प्रियंका चोपड़ा, कंगना रनौत और मुग्धा गोडसे स्टारर फिल्म ‘फैशन’ के डायरेक्टर मधुर भंडारकर को करियर के शुरुआती सालों में काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। आज वह जिस मुकाम पर हैं इसका श्रेय उनकी मेहनत और लगन को जाता है। मधुर की बॉलीवुड में कोई पहचान नहीं थी। उन्होंने जीवन-यापन के लिए तमाम छोटे-बड़े काम किये, लेकिन अपने लक्ष्य को कभी नहीं भूले। इसी की बदौलत आज उनकी गिनती बॉलीवुड के सर्वश्रेष्ठ डायरेक्टर्स में होती है।
मधुर ने कभी Traffic Signal पर सामान बेचा तो कभी बार में काम कर कर गुजारा किया। एक इंटरव्यू में खुद मधुर ने इस बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनका परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर था। इसी के चलते वे छठीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाए। मधुर ने बताया- मुझे बहुत बुरा लगता था और अभी भी लगता है जब मैं अपने आप को पीछे मुड़कर देखता हूं। मैं यूथ से कहता हूं कि ये मत सोचो कि मधुर भंडारकर ने पढ़ाई नहीं की और वो द मधुर भंडारकर बन गया। मैं चाहूंगा कि वो पढ़ें।
मधुर बताते हैं कि उनके मन में आज भी मलाल है कि वो ग्रेजुएट नहीं हैं। उन्होंने कहा- पढ़ाई ज्यादा हुई नहीं मेरी लाईफ में। मैं मिडिल क्लास फैमिली से था। परिस्थिती ऐसी आई कि मुझे खुद वीडियो कैसेट्स का बिजनेस करना पड़ा। लेकिन ऐसा वक्त भी आया जब वीडियो कैसेट्स का काम भी ठप पड़ गया।
कभी traffic signal पर सामान बेच कर तो कभी बार में काम कर गुजारा दिन, एक फिल्म ने बदल दी Madhur Bhandarkar की कहानी, संघर्ष भरा रहा इनका जीवन@imbhandarkar#SundayStruggle #AajNEWJDekhaKya pic.twitter.com/eYHMpu4xcu
— NEWJ (@NEWJplus) February 14, 2021
मधुर ने बताया कि मेरा सपना था कि मैं FTII जाऊं और वहां से कोर्स करूं, कोशिश भी की। लेकिन मैं ग्रेजुएट नहीं था तो उन्होंने मुझे लेने से मना कर दिया। टेक्निकल स्किल्स की वजह से मैं पीछे रह गया था। कंप्यूटर चलाना भी नहीं आता था मुझे, आज भी नहीं आता। लेकिन मुझे इस बात की खुशी होती है कि मैंने खुद को इतने अच्छी तरह से खड़ा किया कि, मैं सिनेमा के माध्यम की बात कर रहा हूं। और फिर मुझे लगा कि मैं डायरेक्टर बनना चाहता हूं। कभी कभी सही टाइम और सही मेहनत रंग ले आती है।
उन्होंने आगे बताया- ऐसे में मैंने कई छोटे मोटे फिल्म डायरेक्टर्स को जॉइन किया और उन्हें असिस्ट किया। तो वहां मुझे 30 रुपए मिल जाते थे। कन्वेंस में काम मिलता था। हमको बुलाया जाता था कि आ जाओ, तो हम वहां पर एक्टर के पीछे सेंडल पकड़ कर खड़े हो जाते थे, कभी पोछा मार दिया तो कभी लाइट पकड़कर खड़े हो गए। थर्माकोल लेकर खड़े हो गए, एक्टर को जाकर बुलाओ रूम से… ये चीजें करीं।
मधुर ने आगे बताया- मेरा ख्वाब था मैं FTII जाऊं और वहां से कोर्स करूं पर मैं ग्रेजुएट नहीं था। तो उसके बाद मैं फिर FTII गया था, जज बनकर पैनल में। मेरे ख्याल से हमेशा पैशन, काबिलियत, काम अपने आप में होता है। अगर आपको लगता है कि आप वो कर पाओगे, आपमें वो जज्बा है, जुनून है तो वो हो सकता है।