कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू है। ऐसे में भूख और आर्थिक संकट से गुजर रहे प्रवासी मजदूर पैदल और ट्रकों के सहारे ही अपने गांव लौट रहे हैं। प्रवासी मजदूरों के हालात को देख जावेद अख्तर ने सरकार पर निशाना साधा है। साथ ही जावेद अख्तर ने सरकार से सवाल किया है कि केंद्र के 85 फीसदी और राज्य के 15 फीसदी वाले ट्रेवल स्कीम का क्या हुआ?
जावेद अख्तर ने ट्वीट किया, लाखों प्रवासी या तो अपने भूखे-प्यासे बच्चों के साथ चिलचिलाती धूप में राजमार्गों पर चल रहे हैं या टिन जैसे ट्रकों में फंसकर जा रहे हैं। जावेद ने सरकार से सवाल पूछते हुए आगे लिखा, 85% भुगतान करने वाल केंद्र और 15% भुगतान करने वाले राज्य के ट्रेवल स्कीम का क्या हुआ? जावेद अख्तर के इस ट्वीट पर यूजर्स की खूब प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। वहीं कुछ को गीतकार का ट्वीट नागवार गुजरा और उन्हें ट्रोल करने लगे।
एक यूजर ने लिखा, ये सब जाने दो, ये बताओ ब्रेकफास्ट कैसा था। वहीं एक यूजर ने गीतकार को सोनू सूद की तरह मदद की सलाह दे डाली और लिखा, कृपया सोनू सूद की तरह ही कुछ करिए। एक अन्य ने लिखा कि केवल उनसे पूछो। घर में बैठकर टाइप करना आसाना है। सरकार उनके लिए सबकुछ कर रही है। लेकिन वे केवल अपने गांव जाने के लिए अधीर हैं।
एक यूजर ने लिखा, और सोनिया गांधी ने ट्रेन टिकट दिया है! एक यूजर ने लिखा, बस दुआ है आपके वामंथी बंधुओं की जिन्होंने मजदूर को बरगलाने और डराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। और मजबूर कर दिया सड़कों पर निकलने के लिए।
lakhs of migrants are either walking on the highways under the scorching sun along with their hungry and thirsty children or travling in trucks like sardines in a tin can paying thru their nose . What happened to the 85% Center and 15% state paying for the travel scheme . ?
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) May 17, 2020
गौरतलब है कि इससे पहले भी जावेद अख्तर ने मजदूरों के हालात गुस्सा जाहिर किया था और ट्वीट कर कई सवाल उठाए थे। जावेद अख्तर ने तब लिखा था, “30 जून तक ट्रेन नहीं चलाने का क्या मतलब है? प्रवासी मजदूर वापस अपने घर जाना चाहते हैं और वापस जाने का उन्हें पूरा अधिकार भी है, लेकिन विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग सस्ती लेबर को जाने नहीं देना चाहता। गलत तरीके से उनके रास्ते को रोकने की कोशिश करके हम उन्हें बंधुआ मजदूरी में बदलने की कोशिश नहीं कर रहे हैं?”