बॉलीवुड खुद को भूल गया है, वो अब पहले जैसी फिल्में नहीं बना पा रहा है… साउथ में असली फिल्में बन रही हैं, दर्शकों को तगड़ी वाली मौज मिल रही है। आपके मन में, हमारे मन में, क्रिटिक्स के मन में, इंडस्ट्री से कई लोगों के मन में ये बात आई थी। लेकिन दिक्कत ये रही कि बस बात आई, एक्शन नहीं हुआ, इसलिए लगातार घिसी-पिटी कहानियों को ही सुनाते रहे। हां गदर 2 ने कमाल किया, लेकिन वो नॉस्टेलजिक फैक्टर पर ज्यादा खेली… अब साउथ के एक डायरेक्टर हैं, नाम है एटली। कोई बहुत ज्यादा फिल्में डायरेक्ट नहीं की हैं, लेकिन जितनी भी की, सारी हिट। पता नहीं कौन सा फॉर्मूला है उनके पास कि हर कहानी स्क्रीन पर गर्दा उड़ा देती है। अब उन्होंने एक बड़ा एक्सपेरिमेंट किया, बॉलीवुड के शाहरुख खान से हाथ मिलाया, मतलब मसाले का रोमांस किंग के साथ मिलन हो गया। इसी का रिजल्ट जवान है। लेकिन रिजल्ट तो पास या फेल कुछ भी हो सकता है…. तो बस सच से पर्दा हम उठा देते हैं।

कहानी

जवान की कहानी बताने का मतलब है कि सारे स्पॉइलर्स एक बार में आपके सामने रख दें। ये गलती नहीं करना चाहता हूं, ऐसे में टुकड़ों में कई सारी बातें बता रहा हूं, कड़ियां आप खुद जोड़ते रहिएगा। जवान का ट्रेलर देखकर आपको शाहरुख खान के कुल चार लुक दिखे थे, एक क्लीन शेव वाला जिसमें उनका स्वैग अलग ही लेवल का लगा। उस किरदार का नाम आजाद है, जो एक जेलर है, यानी कि महिला कैदियों वाली जेल का हेड। दूसरे लुक में शाहरुख खान गंजे दिखाए गए हैं, ट्रेन को हाईजैक कर रखा है, उसका अपना एक मिशन चल रहा है। फिर एक मूंछों को ताव देने वाले आर्मी जवान हैं, नाम- विक्रम राठौर। ट्रेलर के एंड में एक बूढ़ें शाहरुख भी दिखे हैं जिनके सफेद बाल हैं और जो कुछ लोगों की भयंकर कुटाई कर रहे हैं। अब ये बता सकते हैं कि ये सारे ही किरदार फिल्म के लिहाज से बहुत जरूरी हैं।

अब कहानी की दूसरी कड़ी। इस देश में आम लोगों की कितनी सारी दिक्कते हैं, चाय की टपरी पर किन बातों पर चर्चा होती है- महंगाई, करप्शन, किसानों की हत्या…मतलब सरकारें बदल जाती हैं, लेकिन ये मुद्दे बने रहते हैं क्योंकि अगले पांच साल के लिए फिर वोट मांगना होता है। अब फिल्म में ये सारे मुद्दे उठाए गए हैं, कौन उठा रहा है, क्यों उठा रहा है, किस अंदाज में उठा रहा है, ये राज बड़े पर्दे पर ही खुले तो बेहतर। इन कड़ियों में एक बहुत जरूरी रोल लेडी गैंग का भी है। इसे भी ट्रेलर में आप देख चुके हैं, हाथों में बंदूक, मुंह से निकलता YES CHIEF और ढेर सारा एक्शन, मतलब इनके बिना जवान के बारे में आप सोच नहीं सकते हैं। इस लेडी गैंग की अपनी एक कहानी है, वो कहानी ही इन्हें इनके चीफ तक लेकर जाती है और फिर इनके हाथ में हथियार आ जाते हैं।

तीसरी कड़ी की बात करें तो ये आर्म्स डीलर काली की है। फिल्म में काली का रोल साउथ सुपरस्टार विजय सेतुपति निभा रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि वो फिल्म में विलेन बनकर आए हैं, कोई स्पॉइलर नहीं है, पहले से ही आप सभी ने गैस कर लिया था। लेकिन इस विलेन का मिशन क्या है, वो किसके पीछे पड़ा है, ये भी एक राज है। अब कुछ सवाल- ये चार शाहरुख कौन, लेडी गैंग की क्या कहानी, विलेन किसके पीछे पड़ा है, ट्रेन हाईजैक वाले सीन का क्या मतलब? बताने को तो हम सबकुछ यहां बता दें, लेकिन ना सस्पेंस में खेलना ठीक है, हॉल जाइए, टिकट खरीदिए और खुद ही सबकुछ जान जाइए।

एक्शन का पंच, सॉलिड कहानी का सहारा, पठान से शाहरुख ने सीखा!

