फिल्म- मैदान

डायरेक्टर-  अमित रवीन्द्रनाथ शर्मा
स्टार कास्ट- अजय देवगन, प्रियामणि और गजराज राव

रेटिंग- 3.5/5

कहते हैं ना कि अगर कुछ करने की ठान लो तो नामुमकिन काम भी मुमकिन हो जाता है। आशा, उम्मीद इंसान को हारने नहीं देती है बल्कि आपको आपके सपने के और भी करीब लेकर जाती है। कुछ असफलताओं को बड़ी सफलता की तैयारी के तौर पर देखा जाना चाहिए। ऐसा ही कुछ अजय देवगन की फिल्म ‘मैदान’ में दिखाया गया है। जहां, लोग आजादी के बाद भारत की हार को देख रहे थे वहीं, उन्हीं के बीच एक ऐसा शख्स था, जो देश को उसकी पहचान दिलाने के लिए अवसर की तलाश कर रह था। इस बीच लोगों ने कई बार मनोबल भी तोड़ा लेकिन, वो शख्स हारा नहीं। ये कोई और नहीं बल्कि भारतीय फुटबॉल टीम के कोच सैयद अब्दुल रहीम थे। उन्होंने आजादी के 13 साल बाद ही इतिहास रच दिया था। उनकी वजह परदेस में हारने के बाद भी ‘Well Played India’ का नारा गूंजा था। ऐसे में चलिए उनके जीवन और भारतीय फुटबॉल टीम के स्वर्णिम काल पर आधारित इस मूवी ‘मैदान’ के बारे में बताते हैं…

अजय देवगन स्टारर फिल्म ‘मैदान’ की कहानी आजाद भारत की फुटबॉल टीम के कोच सैयद अब्दुल रहीम और टीम के स्वर्णिम काल पर आधारित है। फिल्म में कहानी की शुरुआत कलकत्ता से होती है। जहां स्पोर्ट्स फेडरेशन के कुछ लोगों के दिमाग में बंगाल, हैदराबाद चल रहा था वहीं, रहीम साहब के दिमाग में चल रहा था कि देश को फुटबॉल के क्षेत्र में पहचान कैसे दिलाई जाए। अब्दुल रहीम देश के बारे में सोचते थे और फेडरेशन के कुछ लोग अपने ही राज्यों में भेदभाव कर रहे थे। इन सबके बीच रहीम साहब ने भारतीय फुटबॉल को अलग पहचान दिलाई और 1952 से 1962 के समय को स्वर्णिम काल बना दिया। आजादी के 13 साल में ही उन्होंने बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। फिल्म की कहानी ना केवल एक मैदान की है बल्कि इसमें लड़ाई पहचान की दिखाई गई है। मैदान में प्लेयर्स लड़ तो रहे थे मगर वो हार या जीत के लिए नहीं बल्कि देश की पहचान के लिए। ये एक बायोपिक है और इसकी कहानी काफी रोमांचक है। इससे आप इमोशनली कनेक्ट होते हैं।

अजय देवगन की परफॉर्मेंस ने जीता दिल

वहीं, ‘मैदान’ में एक्टर्स की एक्टिंग की बात की जाए तो इसमें अजय देवगन ने सैयद अब्दुल रहीम का रोल प्ले किया है। उन्होंने भारतीय फुटबॉल कोच के किरदार को जीवंत कर दिया और अपनी धमाकेदार परफॉर्मेंस से फिल्म में जान ही फूंक दी है। उन्होंने रहीम साहब के जीवन के हर पहलू को बहुत की सलीके से पर्दे पर उकेरा है। एक्टर ये बताने में सफल रहे हैं कि रहीम साहब ने देश को क्या दिया है। वहीं, फिल्म में प्रियामणि भी हैं। उन्होंने उनकी पत्नी का रोल प्ले किया है। एक वाइफ के रोल में उनका किरदार भी कमाल का रहा है।

इसके साथ ही गजराज राव पत्रकार की भूमिका में दिखे हैं, जो हमेशा सैयद अब्दुल रहीम की काट करने में लगे रहते हैं लेकिन, फिल्म के अंत में वो भी उनके जज्बे को सलाम करने को मजबूर हो जाते हैं। फिल्म में अन्य एक्टर्स ने भी कमाल का काम किया है, जो कि काबिल-ए-तारीफ है।

कसा हुआ डायरेक्शन और कमाल की सिनेमेटोग्राफी

‘मैदान’ का निर्देशन अमित रवीन्द्रनाथ शर्मा हैं। उन्हें ‘बधाई हो’ जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। ‘मैदान’ जैसी स्पोर्ट्स बायोग्राफिकल फिल्म को दिखाना अपने आप में ही चैलेंजिंग काम है। वो तब और जिम्मेदारी बढ़ जाती है जब उसमें कई सालों की मेहनत को दिखाना है। ठीक वैसे ही ‘मैदान’ में सैयद अब्दुल रहीम और भारतीय फुटबॉल टीम के 10 सालों को दिखाना रहा है। अमित रवीन्द्रनाथ ने कमाल का डायरेक्शन किया है। सभी एक्टर्स को बराबर स्क्रीन स्पेस दिया है और हर कड़ी को फिल्म में दिखाने की कोशिश की है। फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा कमजोर सा और बोरिंग महसूस होता है क्योंकि कहानी की रफ्तार थोड़ी धीरे होती है लेकिन, सेकंड हाफ के बाद जब कहानी रफ्तार पकड़ती है तो सीट से हिल ही नहीं पाएंगे।

वहीं, सिनेमेटोग्राफी भी कमाल की है। टेक्निकल फिल्म पर काफी काम किया गया है। फुटबॉल जैसे खेल में प्ले ग्राउंड में जिस तरीके से मैच को दिखाया गया है वैसे दिखा पाना काफी मुश्किल हो जाता है। कैमरा हैंडलिंग इतनी कमाल की है जैसे लगता है कि सच में आप भारतीय टीम को एशियन गेम खेलते देख रहे हों।

बैकग्राउंड म्यूजिक और सॉन्ग्स

इसके साथ ही फिल्म ‘मैदान’ के बैकग्राउंड म्यूजिक की बात की करें तो ये काफी बेहतरीन है। फिल्म में सिचुएशन के अनुसार मूवी में बैकग्राउंड म्यूजिक का इस्तेमाल किया गया है। कुछ कड़ी में तो इससे रोंगटे भी खड़े हो जाते हैं। वहीं, सॉन्ग्स तो फिल्म की स्टोरी में जान की डालते हैं। इसमें दो गाने ‘घर आया मेरा मिर्जा’ और दूसरा ‘जाते हैं हम जाने दो’ दिल को छू जाते हैं। ये बेहद ही इमोशनल सॉन्ग्स हैं। ‘घर आया मेरा मिर्जा’ तो उमंग से भरता है और ‘जाते हैं हम जाने दो’ बेहद ही इमोशनल गाना है।

अंत में आपको बता दें कि ‘मैदान’ कमाल की फिल्म है। लंबे समय के बाद बायोग्राफिकल फिल्म आई है। अगर आप सिनेमा प्रेमी हैं ऊपर से बायोपिक देखना पसंद करते हैं तो देख सकते हैं। वहीं, अगर स्पोर्ट्स प्रेमी भी हैं तो ये आपके लिए सोने पर सुहागे जैसा है।