प्रभास (Prabhas) की फिल्म ‘आदिपुरुष’ (Adipurush) की रिलीज से पहले डायरेक्टर ओम राउत ने ऐलान किया था कि वो ‘रामायण’ (Ramayana) का एक वर्जन मॉडर्न सिनेमेटिक स्टाइल के साथ लाने वाले हैं। इसके बाद से फैंस फिल्म को लेकर काफी एक्साइटेड थे। वो ये देखने के लिए उत्सुक थे कि आखिर रामायण को नई टैक्टनिक के साथ कैसे पेश किया जाएगा। लेकिन रिलीज होने के बाद फिल्म ने दर्शकों को केवल निराशा ही दिया है। इसमें वीएफएक्स ने ‘रामायण’ के चरित्र को कार्टून बना दिया और डायलॉग के नाम पर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया गया। ऐसे में अब इसी भाषा को लेकर राइटर मनोज मुंतशिर ने अपना रिएक्शन दिया है।

प्रभास के लीड रोल वाली फिल्म ‘आदिपुरुष’ शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इसकी कमाई की शुरुआत जोरदार तरीके से हुई है। विवादों के बावजूद फिल्म ने पहले दिन वर्ल्डवाइड 140 करोड़ का कलेक्शन किया है। फिल्म को लोग सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल कर रहे हैं। साथ ही बैन तक करने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में मूवी में हनुमान जी के लिए और डायलॉग के नाम पर छपरी भाषा का इस्तेमाल करने पर राइटर मनोज मुंतशिर ने सफाई दी है। उन्होंने आजतक से बातचीत में कहा कि जनता के कटघरे में खड़े होना बड़े सम्मान की बात है।

फिल्म के डायलॉग्स को लेकर मनोज मुंतशिर कहते हैं कि ‘फिल्म के ऐसे डायलॉग्स गलती से नहीं लिखे गए हैं बल्कि जानबूझकर लिखे गए हैं।’ राइटर ने ये भी कहा कि केवल हनुमान के डायलॉग्स नहीं बल्कि राम जी के संवादों पर भी बात होनी चाहिए। मनोज ने आगे कहा कि ‘उन्होंने रामायण नहीं बनाई है, बल्कि वो रामायण से प्रेरित हैं।’ तुलसीदास का दोहा के साथ वो अपनी बात को कहते हैं कि ‘नाना भांति राम अवतारा, रामायण शत कोटि अपारा।’ यानी कि राम के अवतार अनेकों-अनेक पहलू हैं और सैकड़ों तरीके से रामायण सुनाई जा सकती है।

यूथ को कनेक्ट करने का दिया हवाला

इतना ही मनोज मुंतशिर ने अपने बयान में ये भी कहा कि ‘आदिपुरुष में ऐसे डायलॉग्स इसलिए लिखे गए ताकि यूथ इससे कनेक्ट हो पाए। क्योंकि आजकल ये युवाओं की भाषा है।’ उन्होंने ये हवाला दिया कि यूथ जिस भाषा को नहीं समझ सकता उसका सम्मान तो कर सकता है मगर उससे कनेक्ट नहीं हो सकता। साथ ही मनोज ने सवाल भी किया कि साढ़े सात हजार साल पहले लिखी गई रामायण को बाबा तुलसीदास ने अवधी में क्यों लिखा? रामायण सुनाने वाले के उद्देश्य के बारे में राइटर ने कहा कि हर रामायण सुनाने वाले का उद्देश्य केवल उसे लोगों तक पहुंचाना और समसामयिक भाषा में बात करना है।