Mahabharat Episode 8 April 2020, Updates: इस वक्त महाभारत के इस अध्याय में पांडव-कौरव बालावस्था में हैं। जहां राजकुमार गुरुओं से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वहीं  नंद लाल अपने दाऊ भैया के साथ गुरुकुल में हैं औऱ शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। श्री कृष्ण के साथ सुदामा भी शिक्षा प्राप्त करने गुरुकुल आए हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण और सुदामा की अच्छी दोस्ती हो गई है। नटखट कृष्ण यहां भी अपना प्रेम सभी जीव औऱ जानवरों पर बरसास चुके हैं। स्वंय गुरुमाता श्रीकृष्ण का खूब ध्यान रख रही  हैं। उन्हें खान पान के लिए सबसे पहले बुलाया जाता है और भोग लगाया जाता है।

इधर नन्हे कौरव और पांडवों को धनुर्विद्या सिखाने की जिम्मेदारी आचार्य द्रोण को सौंपी जाती है। अर्जुन की कुशलता से प्रभावित द्रोण उन्हें सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी बनाने का निश्चय करते हैं। वहीं एकलव्य भी छिप-छिपकर द्रोण से शिक्षा लेने लगे। वो कहते हैं कि जब आप राजकुमारों को शिक्षा देते थे तो मैं छिपकर देखता था। द्रोणाचार्य एकलव्य की तारीफ करते हैं। लेकिन वह कहते हैं कि गुरू से शिक्षा लेने के लिए गुरू की इजाजत चाहिए होती है। इस पर एकलव्य कहते हैं कि उन्होंने आपकी मूर्ति से इजाजत ली। ऐसे में गुरू एकलव्य से दक्षिणा में उनका अंगूठा मांग लेते हैं। बिना किसी संकोच के एकलव्य अपना अंगूठा काट कर गुरू के चरणों में अर्पित कर देते हैं। वहीं, द्रोण पितामह भीष्म से मिलकर कहते हैं कि अब वो समय आ गया है जब पूरा राज्य ये देखे कि हस्तिनापुर के राजकुमारों ने क्या शिक्षा ग्रहण की है। आगे जानिए क्या होता है-

Live Blog

20:02 (IST)08 Apr 2020
समारोह का हुआ समापन..

इस बीच कर्ण के पिता अधिरथ वहां पहुंचे जिन्हें देखकर भीम हंसते हुए कहता है कि अर्जुन ये सुरथ पुत्र कर्ण तुम्हारे बाणों के लायक नहीं है। इतने में सूर्यास्त का समय हो गया और धृतराष्ट्र ने कहा कि सूर्यास्त के बाद युद्ध क्षत्रियों को शोभा नहीं देता और इसके साथ ही भीष्म ने शंखनाद के साथ समारोह का समापन किया।

19:58 (IST)08 Apr 2020
कर्ण का हुआ राज्याभिषेक

दुर्योधन ने कृपाचार्य को कर्ण के राज्याभिषेक करने के लिए कहा। इधर, कर्ण के पिता उनके स्वभाव को लेकर चिंतित हो रहे थे कि तभी उनको जानकारी मिली कि कर्ण को अंगदेश का राजा बना दिया गया है। इधर, कर्ण दुर्योधन से कहते हैं कि मैं सदैव हमारी मित्रता को सबसे ऊपर रखूंगा। इसके उपरांत, कर्ण और अर्जुन दोनों ही कुलगुरु से युद्ध की अनुमति मांगते हैं। इस बीच कर्ण और अर्जुन दोनों में ही वचनों के बाण चलने लगे।

19:51 (IST)08 Apr 2020
अंगराज कर्ण की जय

ये सब देखकर दुर्योधन बीच में बात को काटते हुए कहते हैं कि ये नियम कब बना कि राजकुमारों के अलावा कोई और इस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकता। उनके पास जाकर दुर्योधन ने अपने अधीन शक्तियों का प्रयोग करके कर्ण को अंगदेश का राजा घोषित कर दिया।

19:47 (IST)08 Apr 2020
कर्ण ने अर्जुन को ललकारा

कर्ण ने आचार्य द्रोण से कहा कि ये हस्तिनापुर की प्रजा को निश्चय करने दीजिये कि सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी कौन है। वो सबके समक्ष अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारते हैं। कृपाचार्य उनसे कहते हैं कि ये राजकुमारों के लिए शक्ति प्रदर्शन की जगह है। वो कर्ण से उनका परिचय मांगते हैं। इधर, कुंती कर्ण को देखकर अचेत हो जाती हैं।

19:42 (IST)08 Apr 2020
सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी हैं अर्जुन

