ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में जाकर संन्यास ले लिया और साथ ही वो किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर भी बन गई थीं। मगर वो ये पद खो चुकी हैं। उनके महामंडलेश्वर बनने को लेकर काफी विवाद हो रहा था और तमाम लोगों ने इस पर आपत्ति जताई थी। अब किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने ममता कुलकर्णी को इस पद से हटा दिया है, साथ ही लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी अखाड़े से हटा दिया है।
बताया जा रहा है कि अजय दास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। शुक्रवार को अजय दास ने अखाड़े के पुनर्गठन की योजना की घोषणा की। उन्होंने कहा, जल्द ही नए आचार्य महामंडलेश्वर की नियुक्ति की जाएगी।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ने उठाये सवाल
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने इसके बारे में कहा, “मैं पूछना चाहता हूं कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को निष्कासित करने वाले वह (ऋषि अजय दास) कौन हैं। सभी 13 अखाड़ों ने उनका समर्थन क्या है। जिन्होंने उन्हें निष्कासित किया है, मैं उनसे पूछना चाहता हूं। वह कौन हैं? मैंने पहली बार उनका नाम सुना है, जो किन्नर अखाड़े के संस्थापक होने का दावा कर रहे हैं, हम लक्ष्मी नारायण के साथ हैं क्योंकि हम उन्हें ही जानते हैं…वैराग्य (तपस्या) किसी भी स्तर पर हो सकता है जीवन की और अगर ममता कुलकर्णी स्वेच्छा से किन्नर अखाड़े में शामिल होना चाहती हैं – तो इसमें किसी को कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए? हम ममता कुलकर्णी के साथ हैं – वे दोनों बसंत पंचमी पर जूना अखाड़े के साथ पवित्र स्नान करेंगे…”
ममता कुलकर्णी ने किया था पिंडदान
बता दें कि 24 जनवरी को ममता कुलकर्णी ने अपना पिंड दान कर सन्यास लिया था। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को गंगा नदी के तट पर अपना पिंड दान किया। रात करीब आठ बजे किन्नर अखाड़े में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उनका महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक किया गया। इस प्रेरण के साथ, ममता कुलकर्णी श्रद्धेय महामंडलेश्वरों की श्रेणी में शामिल हो गई हैं। यह उपाधि उन आध्यात्मिक नेताओं को दी जाती है जो धार्मिक प्रवचन और सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…