Mrs Chatterjee Vs Norway: बॉलीवुड एक्ट्रेस रानी मुखर्जी का कहना है कि फिल्मों के माध्यम से विश्व स्तर पर भारतीय महिलाओं का खूबसूरत ढंग से चित्रण काफी महत्त्वपूर्ण है ताकि दुनियाभर के दर्शक भारतीय महिलाओं के जीवन के विभिन्न पहलुओं से रूबरू हो सकें। रानी मुखर्जी ने कहा, ‘ मैं अपने जीवनकाल में केवल रानी हो सकती हूं। लेकिन, फिल्मों में अपने किरदारों के माध्यम से मैं कई अलग-अलग भारतीय महिलाओं को जी सकती हूं।’
कुछ कुछ होता है, हम तुम, ब्लैक और मर्दानी जैसी फिल्मों में अहम भूमिका निभाने वाली रानी ने कहा कि उन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए हमेशा भारतीय महिलाओं के जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने का प्रयास किया है। रानी ने अपनी आगामी फिल्म मिसेज चटर्जी वर्सेज नार्वे को लेकर खास बातचीत में कहा, ‘मेरे लिए ग्लोबल दर्शकों के समक्ष भारतीय महिलाओं का खूबसूरत ढंग से चित्रण बहुत महत्त्वपूर्ण है, ताकि जब कोई भारतीय महिला के किरदार वाली कोई भारतीय फिल्म देखे तो उसे देखने के बाद वह कहे, वाह! यह है भारतीय महिला।’
मिसेज चटर्जी वर्सेज नार्वे में रानी ने एक NRI महिला की भूमिका निभाई है, जो अपने बच्चे के लिए एक देश के साथ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ती है। फिल्म का निर्देशन आशिमा चिब्बर ने किया है। फिल्म की पटकथा प्रवासी भारतीय (एनआरआइ) युगल सागरिका और अनुरूप भट्टाचार्य के जीवन की 2011 की सच्ची कहानी पर आधारित है। फिल्म में अनिर्बान भट्टाचार्य, जिम सर्भ और नीना गुप्ता भी अहम भूमिका में नजर आएंगे।
रानी ने कहा कि एक कलाकार के रूप में उनके लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि वे अपने किरदारों को पूरी लगन और मेहनत से निभाएं। रानी (44) ने कहा, ‘मैं अपने जीवनकाल में केवल रानी हो सकती हूं। लेकिन, फिल्मों में अपने किरदारों के माध्यम से मैं कई अलग-अलग भारतीय महिलाओं को जी सकती हूं। जैसे, मैं कुछ कुछ होता है की टीना, हिचकी की नैना माथुर, मर्दानी की शिवानी शिवाजी राय, मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे की मिसेज चटर्जी, हम तुम की रिया, युवा की शशि, ब्लैक की मिशेल, बंटी और बबली की विम्मी को जी सकती हूं। इसलिए, फिल्मों के जरिए मुझे बहुत सारे किरदार निभाने को मिलते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘ मेरे लिए भारतीय महिलाओं को खूबसूरत ढंग से पर्दे पर चित्रण महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि मैं एक भारतीय महिला हूं। मुझे लगता है कि भारतीय महिलाएं दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं, क्योंकि वे भावुक और दयालु होती हैं। वे वास्तव में भीतर से सुंदर हैं। वे बहुत अधिक त्याग करने वाली हैं, क्षमा करने वाली हैं, और वे बहादुर भी हैं। और अगर मौका दिया जाए तो वे कुर्बानी देने को भी तैयार रहती हैं।’
कोमल पंचमाटिया