JLF 2024: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज हो चुका है। 1 फरवरी को शुरू हुआ ये फेस्टिवल 5 फरवरी तक चलने वाला है। साहित्य के इस महाकुंभ में देश-विदेश से 550 से अधिक लेखक, वक्ता आदि शामिल हो रहे हैं। इस फेस्टिवल का उद्घाटन राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने किया। भारत के जाने माने गीतकार गुलजार ने समां बांधा। उन्होंने अपने किताब का विमोचन भी किया गया।

बाल-ओ-पारः द बीटिंग हार्ट ऑफ पोएट्री सेशन में गुलजार ने रक्षअन्दा जलील और पवन वर्मा के साथ बातचीत की। रक्षाअन्दा और गुलजार ने उनकी किताब पर साथ में काम किया। गुलजार ने बताया कि कोरोना काल में उन्होंने वीडियो कॉल के माध्यम से रक्षअन्दा जलील के साथ जुड़कर किताब पर काम किया। उन्होंने ये भी बताया किताब के लिए उन्होंने वीडियो कॉल करना सीखा।

इस दौरान पवन वर्मा ने ट्रांसलेशन के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि ट्रांसलेशन इत्र को एक बोतल से निकालकर दूसरी बोतल में डालने जैसा है। जिसमें थोड़ा इत्र बिखर जाता है। इसपर गुलजार ने कहा,”इत्र भले ही थोड़ा बिखर जाए लेकिन खुखबू नहीं जाती।”

गुलजार ने अपनी लिखी खूबसूरत पंक्तियां भी सुनाई। जो थी…”जिस्म सौ बार जले तब भी मिट्टी का ढेला,
रूह एक बार जले तो कुंदन ही होगी और फिर वह एक बाद सुनाते चले गए…मैं गमला ढूंढ रहा हूं, मुझे एक लफ्ज बोना है। मैं अक्सर जिक्र सुनता हूं मगर मानी नहीं आते, उगे तो शायद उसका कोई रंग. निकले या कोई पहचान खुशबू की कोई पत्ती या कोंपल निकले तो आकार से शायद समझ आए…”

इस फेस्टिवल में शास्‍त्रीय गायिका कलापिनी कोमकली ने भी राग भैरवी गाई। इसके बाद मीरा और कबीर के भजन से माहौल भक्तिमय हो गया।