Mahabharat 7th May 2020 : कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन और सुशर्मा के बीच युद्ध होता है। युधिष्ठर, अर्जुन और सुशर्मा के युद्ध भूमि से दूर जाने पर चर्चा करते हैं और गुरुद्रोण चक्रव्यूह का निर्माण करते हैं। अकेले अर्जुन कई महारथियों को युद्ध के मैदान में एक साथ संभाल रहा होता है। कर्ण, कुलगुरु, द्रोणाचार्य, शल्य, अश्वथामा, शकुनि, दुशासन और दुर्योधन सभी युद्ध के मैदान में इकट्ठा हैं। अभिमन्यु युद्ध के मैदान में सभी से अकेले लड़ रहे हैं। आखिरकार अभिमन्यु रथ से नीचे गिर जाते हैं। कर्ण, दुशासन, शकुनि, दुर्योधन, अश्वथामा सभी अपनी तलवार के साथ अभिमन्यु का इकट्ठा होकर सामना करने के लिए आगे आते हैं।

इधर, गुरुद्रोण पर सब सवाल उठाने लगते हैं कि अर्जुन के इतने समीप होते हुए भी उन्होंने कुछ नहीं किया, बल्कि अर्जुन को कोई उसका भाई बचा कर ले जाए इसका इंतजार किया। दुर्य़ोधन गुस्से में आकर बोलता है कि गुरुदेव को बताना पड़ेगा कि वह किसकी तरफ हैं कौरव या पांडव, आप पर विश्वास किया जा सकता है या नहीं? ऐसे में गुरू द्रोण जवाब देते हैं कि युद्ध हमारे हाथ में है लेकिन परिणाम हमारे हाथ में नहीं। अर्जुन को रणभूमि से हटा कर मैं युधिष्ठर को तुम्हारे हवाले करूंगा। कल मैं एक चक्र का निर्माण करूंगा जिसे सिर्फ अर्जुन तोड़ सकता है और कोई नहीं।

इससे पहले के एपिसोड में दिखाया गया था कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध हो रहा है। सैनिक घायल हो रहे हैं। मारे जा रहे हैं। उधर गुरुद्रोण सैनिकों पर तीर से बम फोड़ रहे हैं। यहां तक की घोड़े भी घायल हो रहे हैं। यह सब देखकर युधिष्ठर गुस्से में आ जाते हैं। वह अर्जुन और भीम से कहते हैं कि गुरुद्रोण को रोको अगर उन्हें नहीं रोका गया तो वह आज हमें पराजित कर देंगे और उन्हें रोक पाना मुश्किल हो जाएगा।

 

Live Blog

20:04 (IST)07 May 2020
रथ से नीचे गिरे अभिमन्यु

कर्ण, कुलगुरु, द्रोणाचार्य, शल्य, अश्वथामा, शकुनि, दुशासन और दुर्योधन सभी युद्ध के मैदान में इकट्ठा हैं। अभिमन्यु युद्ध के मैदान में सभी से अकेले लड़ रहे हैं। आखिरकार अभिमन्यु रथ से नीचे गिर जाते हैं। कर्ण, दुशासन, शकुनि, दुर्योधन, अश्वथामा सभी अपनी तलवार के साथ अभिमन्यु का इकट्ठा होकर सामना करने के लिए सामने आते हैं।

19:53 (IST)07 May 2020
कई महारथियों को युद्ध के मैदान में एक साथ संभाल रहे हैं अर्जुन

कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन और सुशर्मा के बीच युद्ध हो रहा है। युधिष्ठर, अर्जुन और सुशर्मा के युद्ध भूमि से दूर जाने पर चर्चा करते हैं और गुरुद्रोण चक्रव्यूह चलाने की तैयारी में हैं। अकेले अर्जुन कई महारथियों को युद्ध के मैदान में एक साथ संभाल रहे हैं। कर्ण और दुर्योधन अर्जुन का पराक्रम देख रहे हैं। कर्ण, कुलगुरु, द्रोणाचार्य, शल्य, अश्वथामा, शकुनि, दुशासन और दुर्योधन सभी युद्ध के मैदान में इकट्ठा हैं।

19:41 (IST)07 May 2020
अर्जुन और सुशर्मा के बीच शुरू हुआ युद्ध

कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन और सुशर्मा के बीच युद्ध हो रहा है वहीं दूसरी तरफ गुप्तचर को दुर्योधन बंदी बनाकर रखता है लेकिन वह वहां से भाग जाता है और युधिष्ठर के पास पहुंचकर मरते-मरते दुर्योधन की चाल के बारे में बता ही रहा होता है कि उसके प्राण निकल जाते हैं। युधिष्ठर, अर्जुन और सुशर्मा के दूर जाने पर चर्चा कर रहे हैं और गुरुद्रोण चक्रव्यूह चलाने की तैयारी में हैं।

