रेटिंग-ढाई
कलाकार- कार्तिक आर्यन, सारा अली खान, आरुषि शर्मा, रणदीप हुडा।
दूसरे लोगों की तरह फिल्मकार और निर्देशक भी आत्मसम्मोहन के शिकार होते हैं और अपने ही किए पर फिदा होते रहते हैं। बीता वक्त उनके ऊपर हावी रहता है। शायद इम्तियाज अली के साथ भी यही बात है। 2009 में उन्होंने सैफ अली खान और दीपिका पादुकोण के साथ ‘लव आजकल’ बनाई थी जो सफल हुई थी। ग्यारह साल तक वे अपनी ही बनाई इस फिल्म से इतने मुग्ध रहे कि इसे फिर से बना डाली। उसी नाम से। यानी ‘लव आजकल’। और कहानी भी वही है। बस स्थान और किरदार बदल गए हैं। इस बार नया यह भी है कि सैफ अली खान की बेटी हीरोइन बन के आ गई हैं। यानी सारा अली खान। और सैफ की जगह कार्तिक आर्यन आ गए हैं। हां, डायलाग भी बदल गए हैं। इसलिए कि 2009 के बाद जमाना बदल गया है। युवा लड़के और लड़किया खुल कर और उन शब्दों का इस्तेमाल करने लगे हैं जिनको आम तौर पर गाली कहा जाता हैं। यौन व्यवहार में भी अधिक उन्मुक्तता आ गई है।
सब भी इस फिल्म में है। पर कुलमिलाकर फिल्म में नया पन कम है। पुराने ‘लव आजकल’ की तरह नए ‘लव आजकल’ में भी दो वक्तों की कहानी है। एक वक्त है रघु (कार्तिक आर्यन) और लीना (आरुषि शर्मा) का जो 1990 के करीब का है। और दूसरा वक्त है आज का यानी 2020 का जिसमें वीर (कार्तिक आर्यन) और जोए चौहान (सारा अली खान) में हैं।
उदयपुर में रहनेवाला 1990 का प्रेमी वीर इतना लल्लू और झेंपू है कि अपनी प्रेमिका के साथ छत पर पकड़े जाने पर लोगों से बचने के लिए भाग भी नहीं पाता। और लीना भी सकुचाई सी रहनेवाली लड़की है। मानो, जबर्दस्ती प्रेम की गली में धकेल दी गई है। तीस बरस के बाद की कहानी में वीर कुछ कुछ, पर पूरी तरह से नहीं, लल्लू जैसा ही है, पर लड़की यानी जोए एकदम बोल्ड है। ब्यूटीफुल भी। किससे और कब प्रेम किया जाए इसे लेकर उसके फंडे साफ है। वह बाईस साल की है और अभी करिअॅर पर ध्यान देना चाहती है और पांच साल के बाद किसी लड़के के साथ सेटल होना चाहती है। इसलिए जब तक करिअॅर सेटल न हो जाए बॉयफ्रेंड रखने में परहेज नहीं है।
लेकिन लव ऐसी चीज है जो हो जाता है और इसी के कारण वो वीर से फ्लर्ट करते करते प्रेम भी करने लगती है। पर फिर करिअॅर का विचार आता है ओर वह उसे छोड़कर चली भी जाती है। क्या वह फिर उससे मिलेगी और दोनों एक दूजे के होंगे? फिल्म में रणदीप हुडा की एक अच्छी भूमिका है। लव गुरु राज के रूप में। असल में तीस साल पहले का वीर ही अब राज बन चुका है। वह एक कैफे चलाता है जहां युवा लोग मिलते हैं और वो उनको कब किससे प्रेम किया जाए इसके बारे में बिना मांगे सलाह दिया करता है। वो अपनी कहानी भी जोए को सुनाता है।
‘लव आजकल’ अगर सारा अली खान का फिल्मी करिअॅर उठाने के लिए बनाई गई है तो निर्देशक अपने मकसद में कामयाब हुआ है। सारा अली खान ने वो भूमिका निभाई है जिससे आज के जवान लड़के और लड़कियां अपने दौर का महसूस करेंगे। एक ऐसी लड़की जो अपने शरीर को दिखाना चाहती है। खुल कर अपने बारे में बोल सकती है। लेकिन कार्तिक आर्यन फीके लगे हैं। दोनों ही भूमिकाओं में। यानी दौर में वे झेंपू लगे हैं। इम्तियाज अली ने उनके कॉस्ट्यूम पर भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। लगता है 1990 वाला रघु वीर बन के आ गया है। ये हकीकत भी नहीं है कि 1990 में भारतीय युवा वर्ग में वो बदलाव आना शुरू हो गया था जो आज दिखता है। इम्तियाज अली ने 1990 के 1960 समझ लिया है जिसके कारण उस वक्त का समय प्रामाणिक यहां नहीं दिखता है।