CineGram: सचिन पिलगांवकर और साधना सिंह की फिल्म ‘नदिया के पार’ तो आप सबने देखी होगी, गांव की पृष्ठभूमि पर बनी ये फिल्म गुंजा और चन्दन की प्यारी सी लव स्टोरी पर आधारित है। इस फिल्म में आपने देखा है कि ओमकार (इन्द्र ठाकुर) की शादी एक वैद्य की बड़ी बेटी रूपा (मिताली) के साथ होती है और वो शादीशुदा जिंदगी की प्यारी सी शुरुआत करते हैं। घर में सब अच्छा चल रहा होता है और शादी के कुछ महीनों बाद रूपा प्रेग्नेंट हो जाती है। डिलीवरी के वक्त उसकी देखभाल और मदद के लिए रूपा की छोटी बहन गुंजा (साधना सिंह) उसके साथ रहने के लिए आती है। इसी दौरान उसे ओमकार के छोटे भाई चन्दन (सचिन पिलगांवकर) से प्यार हो जाता है। फिल्म में आगे दिखाते हैं कि रूपा की मौत हो जाती है और उसके घर वाले छोटे से बच्चे की देखभाल के लिए चंदा की शादी का प्रस्ताव ओमकार के लिए रखते हैं, गुंजा को शादी के दिन पता चलता है कि उसकी शादी जिससे हो रही है वो चन्दन नहीं बल्कि ओमकार है। वो टूट जाती है और फेरे से पहले गुंजा बेहोश हो जाती है। चन्दन के बड़े भाई ओमकार को सच का पता चल जाता है कि गुंजा उसके छोटे भाई चन्दन से प्यार करती है। ओमकार ये शादी तोड़ देता है और कहता है कि गुंजा मेरे बच्चे की मां नहीं मौसी बनकर भी अच्छे से देखभाल कर सकती है। इसके बाद हंसी-खुशी चन्दन और गुंजा की शादी होती है और दोनों खुशहाल जिंदगी बिताते हैं। मगर ये चन्दन और गुंजा की असली कहानी नहीं है। उनकी असल कहानी का अंत तो इतना दर्दनाक है कि उसे जानकर आपका दिल टूट जाएगा।
‘कोहबर की शर्त’ के शुरुआती 2 खंड पर बनी ‘नदिया के पार’
नदिया के पार फ़िल्म की कहानी मशहूर लेखक और उपन्यासकार केशवप्रसाद मिश्र जी की किताब ‘कोहबर की शर्त’ पर बनाई गई थी। इस उपन्यास में पूर्वी उत्तर प्रदेश के दो गाँवो की संस्कृति और रहन-सहन को बहुत ही संवेदना और आत्मीयता के साथ चित्रित किया गया है। कोहबर की शर्त उपन्यास चार खंडों में है जबकि इस उपन्यास पर जब फिल्म बनाई गई तो सिर्फ शुरू के दो खंडों पर ही बनाई गई।
बेहद दर्दनाक है उपन्यास ‘कोहबर की शर्त’ का अंत
राजकमल प्रकाशन द्वारा साल 1965 में प्रकाशित इस उपन्यास की कहानी का अंत इतना सुखद नहीं है जैसा फिल्म नदिया के पार में दिखाया गया है। फ़िल्म के अंत में जहाँ नायक चन्दन और नायिका गुंजा मिल जाते हैं वहीं जो मूल उपन्यास है उसमें गुंजा की शादी चन्दन के बड़े भाई ओमकार से ही होती है। गुंजा, चन्दन की भाभी बनकर उसके घर आती है। बाद में गांव में चेचक की महामारी फैल जाती है, जिसकी चपेट में गुंजा का पति और चन्दन का बड़ा भाई ओमकार भी आता है और इस बीमारी से उसकी भी मौत हो जाती है। गुंजा के पिता यानि कि वैद्य जी गुंजा को अपने साथ लेकर चले जाते हैं कुछ वक्त बाद गुंजा लौट आती है वो, वो चन्दन से शादी का प्रस्ताव रखती है मगर वो मना कर देता है। गुंजा टूट जाती है और खूब बीमार हो जाती है, आगे उसकी भी मौत हो जाती है। चन्दन गुंजा का अंतिम संस्कार करते वक्त टूट जाता है, उसे सब पुरानी बातें याद आती हैं। ये उपन्यास बेहद दर्दनाक अंत के साथ खत्म होता है।
