अमित कुमार के निर्देशन में बनी फिल्म मॉनसून शूटआउट एक अपराधी और पुलिसवाले की कहानी को दिखाती है। इसके ट्रेलर ने बहुत से लोगों का ध्यान खींचा था क्योंकि यह भारत का पहला इंटरैक्टिव ट्रेलर था। मतलब कि यह दर्शकों को सही और गलत विकल्प को चुनने का मौका देता है। आधे ट्रेलर के बाद लोगों को शूट और नो शूट के विकल्प को चुनना था। जैसे ही वो किसी एक विकल्प पर क्लिक करते हैं कहानी उसी तरह से उनके सामने पेश होती है। इससे निर्माता फिल्म की असल कहानी को छुपाकर रखने में कामयाब हो गए थे। फिल्म एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है। जिसमें नवाजुद्दीन ने एक कुल्हाड़ी किलर की भूमिका निभाई है।
फिल्म की कहानी आदी (विजय वर्मा) के क्रइम ब्रांच में पुलिस अधिकारी के तौर पर पहले दिन से शुरू होती है। पहले ही दिन उनके सीनियर खान (नीरज काबी) के जरिए उन्हें पता चलता है कि हकीकत में किस तरह से केस सुलझाए जाते हैं। इसके बाद उन्हें पता चलता है कि शहर के एक बिल्डर को झुग्गी का मालिक डागर और शिवा (नवाजुद्दीन) मिलकर धमका रहे हैं। डागर के लिए काम करने वाला शिवा बारिश में आदी के सामने होता है। यहीं आदी को निर्णय लेना होता है कि वो शिवा को गोली मारे या छोड़ दे। उसे अपने पिता के शब्द याद आ जाते हैं जहां वो तीन रास्तों के बारे में बताते हैं- सही, गलत और बीच का।
एक डायरेक्टर के तौर पर अमित कुमार बेस्वाद खाने को भी अच्छी तरह से पेश करना जानते हैं। इसी वजह से उन्होंने फिल्म को तीन तरह से दर्शकों के सामने पेश करने की कोशिश की है। फिल्म में केवल दो गाने हैं। जिन्हें कि रोचक कोहली ने कंपोज किया है। फिल्म में नवाज के कुछ रोमांटिक सींस भी हैं। ऐसी खबरे हैं कि फिल्म की तैयारी करने के लिए नवाज और विजय ने असली अपराधियों से जेल में मुलाकात की थी। फिल्म को साल 2013 में कांस फिल्म महोत्सव में दिखाया गया था।