अपनी नेशनलिस्ट फिल्मों से दर्शकों के बीच अलग पहचान बनाने वाले मनोज कुमार का आज बर्थ डे है। ज्यादातर फिल्मों में उनका नाम भारत ही होता था इसी के चलते उन्हें भारत कुमार भी कहा जाने लगा था। हालांकि उनका असली नाम भी मनोज नहीं बल्कि हरिकिशन गिरी गोस्वामी है। दिलीप कुमार की एक फिल्म में उनका नाम मनोज कुमार था। हरिकिशन इस फिल्म को देख इतना प्रभावित हुए थे कि उन्होंने अपना नाम भी मनोज कुमार रख लिया था। क्रिकेट और हॉकी के अच्छे प्लेयर मनोज का जन्म पाकिस्तान के उसी क्षेत्र में हुआ था जहां अमेरिका ने 2010 में ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। मनोज ने अपने करियर में शानदार सफलता हासिल की लेकिन बचपन में हुई एक घटना ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था। भारत पाक विभाजन के दौर में मनोज को गहरा घाव झेलना पड़ा था।
मनोज ने इस घटना के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि ‘वो विभाजन का दौर था, हम लोग रिफ्यूजी कैंप में रह रहे थे, मेरी मां ने मेरे छोटे भाई को जन्म दिया था, उस बच्चे का नाम कुक्कू रखा गया था। मेरी मां और मेरा छोटा भाई दोनों बीमार थे और उन्हें दिल्ली के तीस हज़ारी अस्पताल में एडमिट कराया गया था। उस समय दिल्ली में दंगे चालू थे और सायरन बजने पर डॉक्टर्स और नर्स अंडरग्राउंड हो जाते थे। मेरी मां दर्द से तड़प रही थी वहीं मेरे छोटे भाई की भी हालत खराब थी। मेरी मां बच्चे की हालत देख चीख रही थी कि डॉक्टर्स को बुलाओ लेकिन सभी अंडरग्राउंड थे। मेरा भाई चल बसा था और मेरी मां दर्द से और बच्चे के बिछड़ने से कराह रही थी।’
उन्होंने कहा कि ‘मेरा भाई कुक्कू चला गया था और मैं बेहद गुस्से में था। मैंने लाठी उठाई और मैं अंडरग्राउंड चला गया। वहां मैंने डॉक्टर्स को पीटा, नर्सों को भी लाठी से पीटा। दूसरे ही दिन मेरे छोटे भाई को यमुना में बहा दिया गया, वो जैसे जैसे डूब रहा था, ऐसा लग रहा था कि मैं डूबता जा रहा हूं। उस रात मेरे पिटा ने मुझसे कहा था कि ज़िंदगी में कुछ भी करना लेकिन दंगा फसाद से हमेशा दूर रहना। कई बार गुस्सा आता था, कई बार हिंसा करने का मन करता लेकिन कभी हाथ उठता भी तो रोक लेता था। पिता की कही हुई बात दिमाग में कौंधने लगती थी।’ खास बात ये है कि महज दो महीने के छोटे भाई की मौत को देखने के बाद भी मनोज ज़िंदगी में कभी कमज़ोर नहीं पड़े और अपने संघर्ष की बदौलत फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम बनाने में कामयाब रहे।