गीतकार मनोज मुंतशिर ने 14 दिसंबर को अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया। इसमें कुछ औरतें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किसानों से धोखा करने सहित कई आरोप लगाती दिख रही हैं और उनकी मौत की दुआएं मांग रही हैं। मुंतशिर ने लिखा- ये लाल झंडे उस इंसान के लिए मौत माँग रहे हैं जिसे देश ने लोकतांत्रिक पद्धति से, संविधान के सबसे गौरवशाली पद पर बिठाया है। असहमति और मतभेद अपनी जगह, लेकिन हमारा चरित्र इस हद तक गिर जाएगा, ये नहीं सोचा था। राजनीति और औरत दोनो का ये रूप देखकर, अंदर ही अंदर कुछ टूट गया। #Shame
इस पर फिल्ममेकर अशोक पंडित ने कमेंट किया- मनोज भाई इनकी यह बेचैनी इनकी हार को दर्शाता है! इनकी इस माँग को ईश्वर 2002 से ठुकरा रहा है ! वो शख्स तो दिन ब दिन तरक़्क़ी की राह पर है ! मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बन गए ! देश को भी प्रगति की राह पर ले जा रहे हैं ! शैतान तो हर युग में पैदा हुए हैं ! सत्य की ही जीत होती है!’
मनोज मुंतशिर द्वारा शेयर किए गए वीडियो पर यूजर्स भी खूब कमेंट कर रहे हैं। अमित कुमार ने लिखा, ‘किसानों के हक़ के लिए कितनी बार आवाज़ उठाए हो? मानता हूं महिलाएं गलत हैं पर जब गलत तरीके से सरकार किसानों का दमन कर रही थी तब आप जैसे बुद्धिजीवी कहां थे? तब खून क्यों नहीं खौलता है?’
ये लाल झंडे उस इंसान के लिए मौत माँग रहे हैं जिसे देश ने लोकतांत्रिक पद्धति से, संविधान के सबसे गौरवशाली पद पर बिठाया है. असहमति और मतभेद अपनी जगह, लेकिन हमारा चरित्र इस हद तक गिर जाएगा, ये नहीं सोचा था. राजनीति और औरत दोनो का ये रूप देखकर, अंदर ही अंदर कुछ टूट गया. #Shame pic.twitter.com/8A7ibDguUO
— Manoj Muntashir (@manojmuntashir) December 14, 2020
सुधांशु नाम के एक यूज़र मनोज मुंतशिर को जवाब देते हैं, ‘मनोज सर, हमारे यहां बिहार में एक कहावत है कि कसाई के श्राप देने से गाय की मृत्यु नहीं होती है। उसी तरह से इन कसाईयों के श्रापने से हमारे मोदी जी को कुछ भी नहीं होगा। हां देश में छिपे सारे सांपों के चेहरे ज़रूर उजागर हो जाएंगे। आप चिंता मत कीजिए।’
मनोज भाई इनकी यह बेचैनी इनकी हार को दर्शाता है !
इनकी इस माँग को ईश्वर २००२ से ठुकरा रहा है ! वो शक़्स तो दिन ब दिन तरक़्क़ी की राह पर है ! मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बन गए ! देश को भी प्रगति की राह पर ले जा रहे हैं !
शैतान तो हर युग में पैदा हुए हैं !
सत्य की ही जीत होती है! https://t.co/aP99DeTaNG— Ashoke Pandit (@ashokepandit) December 14, 2020
शशांक मिश्र लिखते हैं, ‘पिछले कुछ दिनों से जो वीडियो सामने आ रहे हैं उनसे अब लगने लगा है कि ये किसान आंदोलन नहीं रहा। अब बातें सिर्फ राजनीतिक हो रही हैं। किसानों के मुद्दों को सिर्फ भटकाया जा रहा है और ये महिला तो किसान नहीं लग रहीं। खालिस्तान और आतंकवादियों को समर्थन यहीं से मिल रहा है।’
रहिमुद्दिन लिखते हैं, ‘माना कि इस महिला की भाषा अमर्यादित है, प्रधानमंत्री के लिए ऐसी भाषा शोभा नहीं देती है लेकिन आप लोग का जमीर तब मर चुका होता है जब काले कानूनों को पास कर दिया जाता है बिना सहमति के। आप लोग बुद्धिजीवी लोग हैं। आप को सरकार की चाटुकारिता करने के बजाय किसान के समर्थन में खड़े होना चाहिए।’