव नजर नहीं आता। हालांकि उन्होंने फिल्म में पैसा लगाया है तो वे जो चाहे बन सकते हैं। नरगिस फाकरी की अदाकारी भी बनावटी सी लगती है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बहुत अच्छी है। नवनीत कौर बहुत कम समय के लिए फिल्म में हैं। उनका सबसे अच्छा अभिनय उस वक्त का है जब वे मुखौटा पहनकर अपने हॉस्टल के वॉर्डन को डराती है। विवान भटेना फिल्म में खलनायक और कुछ समय के लिए भूत भी बने हैं, लेकिन वे दर्शकों को डरा नहीं पाते। मोना सिंह मनोवैज्ञानिक तो नहीं हैं, लेकिन उनका किरदार कुछ-कुछ वैसा ही है। अली असगर ने थोड़ी देर के लिए हंसाया है, लेकिन आखिरकार वे भी भूत के शिकार हो गए। वैसे हिंदी में बेहतर मौलिक हॉरर फिल्में कम ही बनती हैं इसलिए ‘अमावस’ से ज्यादा उम्मीद लगाना बेकार है।

फिल्म समीक्षा: अमावस
निर्देशक– भूषण पटेल
कलाकार– सचिन जोशी, नरगिस फाकरी, नवनीत कौर ढिल्लों, मोना सिंह, अली असगर, विवान भटेना