Javed Akhtar, Tarek Fateh, RSS: बॉलीवुड गीतकार जावेद अख्तर और लेखक तारिक फतेह आए दिन आमने-सामने दिखते हैं। ताजा मामले में तारिक फतेह केेेेेेेेे एक ट्वीट पर पलटवार करते हुए जावेद अख्तर ने उनपर तंज कसा और पूछा- ‘तुम आरएसएस का गुणगान करते हो लेकिन हिटलर के प्रशंसक गोलवलकर की किताबें नहीं पढ़ी हैं?’
इस जुबानी जंग की शुरुआत पत्रकार आतिश तासीर के एक ट्वीट से हुई जिसमें उन्होंने न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर भगवान राम की तस्वीर प्रदर्शित करने से इनकार संबंधी एक खबर साझा करते हुए लिखा था, ‘क्या यह सही बात है? कोई से कंफर्म कर सकता है? अगर ऐसा हुआ तो बहुत बढ़िया हुआ। नाजियों से प्रभावित हिंदुत्व का न्यूयॉर्क में कोई स्थान नहीं होना चाहिए’। तारिक फतेह ने आतिश तासीर के इसी ट्वीट का जवाब दिया था।
तारिक फतेह ने लिखा- ‘नाजियों से प्रभावित हिंदुत्व, वास्तव? क्या आप फिलिस्तीन के मुफ्ती के हिटलर और नाज़ियों के साथ काम करने वाली इस्लामिक दुनिया का ज़िक्र तो नहीं कर रहे? हिंदुओं के प्रति आपकी घृणा स्पष्ट है। मेरा मानना है कि अब आपको अपने पिता को एक काफिर से शादी करने के लिए माफ कर देना चाहिए।’
"Nazi-inspired cult of Hindutva"? Really?
Hey @AtishTaseer, r u referring to the Hitler SS of the Mufti of Palestine and the Islamic world who worked with the Nazis?
Your hatred of Hindus is evident. I believe it’s time you forgive your father for marrying a ‘Kaafir’ infidel. https://t.co/sQJnIcjk8I
— Tarek Fatah (@TarekFatah) August 4, 2020
तारिक फतेह और आतिश तासीर के इस ट्विटर वॉर में जावेद अख्तर भी उतर गए। उन्होंने लिखा- ‘तारिक साहब आपके ट्वीट से यह स्पष्ट हो जाता है कि आप RSS का गुणगान तो करते हैं, लेकिन संघ विचारक गोलवलकर की ‘अ बंच ऑफ थॉट्स’ और ‘वी ऑर अवर नेशन डिफाइंड’ जैसी किताबें पढ़ने की जहमत नहीं उठाई हैं, जो हिटलर के प्रशंसक थे।’
Tarek saheb your tweet makes it obvious that inspite of all your admiration for RSS you haven’t taken the trouble to read the books “. A bunch of thoughts” and “ we or our nation defined” by MS Golwalkar the philosopher n the idealouge of RSS , an unabashed admirer of Hitler
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) August 4, 2020
जावेद के इस जवाब को देख कर कई लोगों ने रिएक्ट करना शुरू कर दिया। विशाल नाम के एक यूजर ने लिखा- ‘मियां, नकाब निकाल फेंको…चेहरा दिखता है। सब याद रखा जाएगा। तुम बुतें उठाते रहो, हम मूरतें संवारेंगे।’ एक ने कहा- ‘हां जावेद साहब और अब उस किताब की तुलना करते हैं और बताते हैं कि नाज़ी हिटलर के शब्दों के कौन कितने करीब है।’