लेखक केशव प्रसाद ने पहले नहीं दी थी फिल्म बनाने की इजाजत
फिल्म की कहानी बदलने से पहले फिल्ममेकर ताराचंद बड़जात्या जी ने लेखक केशव प्रसाद जी से इसकी इजाजत मांगी थी। हालांकि लेखक ने पहले उपन्यास पर फिल्म बनाने की इजाजत देने से मना कर दिया था। उनका कहना था कि किसी भी रचनाकार के लिये उसकी रचना उसके अपने बच्चे की तरह होती है। उन्हें डर का था कि फिल्ममेकर उनकी कहानी को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर बनाएंगे और इस कहानी को बिना आत्मीयता से समझे कोई फिल्म नहीं बना सकता। लेकिन जब ताराचंद जी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि बिना उनकी इजाजत के फिल्म में वो कोई बदलाव नहीं करेंगे केशव प्रसाद
‘बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट हुई थी ‘नदिया के पार’
साल 1982 में रिलीज हुई ‘नदिया के पार’ में साधना सिंह और सचिन पिलगांवकर ने अभिनय किया था। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया था। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 5.4 करोड़ रुपये की कमाई की थी। नदिया के पार ने अपने बजट से 30 गुना ज्यादा कमाई की और बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड अपने नाम किए।
कैसे मिली थी साधना सिंह को ‘नदिया के पार’?
साधना सिंह को फिल्में देखने का बहुत शौक था एक बार वो अपनी बहन के साथ एक फिल्म की शूटिंग देखने गई थीं। वहां एक फिल्ममेकर की निगाह उनपर पड़ी और उन्होंने उसे हीरोइन बनाने का सोच लिया। यूपी के कानपुर के छोटे से गांव की रहने वाली साधना ने फिल्म नदिया के पार साइन की और वो इतनी पॉपुलर हुईं कि लोग आज भी उन्हें गुंजा नाम से ही जानते हैं। इस फिल्म की रिलीज के बाद गुंजा इतनी पॉपुलर हो गईं कि लोग अपनी बच्चियों का नाम गुंजा रखने लगे थे।
‘हम आपके हैं कौन?’ ने भी बॉक्स ऑफिस पर रचा इतिहास
ताराचंद बड़जात्या के पोते सूरज बड़जात्या ने 1994 में सलमान खान और माधुरी दीक्षित को लेकर फिल्म ‘हम आपके हैं कौन?’ बनाई। ये फिल्म नदिया के पार की रीमेक थी और इसे नए समय के हिसाब से और शहरी जिंदगी पर ढाला गया था। ये फिल्म भी खूब पसंद की गई और बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही। सलमान खान और माधुरी दीक्षित की फ़िल्म ‘हम आपके हैं कौन’ ने बॉक्स ऑफ़िस पर 128 करोड़ रुपये की शानदार कमाई की थी। फिल्म ने भारत में 117 करोड़ और ओवरसीज मार्केट में 200 मिलियन रुपये की कमाई की थी। ‘नदिया के पार’ 1 जनवरी 1982 को रिलीज हुई थी, फिल्म को रिलीज हुए 43 साल हो चुके हैं, अब फिल्म की गुंजा यानी कि साधना सिंह का लुक काफी बदल चुका है। साधना सिंह अब कैसी दिखती हैं और अभी क्या कर रही हैं, इन सब बातों को जानने के लिए यहां क्लिक करें।