19:28 (IST)07 May 2020
अनर्थ को टालने का सिर्फ एक रास्ता

धृतराष्ट्र विदुर से मिलने देर रात उनके घर जाते हैं। महाराज कहते हैं कि मेरे से आशीर्वाद लेने वालों की संख्या रोजाना कम होती जा रही हैं मुझे तो इस बात का डर है अगर जल्द सबकुछ ठीक नही हुआ तो वो दिन दूर नही जब मुझसे आशीर्वाद लेने के लिए विधवाएं ही रह जाएंगी। महाराज को चिंता में देखकर विदुर धृतराष्ट्र से कहते हैं कि कृपया इस युद्ध को रोक लें तभी अनर्थ को टाला जा सकता है। वासुदेव से रणभूमि में कहिए कि वह युद्ध रोक लें। क्योंकि एक वही हैं जो इस युद्ध को रोक सकते हैं। लेकिन धृतराष्ट्र इंकार कर देते हैं। वह कहते हैं कि मैं ऐसा नहीं कर सकता। अगर मैंने ऐसा किया तो मेरा प्रिय दुर्योधन आत्महत्या कर लेगा।

19:20 (IST)07 May 2020
धृतराष्ट्र को सता रहा है डर

धृतराष्ट्र विदुर से मिलने देर रात उनके घर जाते हैं। विदुर वधु धृतराष्ट्र के पास आशीर्वाद लेने आती हैं। विदुर वधु को देखकर महाराज कहते हैं कि मेरे से आशीर्वाद लेने वालों की संख्या रोजाना कम होती जा रही हैं मुझे तो इस बात का डर है अगर जल्द सबकुछ ठीक नही हुआ तो वो दिन दूर नही जब मुझसे आशीर्वाद लेने के लिए विधवाएं ही रह जाएंगी।

19:14 (IST)07 May 2020
दुर्योधन ने सुशर्मा को झूठा वचन दिया

दुर्योधन महावीर होने के बाद भी कपट को प्राथमिकता दिए हुए है। कपट के चलते दुर्योधन ने युधिष्ठर को बंदी बनाने के लिए द्रोणाचार्य से भी झूठ बोला। दुर्योधन ने सुशर्मा को झूठा वचन दिया है।

19:08 (IST)07 May 2020
दुर्योधन ने बनाई रणनीति

दुर्योधन, त्रिगद महाराज से बात कर रहे होते हैं। दुर्योधन कहते हैं कि मैं चाहता हूं कि कल तुम अर्जुन से युद्ध न लड़ो। यह आचार्य की रणनीति है। तुम अर्जुन को रणभूमि से इतनी दूर लेकर जाओ कि वह शाम से पहले वापस न आ सके। इस दौरान हम युधिष्ठर को बंदी बना लेंगे और युद्ध खत्म हो जाएगा। त्रिगद तैयार हो जाता है।

18:57 (IST)07 May 2020
महाभारत 7 अप्रैल शाम का एपिसोड

महाभारत में अब तक आपने देखा अर्जुन युद्ध की ललकार को स्वीकार करते हैं। युद्ध करते करते अर्जुन बहुत आगे निकल जाते हैं। युधिष्ठर चिंता जताते हैं कि अर्जुन बहुत दूर निकल गए हैं अगर इस बीच दुर्योधन ने मुझे बंदी बना लिया तो हम युद्ध हार जाएंगे। इस चिंता को लेकर जब युधिष्ठर अपने भाइयों के साथ संवाद कर रहे होते हैं तब सहदेव और भीम कहते हैं कि आपको हम पर संदेह है कि हम आपकी रक्षा नहीं कर सकते। तभी वह बताते हैं कि इन लोगों के शस्त्रों का सामना सिर्फ अर्जुन ही कर सकते हैं।

13:02 (IST)07 May 2020
दुर्योधन का झूठा वचन..

अब कौरवों के बीच बातचीत होती है और सलाह बनाईजाती है कि कौन कल के युद्ध में जाएगा और कौन नहीं। युद्ध की रणनीति बनाई जाती है। 'दुर्य़ोधन ने कपट से दुर्त बनाई बात, वचन दिया झूठा सवयं, किया मित्र से घात। 

12:51 (IST)07 May 2020
गुरुद्रोण बनाएंगे चक्रव्यूह

इधर कुछ सैनिक छिप कर युधिष्ठर के पास जाते दिख जाते हैं जिन्हें गुरुद्रोण पकड़ लेते है। तभी गुरूदेव पूछते हैं कि बताओ क्यों जा रहे थे। ऐसे में सैनिक बताते हैं आप अपना कर्तव्य भूल गए हैं। आपका कर्तव्य हस्तिनापुर की तरफ ज्यादा था लेकिन आपका इस वक्त साराध्यान महाराज और युवराज की तरफ है। गुरुद्रोण कहते हैं हे सैनिक तुम्हारी निष्ठा सराहनीय ह। लेकिन मैं तुम्हें वहां नहीं जाने दे सकता। दरअसल, सैनिक युधिष्ठर को बताने जा रहा होता है कि कल गुरूदेव एक चक्रव्यूह बनाने जा रहे हैं, जिसे सिर्फ अर्जुन तोड़ सकते हैं