अपनी प्रतिभा दिखाते हुए आचार्य द्रोण जो अर्जुन से कह रहे थे, अर्जुन सबके समक्ष आकाश में वही बाण छोड़ते। उनके एक बाण से बारिश होने लगी, पहाड़ टूटकर आ गया। हर तरफ अर्जुन की जय-जयकार होने लगी। उनसे प्रसन्न होकर आचार्य द्रोण ने सबके सामने कहा कि अर्जुन सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी हैं।

19:37 (IST)08 Apr 2020
अर्जुन के बाण से आया तूफान

इसके बाद आते हैं अर्जुन जो अपना परिचय देते हुए कहते हैं कि मैं द्रोणाचार्य का शिष्य हूं। इस पर धृतराष्ट्र उनसे पूछते हैं कि क्या तुम्हारी और कोई पहचान नहीं है तो अर्जुन कहते हैं कि इंसान की बस एक ही पहचान होती है। अपने बाणों को अर्जुन पितामह, द्रोण, कृपाचार्य और धृतराष्ट्र के चरणों में अर्पण करते हैं। उसके बाद आचार्य द्रोण के बताने के बाद वो बाण छोड़ते हैं और तूफान आ जाता है। वहींं अगला बाण चलाने से आग लग जाती है।

19:32 (IST)08 Apr 2020
भीम और दुर्योधन में टक्कर

गदाधारी भीम और दुर्योधन में शक्ति प्रदर्शन के दौरान घमासान युद्ध होने लगता है। गदाओं की आवाज से चिंतित धृतराष्ट्र संजय से कहते हैं कि ये किसी खेल की आवाज नहीं लगती। इधर दोनों के युद्ध को बीच में रोकने का आदेश देते हैं आचार्य द्रोण। अश्वत्थामा भीम और दुर्योधन से कहते हैं कि ये रणभूमि नहीं बल्कि रंगभूमि है।

19:23 (IST)08 Apr 2020
परीक्षा की हुई शुरुआत

सर्वप्रथम युधिष्ठिर ने सबको अपना परिचय दिया और भाला का चुनाव किया। अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए वहां मौजूद सभी वीर अनुजों को पटखनी दे दी।

19:20 (IST)08 Apr 2020
आज हस्तिनापुर नगर फूले नहीं समाए...

एक-एक करके दुश्शासन, विकर्ण, नकुल, सहदेव समेत सभी कौरव और पांडव वहां पहुंचे। अपने राजकुमारों को देख कर प्रजा उनका जय-जयकार करने लगी। धृतराष्ट्र की स्वीकृति के बाद भीष्म ने शंखनाद कर समारोह को आरंभ करने की घोषणा की। कुलगुरु कृपाचार्य ने समारोह को आरंभ किया। वो कहते हैं कि ये कोई समारोह या क्रीड़ा क्षेत्र नहीं बल्कि हस्तिनापुर के राजकुमारों के लिए परीक्षा का समय है।

19:10 (IST)08 Apr 2020
8 अप्रैल शाम का एपिसोड

हस्तिनापुर की प्रजा अपने राजकुमारों को देखने के लिए उत्सुक है। इधर, गांधारी कुंती से पूछती हैं कि द्रोण अपने शिष्यों के साथ कब आएंगे। तभी सबसे पहले वहां युधिष्ठिर पहुंचते हैं और धृतराष्ट्र को प्रणाम करते हैं। उनके उपरांत महाराज कुमार दुर्योधन आते हैं और उनके पीछे गदाधारी भीम अंदर आते हैं। भीम के बाद आते हैं धनुर्धरी अर्जुन।

18:54 (IST)08 Apr 2020
केवल अपने दुर्योधन के भविष्य का खयाल रखें महाराज

द्रोण पितामह भीष्म से मिलकर कहते हैं कि अब वो समय आ गया है जब पूरा राज्य ये देखे कि हस्तिनापुर के राजकुमारों ने क्या शिक्षा ग्रहण की है। इधर, शकुनि धृतराष्ट्र को आगाह करते हैं कि दुश्मन अपनी चाल बदल सकता है। केवल अपने दुर्योधन के भविष्य का खयाल रखें महाराज।

12:43 (IST)08 Apr 2020
हस्तिनापुर में शिक्षा समापन का समारोह

हस्तिनापुर में शिक्षा समापन का समारोह: धृतराष्ट्र के पार शकुनी पहुंचते हैं। वह आगाह करते हैं कि दुश्मन अपनी चाल बदल सकता है। केवल अपने दुर्योधन के भविष्य का खयाल रखें महाराज। महाराज धृतराष्ट्र कहते हैं कि पांडव बहुत होशियार हैं। शकुनी आचार्यद्रोण पर शक जाहिर करते हुए कहते हैं कि वह सिर्फ पांडवों के बारे में ही क्यों बात करते हैं। ऐसे में धृतराष्ट्र को बताया जाता है कि रणभूमि का निर्माण बनने की बात हो रही है।

