Javed Akhtar: जावेद अख्तर सोशल मीडिया पर बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। इस बार जावेद अख्तर पत्रकार बरखा दत्त की सराहना करने को लेकर चर्चा में है। जावेद अख्तर ने एक ट्वीट किया और लिखा- ‘बरखा आप पर मुझे बहुत बहुत नाज है। जो भी आप कर रही हैं, यही सच्ची देशभक्ति है। देश को प्यार करना मतलब, देश के लोगों से प्यार करना।…और लोगों से प्यार करना मतलब उनकी चिंता और केयर करना। केयर करना मतलब उनके लिए हमेशा तत्पर खड़े रहना। यही है जो आप कर रही हैं।’

दरअसल, बरखा ने एक ट्वीट किया था और लिखा था- ‘सड़क पर कुछ रातें ऐसी दिखती हैं। कर्नाटक में खो सी गई हूं। 9 घंटे मैंने रोड पर बिताए हैं। बहुत ही दुखी चेहरे के साथ.. कुछ ऐसी हालत।’ जावेद ने बरखा के इसी ट्वीट पर कमेंट कर उन्हें सराहा था।

बरखा दत्त को जावेद से सपोर्ट मिलते देख कई लोगों ने इस ट्वीट पर रिप्लाई करना शुरू कर दिया। एक यूजर ने कहा- ”बरखा के पास ऑप्शन है कि वह या तो घर पर बैठें या फिर स्टूडियो में बैठें। लेकिन वह लगातार ग्राउंड रिएलिटी दिखा रही हैं। हम बेशक उनके ओपीनियन से 100 प्रतिशत सहमती रखें या न रखें लेकिन वह अपना काम 100% दे रही हैं। असल जर्नलिज्म, पूरे देश को इनपर नाज होना चाहिए।’

वहीं मार्कण्डेय काट्जू ने भी बरखा के पोस्ट पर ट्वीट किया और लिखा- ‘मैंने बरखा और आयुब के काम को सराहा। लेकिन मैं हैरत में हूं कि उन्होंने रेड लाइट एरिया में सेक्स वर्कर्स की मदद नहीं की? कस्टमर्स की गैरमौजूदगी में वह कैसे सरवाइव कर रही होंगी? उन्होंने सोचा? क्या वह इंसान नहीं?’ एक यूजर ने जावेद अख्तर को जवाब देते हुए कहा- ‘इसे कहते हैं एक दूसरे की पीठ खुजलाना, एक दूसरे को ये खुद ही सर्टिफिकेट देते रहते हैं क्योंकि एक ही थाली के चट्टेबट्टे जो हैं।’

तो किसी ने कहा- ‘दो ठग और पाकिस्तानी प्रेमी एक दूसरे को बधाई देते हुए …खुशी की बात ये है, दोनों से ही भारतीय नफरत करते हैं।’ एक यूजर ने कहा- जावेद साहब थोड़ी तारीफ योगी जी की भी कर दो। तो कोई बोला- ‘न भाई न ! ये लोग वक्त कैसा भी हो हमेशा अपना एजेंडा चलाते हैं । वास्तव में Patriotism जैसे शब्द सिर्फ दिखावे के लिए उपयोग करते हैं।’

तो एक ने कहा- ‘जावेद जी राम जन्मभूमि स्थल पर भगवान राम के मंदिर निर्माण हेतु जमीन का समतलीकरण किया जा रहा है। वहां तो अब जो पत्थर के टुकड़े मिल रहे हैं, वो तो पूरी तरह मन्दिर के हैं, अब तो मान लेने में ये बुराई नहीं है कि मुसलमानों ने मंदिर विध्वंस करके मस्जिद बनाकर अनैतिक कार्य किया था।’