महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद के बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने बड़ा फैसला सुनाया है। वहां की सरकार ने सभी सिनेमाघरों के लिए बांग्ला फिल्मों दिखाना अनिवार्य कर दिया है। बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए एक बड़े कदम के तहत पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को राज्य भर के सभी सिनेमाघरों के लिए हर दिन ‘प्राइम टाइम’ के दौरान लोकल फिल्में दिखाना अनिवार्य कर दिया।

इसे 2026 के चुनावों से पहले एक राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य भर के सभी सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स में प्रतिदिन कम से कम एक बंगाली फिल्म दिखाने का आदेश दिया है। ये फिल्में दिन के 3 बजे से रात के 10 बजे के बीच दिखाई जाएंगी, इस दौरानआमतौर पर सिनेमाघरों में सबसे ज्यादा ऑक्यूपेंसी दर्ज की जाती है। ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

सूचना एवं सांस्कृतिक मामलों के विभाग द्वारा जारी इस निर्देश का उद्देश्य बंगाली फिल्म उद्योग को बढ़ावा देना है। इसमें कहा गया है कि हर सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स के सभी स्क्रीनों में, पूरे साल हर दिन कम से कम एक बंगाली फिल्म का अनिवार्य शो होना चाहिए। निर्देश में आगे कहा गया है कि इस निर्देश को औपचारिक रूप देने के लिए पश्चिम बंगाल सिनेमा (सार्वजनिक प्रदर्शन विनियमन) नियम, 1956 में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। ये तत्काल प्रभाव से लागू होगा और अगले निर्देश तक लागू रहेगा। इस अधिसूचना पर पश्चिम बंगाल सरकार के प्रधान सचिव के हस्ताक्षर हैं।

राज्य के लोक निर्माण एवं युवा मामलों के मंत्री अरूप बिस्वास ने प्रेस को इस निर्देश की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दो बैठकों के बाद लिए गए इस फैसले का उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि बंगाली फिल्में साल भर दिखाई जाएं। बिस्वास ने कहा, “ये बहुत खुशी की खबर है। हमारी मुख्यमंत्री, जिन्हें संस्कृति से प्यार है उन्होंने बंगाली भाषा और फिल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए ये निर्देश दिया है। पहले प्राइम टाइम दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक होता था, इसलिए ज़्यादातर स्क्रीन पर बंगाली फिल्में दोपहर 12 बजे ही दिखाई जाती थीं। अब हमने प्राइम टाइम स्लॉट बदलकर दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक कर दिया है।”