CineGram: मौसमी चटर्जी ने मनोज कुमार की फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ में तुलसी की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में जीनत अमान भी थीं, इस फिल्म के गाने ‘हाय हाय ये मजबूरी’ में जीनत अमान ने अपनी खूबसूरती से लोगों का दिल जीता मगर अब मौसमी चटर्जी ने खुलासा किया है कि इस गाने में जीनत नहीं वो होने वाली थीं। मौसमी चटर्जी ने हाल ही में पत्रकार सुभाष के झा को दिए इंटरव्यू में ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ के अपने को-एक्टर और निर्देशक मनोज कुमार पर अपनी बात रखी।
मौसमी चटर्जी ने मनोज कुमार को याद करते हुए कहा, “देखिए, मरने वाले लोगों के बारे में हर कोई अच्छी बातें कहता है। यह सच है कि मनोज कुमार एक बेहतरीन निर्देशक थे और उनका म्यूजिक सेंस कमाल का था। लेकिन ‘हाय हाय ये मजबूरी’ गाने को लेकर मेरा अनुभव खराब रहा। देखिए, आपको अपने कॉमन सेंस का इस्तेमाल करना होगा, जिस गाने के बारे में आप पूछ रहे हैं, उसकी भाषा जीनत के किरदार के साथ नहीं जा सकती थी, उसका किरदार शहरी बैकग्राउंड का था। तेरी दो टकिया दी नाकरी गाने की भाषा… यह मेरे किरदार तुलसी के लिए सही थी जो देहाती और पंजाबी थी। अगर आप फिल्म में मेरा दूसरा गाना ‘महंगाई मार गई’ देखें जिसमें मैं और प्रेमनाथजी हैं। यह जीनत के लिए उपयुक्त नहीं होगा, है न? अब जो हुआ, उस दौरान मैं प्रेग्नेंट थी। यह मेरा पहला बच्चा था और यह प्लांड नहीं था, मैं अबॉर्शन नहीं कराना चाहती थी। चंद्रा बारोटजी (मनोज कुमार के सहायक) को लगा कि मुझे फिल्म में कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि मेरी शादी हेमंत कुमार के बेटे से हुई थी, इसलिए मैं अब महत्वाकांक्षी नहीं हूं और मेरा काम में कोई इंटरेस्ट नहीं है। इस वजह से वो मुझसे नाराज थे। मैं उनके बारे में सिर्फ़ अच्छी बातें नहीं कर सकती क्योंकि सच तो सच है।”
प्रेग्नेंसी में शूट किया था ‘महंगाई मार गई’ गाना- मौसमी चटर्जी
इस इंटरव्यू के दौरान मौसमी चटर्जी ने एक और दावा किया। मौसमी ने कहा उन्हें जुबली फंक्सन में ट्रॉफी भी नहीं दी गई। मौसमी ने कहा, “शशि कपूर ने रोटी कपड़ा और मकान के जुब्ली फंक्शन में मुझसे कहा था कि मुझे छोड़कर सभी को ट्रॉफी मिल रही है। मैं समारोह में गई और जैसा कि शशि ने कहा, मैं अकेली थी जिसे ट्रॉफी नहीं दी गई। मैं बहुत अच्छी और मासूम था। शशि ने कहा कि सबको लगता है कि तुम्हें अपने अभिनय करियर में कोई दिलचस्पी नहीं है। देखिए, मैं कभी बहुत महत्वाकांक्षी नहीं थी। लेकिन मैंने एक बहू, पत्नी, माँ और अभिनेत्री के रूप में अपनी ज़िम्मेदारियों को संतुलित करते हुए कड़ी मेहनत की थी। परिवार सबसे पहले आता है, जैसा कि सभी के लिए होना चाहिए। लेकिन मैंने कड़ी मेहनत की और भगवान की कृपा से, मेरे करियर को बर्बाद करने के लिए फैलाई गई अफवाहों के बावजूद, मैंने अपने पूरे करियर में हिट फिल्में दीं। मैंने अपनी प्रेग्नेंसी के कारण कभी अपनी फिल्मों को प्रभावित नहीं होने दिया। प्रेमनाथ जी के साथ गाना ‘महंगाई मार गई’ के समय भी मैं 5 महीने की प्रेग्नेंट थी। मैंने काम करते हुए समझौता नहीं किया। जब प्रोड्यूसर को समझौता करना पड़ता या थोड़ा एडजस्ट करना पड़ता, और अगर प्रेग्नेंसी के दौरान फिल्मों पर इसका असर पड़ता तो मैं साइनिंग अमाउंट वापस कर देती।”
मनोज कुमार फिल्म मेकिंग के उस्ताद थे- मौसमी चटर्जी
मौसमी चटर्जी को मनोज कुमार से कई शिकायतें थीं बावजूद वो मानती हैं कि मनोज कुमार फिल्म मेकिंग के उस्ताद थे। मौसमी चटर्जी ने कहा कि वे बेहतरीन डायरेक्टर और शानदार एक्टर थे। वे अपना होमवर्क अच्छे से करते थे और उनके पास बहुत अच्छा असिस्टेंट चंद्र बारोट था। उनका कैमरा सेंस भी कमाल का था। मौसमी ने याद किया कि उन्होंने एक सीन बहुत अच्छे से एक ही टेक में दे दिया था मगर एक शब्द बंगाली लहजे में निकल गया था चंद्रा जी ने कहा कि हम डबिंग से इसे ठीक कर देंगे। लेकिन मनोज इस बात पर अड़े रहे कि शूटिंग के दौरान ही सब सही तरीके से हो, चाहे इसमें जितना समय लगे। वो ऐसे डायरेक्टर थे परफेक्टनिस्ट।
फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित की जा चुकी हैं मौसमी चटर्जी
मौसमी चटर्जी के फिल्मी करियर की बात करें तो उन्होंने ‘रोटी कपड़ा और मकान’ के अलावा ‘मंजिल’, ‘अंगूर’, ‘घर एक मंदिर’ जैसी यादगार फिल्मों में काम किया है। मौसमी ने शूजित सरकार की फिल्म ‘पीकू’ में भी काम किया है। मौसमी को साल 2015 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
रोटी, कपड़ा और मकान के बाद दोबारा साथ नहीं नजर आए मौसमी और मनोज कुमार
मौसमी चटर्जी और मनोज कुमार की फिल्म रोटी, कपड़ा और मकान साल 1974 में आई थी। इस फिल्म में मौसमी ने तुलसी का रोल निभाया था और मनोज कुमार ने अभिनय के साथ इस फिल्म का निर्देशन भी किया था। यह एक सामाजिक मुद्दों पर बनी हिट फिल्म थी। इस फिल्म के बाद मौसमी चटर्जी और मनोज कुमार ने कभी किसी और फिल्म में काम नहीं किया।