अमिताभ बच्चन और जया भादुरी की शादी अनोखी परिस्थितियों में हुई थी। 1973 की ब्लॉकबस्टर फिल्म जंजीर की सफलता के बाद फिल्म के निर्माता ने अमिताभ बच्चन और उस वक्त उनकी गर्लफ्रेंड रही जया भादुरी के लिए लंदन की यात्रा का वादा किया था। यह फिल्म अमिताभ के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई और उस समय की सबसे ज्यादा कमाई वाली फिल्म बनी, जिससे यह यात्रा और खास बन गई।

लेकिन यात्रा से ठीक पहले, अमिताभ के माता-पिता को यह असुविधाजनक लगा कि दोनों बिना शादी किए साथ में यात्रा करें। समाधान सरल था: जोड़े ने 3 जून 1973 को निजी समारोह में शादी कर ली, ताकि वे बिना किसी आलोचना के लंदन की यात्रा कर सकें। दशकों बाद भी उनका रिश्ता मजबूत है।

हाल ही में जया बच्चन ने मोजो स्टोरी के लिए बरखा दत्त से बातचीत में अपने संबंधों पर खुलकर बात की। उन्होंने स्वीकार किया कि वह और अमिताभ “एक-दूसरे से बहुत अलग हैं।”

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जोक करते हुए उन्होंने कहा- “सोच सकते हैं अगर मैंने खुद जैसे किसी से शादी की होती? वह वृंदावन में होते और मैं कहीं और!”

जया ने विस्तार से कहा- “वह बोलते नहीं हैं। वह अपनी राय खुलकर नहीं रखते जैसे मैं करती हूं। वह चीज़ें अपने अंदर रखते हैं, लेकिन जानते हैं सही समय और सही तरीके से क्या कहना है- जो मैं नहीं कर पाती। वह अलग व्यक्तित्व हैं।”

हंसते हुए उन्होंने जोड़ा, “शायद इसलिए मैंने उनसे शादी की।”

अमिताभ के बारे में उनकी सबसे पसंदीदा चीज़ों में से एक उनकी अनुशासनप्रियता है। उन्होंने मजाक में कहा, “मैंने कभी उनसे शादी पर उनकी राय नहीं पूछी। शायद वह इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती कहेंगे लेकिन मैं नहीं सुनना चाहती।”

सामान्यतः निजी रहने वाली जया इस बातचीत में असामान्य रूप से खुल गईं। उन्होंने बताया कि उनके लिए यह पहली नजर का प्यार था। एक सवाल पर उन्होंने हंसते हुए कहा- “संसद में इतना चिल्लाने के कारण मेरी सुनने की क्षमता थोड़ी कम हो गई है। भगवान का शुक्र है कि मैंने अपना दिमाग नहीं खोया सिर्फ थोड़ी सुनाई देना थोड़ा कम हो रहा है।”

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जया ने राजनीति में अपने प्रवेश को याद किया, जो अमिताभ की छोटी और परेशान करने वाली राजनीतिक यात्रा के बाद हुआ। “जब मैं सार्वजनिक जीवन में आना चाहती थी, मेरे परिवार को खुशी नहीं थी। नहीं कि वे सोचते थे कि मैं गलत हूं, बल्कि वे डरते थे कि मैं कुछ भी बोल डालूंगी।”

अमिताभ के संसद में समय के बारे में उन्होंने कहा- “वह जरूर परेशान रहे होंगे। उनके पास राय थी, लेकिन मुझे नहीं लगता कि उन्होंने उसे व्यक्त करने के लिए यह मंच सही समझा। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ताI अपनी राय व्यक्त करती हूं। मैं पत्रकार की बेटी हूं, यह मत भूलिए।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने पति का राजनीतिक सफर समर्थन किया, तो जया ने कहा- “मैंने उनका समर्थन किया। मैंने घर-घर जाकर प्रचार किया उस समय ऐसा कोई नहीं करता था। मेरा मानना था कि देश ने आपको जो बनाया है, उसके लिए आप देश के प्रति कुछ देना चाहिए।”

अमिताभ बच्चन ने 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या और उसके बाद हुए सिख विरोधी दंगों के बाद राजनीति में कदम रखा। उनके करीबी दोस्त राजीव गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली और अमिताभ से इलाहाबाद से चुनाव लड़ने के लिए कहा। अभिनेता ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की, लेकिन बाद में अपनी राजनीतिक भागीदारी को “भावनात्मक” और “गलती” बताया। उन्हें बॉफोर्स कांड में भी नामित किया गया।

CBI ने 2004 में राजीव गांधी को और 2012 में स्वीडिश व्हिसलब्लोअर को क्लीन चिट दी। हालांकि, अभिनेता ने कहा कि उन्हें लंबे समय तक “धोखे और झूठ के बोझ” के तहत जीना पड़ा। इसके बाद अमिताभ ने राजनीति से दूर रहने का निर्णय लिया।