साल की शुरुआत पठान से की थी, शाहरुख खान की कमबैक फिल्म थी, ट्रेलर की वजह से भयंकर बज बन चुका था। फिल्म देखकर आए, ठीक-ठीक लगी, कई शिकायतें रह गईं, ऐसे में थोड़ा निगेटिव रिव्यू भी लिख दिए। शाहरुख के फैन्स नाराज हुए, ट्रोल भी किया, लेकिन हम अपने स्टैंड पर डटे रहे। डटे रहे क्योंकि भरोसा था कि जो शिकायतें हमारी हैं, वो खुद शाहरुख ही दूर कर देंगे। जवान ने वो करके दिखा दिया है। ये भी पठान की तरह मास एंटरटेनर फिल्म है, इसमें भी भरपूर एक्शन है, डायलॉगबाजी है। लेकिन इसमें वो चीज है जो पठान में कई मौकों पर मिसिंग लगी- एक सॉलिड कहानी, ऐसी कहानी जो आपको तीन घंटे तक बांधकर रखे।

जवान एक परफेक्टर एग्जांपल है मास एंटरटेनर फिल्म का, मसालेदार फिल्म का। आपको ये नहीं बोलूंगा कि दिमाग घर पर छोड़कर आएं क्योंकि इस फिल्म में दिमाग वाली चीजे हैं। कहानी में ऐसे ट्विस्ट हैं जिनके लिए आंखों का खुले रहना, कानों का ठीक तरह से काम करना जरूरी है। जवान का फस्ट हाफ बहुत तगड़ा फील देता है। फिल्म की शुरुआत ही एक ऐसे नोट पर होती है कि मानो धड़कने तेज हो जाएं, इमोशनल फैक्टर नेक्स्ट लेवल पर चला जाए और फिर सीधे पट्टी से लदे शाहरुख खान की एंट्री हो जाती है।

अब ये गजब की फीलिंग इसलिए आती है, क्योंकि इस मास एंटरटेनिंग फिल्म में भी कहानी का पूरा ध्यान रखा गया है। पूरा क्रेडिट सुमित अरोड़ा, रम्मना गिर वसन और डायरेक्टर एटली को देना पड़ेगा। पहला हाफ बांधकर रखता है, सेकेंड हाफ उसे अंजाम तक पहुंचाता है और क्लाइमेक्स एंटरटेनमेंट के साथ एक बढ़िया मैसेज देता है। यानी कि रोंगटे खड़े करने वाले एक्शन के साथ फील गुड फैक्टर का तड़का, इस कॉम्बिनेशन को कोई मात नहीं दे सकता।

शाहरुख का फुल ऑन शो, लेडी गैंग ने मचाया तहलका

जवान की स्टार कास्ट भी बहुत दिमाग लगाकर चुनी गई है। कहना तो नहीं चाहिए, लेकिन लगता है कि शाहरुख खान ही इस फिल्म को अंजाम तक पहुंचा सकते थे। मतलब हमने दूसरे एक्टर्स को इमेजिन नहीं किया अभी, लेकिन फिर भी ये रोल SRK के लिए ही बना था। इस फिल्म को देखते समय मुझे रोमांस वाले शाहरुख, कॉमिक टाइमिंग वाले शाहरुख, चक दे इंडिया वाले शाहरुख और पठान वाले शाहरुख एक साथ याद आ गए। आपने दर्शकों को एक ही रोल में इतने फ्लेवर दे दिए कि फिल्म खत्म हो गई, लेकिन स्वाद वहीं का वहीं बना रहा।

