कोलकाता रेप केस की भयानक घटना को लेकर देशभर में लोग आहत हैं। कोलकाता में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है तो वहीं तमाम सेलेब्स इसे लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। बॉलीवुड एक्टर आयुष्मान खुराना ने अपनी कविका के जरिए इस घटना पर अफसोस और इस घटना का विरोध किया। अब मुनव्वर फारूकी ने भी एक कविता शेयर की है, जिसमें वो बेटी की सुरक्षा को लेकर बात करते हुए नजर आ रहे हैं।
मुनव्वर ने इंस्टाग्राम पर 12 सेकेंड का वीडियो शेयर किया है। जिसका कैप्शन उन्होंने लिखा है, “मुबारक हो बेटी हुई है।” जो हम सोशल मीडिया पर देख रहे हैं ये तो रिपोर्टेड है, सोचो जो रिपोर्ट नहीं होता? सोचो टेकनोलॉजी इतना सब अचीव करन के बाद हम कहां है? सियासत को एक दूसरे से लड़ने से या धर्म के नाम लड़ने से फुरसत होती तो शायद 78 साल के बाद भी ये हाल न होता।”
मुनव्वर की कविता कुछ इस तरह है-
वो जलती रही है इम्तेहानों से, गंदी नजर वाले मेहमानों से।
वो जलती आई है जमानों से, वो आज फिर से डर के घर आई है दुकानों से।
कोई कहता है लक्ष्मी है तो कोई कहता है बरकत हुई है,
कोई कहता है बोझ उसको तो कोई कहता है मुबारक हो आपके घर बेटी हुई है।
रात बहुत थी, कपड़े ऐसे पहने थे, अकेले निकली थी, ये कैसा तर्क है?
वो जानवर है,जानवर है, उम्र, वक्त, कपड़े उसके लिए क्या फर्क है?
जो बैठती थी मां-बाप की पलकों पे, वो खून में कहीं लेटी हुई है।
मुबारक हो आपके घर बेटी हुई है।”
आयुष्मान ने भी लिखी कविता
मुनव्वर के अलावा आयुष्मान खुराना ने भी इस मामले में कविता लिखी है। उन्होंने भी इंस्टाग्राम पर अपना एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो ये कविता बोल रहे हैं। उनकी कविता पर लोगों ने कई रील भी बनाई हैं।
मैं भी बिना कुंडी लगाकर सोती, काश मैं भी लड़का होती।
झल्ली बनकर दौड़ती उड़ती सारी रात दोस्तों के साथ फिरती,
काश मैं भी लड़की होती।
कहते सुना है सबको कि लड़की को पढ़ाओ-लिखाओ सशक्त बनाओ।
और जब पढ़-लिखकर डॉक्टर बनती तो मेरी मां ना खोती उसकी आंखों का मोती,
काश मैं भी लड़का होती।
36 घंटे का कार्य दुश्वार हुआ, बहिष्कार हुआ, बलात्कार हुआ, पुरुष के वहशीपन से साक्षात्कार हुआ।
काश! उन पुरुषों में भी थोड़े से स्त्रीपन की कोमलता होती।
काश मैं ही लड़का होती।
कहते हैं सीसीटीवी नहीं था, होता भी तो क्या होता।
एक पुरुष सुरक्षाकर्मी जो उस पर नजर रखता, उसकी नजर भी कितनी पाक होती?
काश में एक लड़का होती।
अगर मैं एक लड़का होती शायद आज मैं भी जिंदा होती।