12:39 (IST)08 Apr 2020
कृष्ण के शंखनाद से हुआ नवयुग का आरंभ

कृष्ण के शंखनाद से हुआ नवयुग का आरंभ: श्री कृष्ण जो शंख गुरु दक्षिणा में गुरू जन को दे रहे थे। उसे लेने से पहले गुरुदेव ने कहा कि वह इसे बजा कर नए युग का आरंभ करें।

12:23 (IST)08 Apr 2020
अर्जुन का निशाना सटीक

द्रोणाचार्य सभी छात्रों को सिखाते हैं कि एक धनुर्धारी को सिर्फ उसका निशाना दिखना चाहिए। यह गुरू देव सभी बच्चों की परीक्षा के बाद बताते हैं। जिसमें अर्जुन ही पास हो पाते हैं।

12:23 (IST)08 Apr 2020
अर्जुन का निशाना सटीक

द्रोणाचार्य सभी छात्रों को सिखाते हैं कि एक धनुर्धारी को सिर्फ उसका निशाना दिखना चाहिए। यह गुरू देव सभी बच्चों की परीक्षा के बाद बताते हैं। जिसमें अर्जुन ही पास हो पाते हैं।

12:13 (IST)08 Apr 2020
एकलव्य ने अंगूठा काटा

बिना किसी संकोच के एकलव्य अपना अंगूठा काट कर गुरू के चरणों में अर्पित कर देते हैं। एकलव्य के अंगूठे से निकला खून धरती पर गिरा। इस धरती को खून ने लाल करदिया जो आगे कुरूक्षेत्र बना।

12:11 (IST)08 Apr 2020
द्रोणाचार्य से मिले एकलव्य 

द्रोणाचार्य से मिले एकलव्य : एकलव्य बताते हैं कि जो आप राजकुमारों को शिक्षा देते थे तो मैं छिपकर देखता था। द्रोणाचार्य एकलव्य की तारीफ करते हैं। लेकिन वह कहते हैं कि गुरू से शिक्षा लेने के लिए गुरू की इजाजत चाहिए होता है। तो एकलव्य कहते हैं कि उन्होंने आपकी मूर्ति से इजाजत ली। ऐसे में गुरू एकलव्य से दक्षिणा में उनका अंगूठा मांग लेते हैं।

12:07 (IST)08 Apr 2020
गदा कैसे चलाएं सीख रहे पांडव

गदा कैसे चलाएं सीख रहे पांडव: गुरूदेव बताते हैं कि गदा चलाने के अपने नियम होते हैं। वह सही योद्धा नहीं माना जाता जो नियमों का पालन नहीं करता। गदा को कभी भी शत्रु के पेट के नीचे नहीं मारना चाहिए।

11:44 (IST)08 Apr 2020
सुदामा अकेले खा गए सारे चिवड़े...कृष्ण ने कही ये बात

इधर, इतनी तेज बारिश में कान्हा किसी मुसीबत में न फंस जाएं ये सोचकर गुरू मां विलाप कर रही थीं। सुबह जब बारिश रुकी उसके बाद कान्हा ने सुदामा से कहा अरे मित्र पोटली तो ले लो, इस पर सुदामा कहने लगे मुझे माफ कर दो कृष्ण, खाते-खाते मुझे पता ही नहीं चला कि कब चिवड़े समाप्त हो गए। इस बात को सुन कृष्ण मंद मुस्काए और बोले कि ये तुमपर अब उधार रहा।

11:42 (IST)08 Apr 2020
जब स्वार्थी हो गए सुदामा..

इधर श्री कृष्ण की लीला चल रही है। गुरुदेव ने श्री कृष्ण औऱ सुदामा को वन जाकर लकड़ियां चुनने का आदेश दिया है। ऋषि माता दोनों बच्चों को चिवड़ा देती हैं ताकि रास्ते में भूख मिट सके। लकड़ियां चुनकर लाते वक्त रास्ते में तेज बारिश हो जाती है, जिससे कि कान्हा और सुदामा एक पेड़ के सहारे खड़े हो जाते हैं। जंगली जानवरों के भय से दोनों पेड़ पर चढ़ जाते हैं। चिवड़े की पोठली सुदामा के पास होती। ऐसे में सुदामा स्वार्थी हो जाते हैं।

11:41 (IST)08 Apr 2020
अर्जुन ने भीष्मपितामह को बताया , कैसे निकली कुंए से गेंद, हुआ चमत्कार...

अर्जुन दौड़ते हुए राजमहल पहुंते हैं औऱ भीष्मपितामह को सारी कथा बताते हैं। भीष्मपितामह समझ जाते हैं कि वह कोई और नहीं बल्कि द्रोणाचार्य हैं। वह तुरंत कुंए के पास जाते हैं औऱ उन्हें प्रणाम करते हैं।