पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते दिन अपने कैबिनेट का विस्तार किया है। इसमें जहां एक तरफ नए चेहरे शामिल हुए तो वहीं कई दिग्गज नेताओं की छुट्टी भी हो गई है। इन दिग्गज लोगों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन भी शामिल थे, जिन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि उनकी जगह पर पीएम मोदी ने मनसुख मांडविया को स्वास्थ्य मंत्री का पद सौंपा। लेकिन मंत्री बनने के बाद से ही स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया अपनी टूटी-फूटी अंग्रेजी के कारण सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं। जहां कुछ लोग उनके पुराने ट्वीट पर चुटकी ले रहे हैं तो वहीं कुछ लोग बचाव भी करते हुए नजर आए।

अपने एक ट्वीट में जहां मनसुख मांडविया ने स्वतंत्रता दिवस की स्पेलिंग अंग्रेजी में गलत लिखी है तो वहीं दूसरे ट्वीट में उन्होंने महात्मा गांधी को समर्पित वाक्य में गलती की है। ऐसे में उनके ट्वीट पर कमेंट करते हुए आसिया नाम की एक यूजर ने लिखा, “बहुत दुख हुआ कि आप अभी भी हमारे स्वास्थ्य मंत्री हैं। आप तो पीएम की पोस्ट के लायक हैं।”

नवीन नाम के एक यूजर ने मनसुख मांडविया पर निशाना साधते हुए लिखा, “अपने राष्ट्र के भाग्य के बारे में सोच रहा हूं। याद है प्लेट के साथ बोलना ‘गो कोरोना, गो कोरोना।'” मुनिया सिंह नाम की एक यूजर ने लिखा, “मोदी जी की टोपी में एक और पंख।”


प्रत्यय नाम के एक यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, “हंसी ही बेहतर दवाई है’ हमारे नए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात को जरा ज्यादा गंभीरता से ले लिया। इंजन फेल डब्बा डिरेल।”


डॉक्टर पंकज गुलाटी ने मनसुख मांडविया के स्वास्थ्य मंत्री बनने पर तंज कसते हुए लिखा, “मेडिकल में पोस्ट ग्रेजुएट को राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट हुए व्यक्ति से बदल दिया गया। हम अभी-अभी कोरोना की दूसरी लहर से ठीक हो रहे हैं और भविष्य में तीसरी लहर का भी अनुमान लगाया जा रहा है। स्वास्थ्य के मुद्दे मतलब कुछ भी नहीं हैं।”

 


मनसुख मांडविया के पुराने ट्वीट्स को लेकर जहां कुछ यूजर ने उन्हें ट्रोल किया तो वहीं कुछ लोग उनका समर्थन करते हुए भी दिखाई दिए। लेखक शेफाली वैद्य ने मनसुख मांडविया का बचाव करते हुए लिखा, “लोग उन्हें उनकी अंग्रेजी के लिए ट्रोल कर रहे हैं जो कि वाकई में गलत है। यह केवल एक भाषा है, आपकी बुद्धि का पैमाना नहीं और स्वास्थ्य मुद्दे हर भाषा में एक ही होते हैं।”

विद्या वासू नाम के एक यूजर ने मनसुख मांडविया का साथ देते हुए लिखा, “कुछ लोग स्वास्थ्य मंत्री को उनकी अंग्रेजी के लिए ट्रोल कर रहे हैं। सच में? हम भारत में रहते हैं और अंग्रेजी कभी भी हमारी मुख्य भाषा नहीं रही है। आप लोग अभी भी औपनिवेशिक मानसिकता में जी रहे हैं। भारत में 500 से ज्यादा भाषाएं हैं और आप एक व्यक्ति को विदेशी भाषा के लिए लक्ष्य बना रहे हैं।”

एक यूजर ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया का समर्थन करे हुए लिखा, “उनके ट्वीट के लिए आप उनका मजाक बना सकते हैं लेकिन एक प्रशासक के तौर पर उनके असाधारण कौशल के लिए उन्हें पुरस्कृत किया गया है। ‘जन औषधि केंद्र’ बनाने के पीछे उन्हीं की योजना है, जो कि अपने आप में ही देश के लिए एक क्रांति है। जहां पहले माफियाओं का शासन था।”