बॉलीवुड की धक-धक गर्ल कही जाने वाली माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) 90 के दशक में अपने करियर की ऊंचाइयों पर थीं। साल 1984 में ‘अबोध’ से फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाली माधुरी (Madhuri) ने अपने अभिनय से ये बता दिया था कि आने वाला समय उन्हीं का है। और हुआ भी ऐसा। ‘अबोध’ के रिलीज के 4 साल बाद उनकी अगली फिल्म ‘तेबाज’ से माधुरी ने वो मुकाम हासिल किया जिसका उनको वर्षों से इंतजार था। हालांकि इन चार सालों में उनकी 8 फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फेस हुईं थीं। इसके बाद 1988 में माधुरी की रिलीज हुईं दो फिल्में ‘दयावान’ और ‘खतरों के खिलाड़ी’ भी बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर गईं।

देखते देखते ‘राम लखन’, ‘हम आपके हैं कौन’ जैसी फिल्मों में अपनी खूबसूरती और अभिनय से उस वक्त की डिमांडिंग एक्ट्रेस में शुमार हो चुकी थीं। यही कारण रहा कि उस वक्त की बेहतरीन अभिनेत्रियां भी उनके साथ काम करना काफी चुनौतीपूर्ण मानती थीं। इसी प्रसंग से जुड़ा एक किस्सा जूही चावला ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू के दौरान किया था।

जूही चावला (Juhi Chawla) ने कहा था कि साल 1997 में आई यश चौपड़ा की फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के लिए माधुरी दीक्षित के अलावा दूसरी अभिनेत्री के किरदार के लिए उनके नाम को फाइनल किया था। लेकिन जूही चावला ने करने से मना कर दिया था। जूही चावला ने इसके कारण का खुलासा करते हुए कहा था कि वह माधुरी दीक्षित के साथ प्रतिस्पर्धा से डर गईं थीं। वह नहीं चाहती थी कि मुख्य रोल में माधुरी दीक्षित के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा हो। इसलिए उस फिल्म को करने से जूही चावला ने इंकार कर दिया था।

गौरतलब है कि माधुरी दीक्षित ने तेजाब, राम लखन, हम आपके हैं कौन, मृत्युदंड, दिल तो पागल है, ना काहू से दोस्ती, देवदास जैसी करियर की कुछ यादगार फिल्में दी हैं। ये फिल्में माधुरी दीक्षित के दिल के करीब हैं। बता दें अपने 30 साल के फ़िल्मी करियर में माधुरी ने कई यादगार फ़िल्में दीं। उन्होंने 6 फ़िल्मफेयर अवार्ड जीत चुकीं माधुरी को भारत सरकार ने पद्मश्री से भी नवाज़ा है। साल 1999 डॉक्टर श्रीराम माधव नेने से शादी के बाद माधुरी दीक्षित ने फ़िल्मों से कुछ दूरी बना ली थी।