12:41 (IST)07 May 2020
गुरुद्रोण ने दुर्य़ोधन से कहा- युधिष्ठर को बंदी बना कर तुम्हारे हवाले करूंगा

इधर, गुरुद्रोण पर सब सवाल उठाने लगते हैं कि अर्जुन के इतने समीप होते हुए भी उन्होंने कुछ नहीं किया, बल्कि अर्जुन को कोई उसका भाई बचा कर ले जाए इसका इंतजार किया। दुर्य़ोधन गुस्से में आकर बोलता है कि गुरुदेव को बताना पड़ेगा कि  वह किसकी तरफ हैं कौरव या पांडव, आप पर विश्वास कियाजा सकता है या नहीं? ऐसे में गुरू द्रोण जवाब देते हैं कि युद्ध हमारे हाथ में है लेकिन परिणाम हमारे हाथ में नहीं। अर्जुन को रणभूमि से हटा कर मैं तुम्हें युधिष्ठर  को तुम्हारे हवाले करूंगा। कल मैं एक चक्र का निर्माण करूंगा जिसे सिर्फ अर्जुन तोड़सकता है और कोई नहीं।

12:36 (IST)07 May 2020
संध्या शंखनाद के बाद रोका गया युद्ध..

इधर अर्जुन पर हमला हो चुका है। अर्जुन कौरवों के फैलाए जाल में फंस गए हैं।एक के बाद एक उऩके सारे अस्त्र शस्त्र टूटने लगे हैं। खतरा बढ़ ही रहा होता है, तभी फिर से शंखनाद होता है और संध्या होने का इशारा मिलता है। युद्ध को वहीं रोका जाता है।

12:28 (IST)07 May 2020
दुर्योधन ने य़ुधिष्ठर को बंदी बना लिया तो युद्ध हार जाएंगे पांडव 

अर्जुन युद्ध की ललकार को स्वीकार करते हैं। युद्ध करते करते अर्जुन बहुत आगे निकल जाते हैं। युधिष्ठर चिंता जताते हैं कि अर्जुन बहुत दूर निकल गए हैं अगर इस बीच दुर्योधन ने य़ुधिष्ठर को बंदी बना लिया तो हम युद्ध हार जाएंगे। इस चिंता को जब युधिष्ठर अपने भाइयों से संवाद कर रहे होते हैं तब सहदेव और भीम कहते हैं कि आपको हमपर संदेह है कि हम आपकी रक्षा नहीं कर सकते। तभी वह बताते हैं कि इन लोगों के शस्त्रों का सामना अर्जुन कर सकते हैं।

12:22 (IST)07 May 2020
शंखनाद के साथ शुरू हुआ युद्धभूमि में फिर से खूनखराबे का तांडव

कौरव पांडव की सेना एक बार फिर से युद्धभूमि में उतरती है। चारों तरफ हड़कंप मच जाता है। तेजी से धूल उड़ाते घोड़े दौड़ते हैम। तलवारें चलती हैं। चमकती धूप में चमकती नंगी तलवारें हाड मांस के साथ चीर फाड़ करने लगती हैं। बम गोले दागे जाने लगते हैं। आगजनी होती है। अब अर्जुन को ललकारा जाता है। 

12:10 (IST)07 May 2020
दुर्योधन पूछ रहे हैं कहां हैं गुरू द्रोण

दुर्योधन द्वारपाल से पूछते हैं कि गुरू द्रोण ने तुम्हें बताया कि वह कहां गए हैंँ? द्वारपाल कहता है महाराज हमें कुछ नहीं पता। तभी शकुणी फिर अपनी नाक घुसाते हुए कहते हैं कि पांडवों को नई चाल सिखाने गए होंगे। ऐसे में शकुणी को कहा जाता है कि गुरू द्रोण ऐसा नहीं कर सकते। शकुणी को चेताया जाता है कि भीष्म पितामह और गुरू द्रोण का आदर सहित नाम लिया करें। शकुणी कहते हैं कि वह तुम्हारी तरह निष्ठावान नही हैं। और मेरा आदर इतना सस्ता नहीं कि किसी को भी मिल जाए। इधर अंगराज को दुर्य़ोधन कहते हैं कि तुम दूसरी तरफ से बोल रहे हो तो जाओ तुम मेरी मित्रता से आजाद हो।