विश्व प्रसिद्ध सरोद वादक अमजद अली खान ने कहा है कि संगीतज्ञ होना अपने आप में एक वरदान है क्योंकि आपको किसी और के प्रति नहीं बल्कि स्वयं के प्रति जवाबदेह बनना पड़ता है। ऐसे में चाहे आप किसी भी धर्म या सम्प्रदाय से क्यों न हो, संगीत हमेशा से आध्यात्म का मार्ग रहा है।अमजद अली खान ने एक साक्षात्कार में कहा कि संगीतज्ञ होना अपने आप में एक वरदान है क्योंकि आपको किसी और के प्रति नहीं बल्कि स्वयं के प्रति जवाबदेह बनना पड़ता है। जब आप स्टेज पर होते हैं तब उन चंद घंटों के दौरान आप अलौकिक दुनिया में चले जाते हैं.. कभी-कभी यह अविश्वसनीय भी लगता है। ऐसा समय भी आता है जब आपको अनुभव होता है कि उस दिन स्टेज पर कुछ विशेष घटित हो रहा है।जाने माने सरोद वादक ने कहा कि इस पेशे से जुड़ना ही वरदान है जिसे करते हुए आपके अंदर अलग ऊर्जा का संचार होता है। अब संगीत कोई बहस का मुद्दा नहीं हो सकता। संगीत अपने आप में सर्वोच्च शक्ति के साथ जुड़ने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम होता है। ‘चाहे आप किसी भी धर्म या सम्प्रदाय से हो, संगीत हमेशा से आध्यात्म का मार्ग रहा है।’
यह पूछे जाने पर कि इन दिनों ट्रैलेंट शो के माध्यम से काफी संख्या में फनकार, संगीतकार आ रहे हैं लेकिन गुणवत्ता की कमी हैं जबकि पहले के संगीतज्ञ और गीतकार आज भी याद किये जाते हैं, अमजद अली खान ने कहा, ‘आप श्रोताओं पर कलाकारों को थोप नहीं सकते। महान संगीतज्ञ या कलाकार होना एक बात है और एक कलाकार के रूप में लोगों का प्रेम हासिल करना एक अलग बात है।’उन्होंने कहा कि स्काटिश चैम्बर आर्केस्ट्रा के साथ और ब्र्रिटेन के डेविड मर्फी के साथ सरोद कंसर्ट पर काम करना एक अलग अनुभव रहा है। सरोद को हम ‘समागम’ आर्केस्ट्रा के जरिये देश दुनिया के समक्ष पेश करना चाहते हैं।
पद्म भूषण से सम्मानित सरोद वादक अमजद अली खान ने कहा कि एक मनुष्य के तौर पर मानवता की उपलब्धियों को देखकर गर्व महसूस होता है। ‘हालांकि मेरा मानना है कि ‘बैकअप प्लान’ के तहत आज कलाकारों के लिए शैक्षणिक योग्यता महत्वपूर्ण हो गई है।’ उन्होंने कहा कि सृजनात्मक क्षेत्र में कोई विशेष फार्मूला या उपाए काम नहीं करता। मेरी इच्छा है कि संगीत बच्चों को एक सूत्र में बांधने का सबसे सशक्त माध्यम बने। यह थ्योरी से ज्यादा व्यवहारिक होना चाहिए।खान ने कहा कि संगीत के कई आयाम होते हैं जो संवाद, मंत्रोच्चार, गायन, याद करने से संबंधित होता है। यह मौखिक गायन से लेकर वाद्य यंत्र वादन तक जुड़ा होता है। हालांकि इन सबको महसूस करने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि हम संगीत और समागम कंसर्ट के जरिये मोतियाबिंद से प्रभावित बच्चों के लिए कुछ करना चाहते हैं।

