अमिताभ बच्चन ने गांधी परिवार से अपनी नजदीकियों के चलते राजनीति में कदम तो रखा लेकिन जल्द ही वो राजनीति से दूर हो गए। लेकिन उनकी पत्नी जया बच्चन ने राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया है। समाजवादी पार्टी की तरफ से वो चार बार राज्यसभा सांसद चुनी गईं। जया बच्चन जब पहली बार राज्यसभा की सदस्य बनीं और प्रभु चावला के शो में पहुंचीं थीं तब उन्होंने कहा था कि वो नेता नहीं हैं बल्कि समर्थक हैं। उनकी इस बात पर प्रभु चावला ने उनसे पूछ लिया था कि क्या उन्होंने राज्यसभा जाकर गलती कर दी जिस पर जया बच्चन बिफर पड़ी थीं।
प्रभु चावला आज तक के शो, ‘सीधी बात’ में उनसे पूछा था कि वो नेता क्यों बनीं? जवाब में जया बच्चन ने कहा था, ‘नेता तो नहीं बनी, समर्थन बनी।’ प्रभु चावला ने फिर कहा था, ‘समर्थक नहीं, आप समाजवादी पार्टी की सदस्य बनीं, राज्यसभा की मेंबर बनीं।’ उन्हें रोकते हुए जया बच्चन ने कहा था, ‘तो उससे नेता बन जाते हैं लोग? आप सोचते हैं कि एमएफ हुसैन साहब, लता मंगेशकर, दिलीप कुमार ये सब नेता हैं?’
प्रभु चावला ने कहा था, ‘वो सब नॉमिनेटेड हैं, आप पार्टी की सदस्य हैं। तो आप राज्य सभा में क्या कर रही हैं? मुलायम सिंह यादव ने आपसे कुछ एक्सपेक्ट किया होगा तभी तो भेजा है न वहां। आप आंखें नीछे कर रही हैं, लगता है आपने राज्यसभा में जाकर गलती कर दी।’
जया बच्चन ने नाराज होते हुए कहा था, ‘प्रभु जी बात ये है कि जिंदगी में कभी कोई ऐसा काम मैं करती नहीं हूं जो मुझे गलती लगे। काम पूरे हिम्मत से करती हूं, सोच कर करती हूं। राजनीति में आने का मेरा मकसद था, समाजसेवा करना और अपने लोगों का साथ देना।’
जया बच्चन जब पहली बार समाजवादी पार्टी की तरफ से राज्य सभा सांसद बनीं तब वो उत्तर प्रदेश फिल्म डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे रही थीं। कांग्रेस ने इस बात का विरोध किया और तत्कालीन राष्ट्रपति ने जया बच्चन से राज्यसभा का पद छोड़ने के लिए कहा जिसके बाद बच्चन ने साल 2006 में अपना पद छोड़ दिया था। लेकिन इसी साल वो फिर से राज्यसभा की सांसद बनीं थीं।
वहीं अमिताभ बच्चन राजीव गांधी से दोस्ती के कारण राजनीति में आए और साल 1984 में उन्होंने इलाहबाद सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। वो जीत गए थे हालांकि जल्द ही उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया था।
