भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) की तरफ़ से जारी ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के पोस्टर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर न होने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस की तरफ़ से इसकी आलोचना की गई है। सोशल मीडिया पर एक वर्ग इसकी जमकर आलोचना कर रहा है। वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने भी आईसीएचआर के पोस्टर पर आपत्ति जताई जिसके बाद बॉलीवुड फिल्ममेकर अशोक पंडित ने उन पर पलटवार किया है।
आशुतोष ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, ‘जिन्हें नेहरू से डर लगता है वही उनकी तस्वीर नहीं लगाते।’ उनके इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए अशोक पंडित ने लिखा, ‘चलो, तुम ही लगाकर खुश हो जाओ।’
अशोक पंडित के अलावा आशुतोष के ट्वीट पर यूजर्स की ढेरों प्रतिक्रिया मिल रही है। राजेश कुमार नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘नेहरू की तस्वीर हटाकर ये इतिहास नहीं बदल सकते।’ अनुराग सिंह राणा नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘कितनी बार नेहरू की ही तस्वीर लगाएं? लाखों ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी, थोड़ी कृपा उन पर भी हो, जिनको कभी याद नहीं किया गया।’
श्याम नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘रावण ने भगवान राम से कहा कि भले ही आज मेरा अहंकार मरा है लेकिन जब तक यह संसार है, मैं अमर हूं क्योंकि जब तक राम का नाम है, तब तक मैं हूं। ठीक उसी प्रकार नेहरू का नाम कहीं से भी हटा दो, लेकिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री तो नेहरूजी ही रहेंगे। यह भारत का इतिहास है जिसे संसार की कोई ताकत नहीं मिटा सकती।’
आईसीएचआर के पोस्टर से नेहरू की तस्वीर गायब रहने पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने आईसीएचआर की वेबसाइट का एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘ये सिर्फ़ निंदनीय नहीं बल्कि इतिहास के विरुद्ध भी है कि भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण आवाज रहे जवाहरलाल नेहरू को हटाकर आजादी का जश्न मनाया जाए। आईसीएचआर ने एक बार फिर अपना ही नाम खराब किया है। ये एक आदत बनती जा रही है।’
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी नेहरू की तस्वीर हटाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा कि पोस्टर से तस्वीर हटाई जा सकती है लेकिन न तो आजाद के आंदोलन में उनके योगदान को भुला जा सकता है और न ही आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में उनकी छवि को मिटाया जा सकता है।