फिल्म की गर्ल गैंग ने भी नए बेंचमार्क सेट कर दिए हैं। ये बेंचमार्क इस लिहाज से मायने रखते हैं कि फीमेल लीड्स को भी बॉलीवुड में एक्शन सीन्स करने का पूरा मौका मिलना चाहिए। सिर्फ एक्टरों के कंधों पर ये जिम्मेदारी छोड़ना ठीक नहीं। अगर आपको टाइगर जिंदा है, पठान जैसी फिल्मों का एक्शन इंप्रेस कर गया था, इस गर्ल गैंग को भी देख लेना, बहुत टफ फाइट मिली है। शाहरुख की इस गर्ल गैंग ने गजब का काम किया है, उन्हें मेकर्स ने इतनी स्क्रीन टाइमिंग भी दी है कि सारे किरदार जहन में उतर जाते हैं। यहां भी सान्य मल्होत्रा और संजीता भट्टाचार्य स्टैंड आउट करती हैं।

चिल्लाने वाला नहीं फील देने वाला विलेन!

विलेन बने विजय सेतुपति को लेकर बस इतना कह सकते हैं कि भाई आपकी हिंदी कमजोर हो सकती है, लेकिन कला आपको विरासत में मिली है। पहले भी उनकी फिल्म देख चुके हैं, अब तो गारंटी के साथ कहा जा सकता है कि चीख-चिल्लाने से कोई विलेन नहीं बन जाता, अहसास ही काफी रहता है। जवान को वो भरपूर अहसास विजय सेतुपति के आने से मिल गया है। वहां भी शाहरुख खान के साथ वाले सीन तो आपको जबरा मजा देने का काम करेंगे। शाहरुख के अपोजिट कास्ट की गईं नयनतारा भी कोई ग्लैम गर्ल की तरह यहां इस्तेमाल नहीं की गई हैं, वो एक पुलिस ऑफिसर बनी हैं, यानी कि उन्हें भी सॉलिड किरदार मिला है और वैसा ही ट्रीटमेंट भी दिया गया।

एटली का काम, साउथ का स्वैग नेक्सट लेवल पहुंचा

बिग बॉस वाले एजाज खान और कई दूसरे छोटे-बड़े कलाकारों ने भी जवान को पूरा सपोर्ट किया है। वहां भी सबसे मजबूत पिलर के रूप में डायरेक्टर एटली ने काम किया है। उनकी पिछली सारी फिल्में तो नहीं देखीं, लेकिन इतना जरूर लगता था कि एक्शन के डिपार्टमेंट में उनका कोई जवाब नहीं, हां कहानी में काफी सुधार की गुंजाइश लगती थी। अब लगता है कि वो फीडबैक उन तक ठीक टाइम पर पहुंच गया क्योंकि जवान में एटली ने एक्शन को कहानी में बेहतरीन ढंग से पिरोने का काम किया है। इसके अलावा वो एक साउथ का स्वैग साथ लेकर आए हैं जो पूरी फिल्म में हावी रहा है। कह सकते हैं उसने जवान की मास अपील बढ़ा दी है। इसके अलावा सोशल मैसेज जो देने की कोशिश की गई है, वो भी अपना इमपैक्ट छोड़ने का काम करती है। ये बड़ा रिस्क था क्योंकि कब मैसेज प्रवचन में बदल जाए, पता ही नहीं चलता। लेकिन जवान ने यहां भी बैलेंस बना लिया।

बैकग्राउंड म्यूजिक ने फूंकी जान, जल्द होगी अगली उड़ान!

जवान के गाने कोई बहुत बड़े हिट नहीं थे। ये बात तो मैं फिल्म रिलीज से पहले ही मानके चल रहा था। अभी भी उस बात पर कायम हूं, लेकिन हां यहां भी टाइमिंग का खेल मेकर्स का बेहतरीन रहा है क्योंकि उसी वजह से एवरेज लगने वाले गाने भी बढ़िया फील दे गए। कैलाश खेर की आवाज में बीच-बीच में कुछ इमोशनल वाले गाने भी आते हैं, वो तो सीधे दिल जीत लेते हैं। इसके ऊपर बैकग्राउंड स्कोर तो हर सीन को बहुत ऊपर लिफ्ट कर जाता है, इतना कि आप भी सीट से खड़े हो जाएं।… अब सबकुछ आपको बता दिया है, तो ये कहने की जरूरत नहीं कि शाहरुख खान ने जवान के साथ अपने करियर को एक और नई उड़ान देने का काम कर दिया है। अब ये नई उड़ान शायद स्विस बैंक तक जाने वाली है, इशारा तो समझ ही गए?