एक्ट्रेस लिसा रे कैंसर के दर्द से गुजर चुकी हैं और इस बीमारी ने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदलकर रख दी। एक्ट्रेस इस बीमारी को लेकर जागरूकता शेयर करती रहती हैं और सोशल मीडिया पर अपने एक्सपीरियंस भी शेयर करती रहती हैं।
लिसा रे ने हाल ही में बताया कि उन्हें 37 साल की उम्र में मेनोपॉज हो गया था। एक्ट्रेस ने बताया कि कैंसर के इलाज से कैसे उनके पीरियड्स समय से पहले ही बंद हो गए थे।
लिसा रे ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “शायद इसलिए मैं अब 53 की उम्र में खुलकर बोल रही हूं, और उस सच्चाई को अपना रही हूं जो इस उम्र में आती है।”
अधिकतर महिलाओं के लिए मेनोपॉज उस वक्त आता है जब वो मिड लाइफ में होती हैं, यानी कि 45 से 50 के बीच। लेकिन एक्ट्रेस और कैंसर सर्वाइवर लिसा रे को 37 साल की उम्र में कीमोथेरेपी की वजह से मेनोपॉज हो गया था।
लिसा ने अपनी कहानी इंस्टाग्राम पर शेयर की है जो लोगों को इंस्पायर कर रही है। उन्होंने लिखा, “ये मैं हूं, मेनोपॉज में। मेनोपॉज की कोई एक शक्ल नहीं होती… मैं 37 साल की उम्र में कीमोथेरेपी की वजह से समय से पहले मेनोपॉज में चली गई।”
लिसा ने बताया, “उस समय मेरे लिए ये सबसे छोटी चिंता थी, क्योंकि मुझे Multiple Myeloma (एक तरह का ब्लड कैंसर) से जूझना था… लेकिन जब मैं ठीक हुई, तब समझ आया कि अचानक 37 साल में मेनोपॉज में जाना क्या मायने रखता है। और उस समय मेरे पास बात करने वाला कोई नहीं था।”
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लिसा ने कहा कि वो अब 53 की उम्र में इसलिए खुलकर बोल रही हैं जिससे उन महिलाओं को मजबूती मिले जो इस अनकही सच्चाई से जूझ रही हैं।
कीमोथेरेपी-इंड्यूस्ड मेनोपॉज क्या होता है?
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए डॉ. चेतना जैन, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल्स (गुरुग्राम) की डायरेक्टर (गायनेकोलॉजी विभाग), ने कहा, “कीमोथेरेपी से होने वाला मेनोपॉज कई महिलाओं के लिए एक बड़ा और जीवन बदलने वाला अनुभव होता है।”
डॉक्टर ने बताया कि कीमोथेरेपी सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को ही नहीं, बल्कि शरीर की दूसरी स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाती है- जैसे कि अंडाशय की कोशिकाएं। इसका असर यह होता है कि अंडाशय हार्मोन बनाना बंद कर देते हैं, जिससे शरीर अचानक मेनोपॉज में चला जाता है।
इसे ‘Iatrogenic menopause’ या ‘Chemotherapy-induced ovarian failure’ भी कहा जाता है। डॉक्टर ने बताया कि कुछ महिलाओं के लिए यह बदलाव अस्थायी होता है। लेकिन खासकर 40 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए यह अक्सर स्थायी हो जाता है। 30 साल से कम उम्र की महिलाओं में इलाज के बाद पीरियड्स लौटने की संभावना ज्यादा होती है।
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