दिग्गज स्क्रीनराइटर जावेद अख्तर अपने बेबाक विचारों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं। हाल ही में अख्तर ने इन दिनों फिल्मों में दिखाए जा रही मारपीट को लेकर अपने विचार रखे हैं। अख्तर ने कहा, आज फिल्में बिना मतलब की हिंसा से भरी हुई हैं, जिसके लिए सोचने की जरूरत है।

9वें अजंता एलोरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दौरान अख्तर ने कई मुद्दों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय लोगों में कुछ फ्रस्ट्रेशन देखी जा रही है, जिसे हिंसक फिल्मों के माध्यम से दिखाया जा रहा है।

अख्तर ने कहा, “लोगों में एक तरह की फ्रस्ट्रेशन है, खींचतान है, जो मैं देख पा रहा हूं कि कुछ फिल्मों में हिंसा के रूप में सामने आ रही है। एक शांत समाज, जो अपने आप में इत्मिनान रखता है, वो इतनी वॉयलेंट फिल्में नहीं देखेगा।” जावेद अख्तर ने कहा, “ये वॉयलेंस तुझमें छुपा कहा है भाई? क्यूं है?”

आपको बता दें कि बीते कुछ महीनों में जिन फिल्मों ने सबसे अधिक बिजनेस किया, वो हैं, KGF 2, ‘पठान’, ‘जवान’, ‘गदर 2’ और हाल ही में आई संदीप रेड्डी वांगा की ‘एनिमल’। इन फिल्मों में जमकर मारधाड़ दिखाई गई है।

इन फिल्मों का जिक्र करते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि लोग कमर्शियल सिनेमा को बहुत कम आंकते हैं, लेकिन यह वास्तव में सोसायटी का रिफ्लेक्शन है। लेखक ने कहा कि लोगों को आश्चर्य हो सकता है कि कैसे संभव है कि कमर्शियल सिनेमा में कोई सच्चाई ही नहीं है। उन्होंने Animal की सक्सेस को खतरनाक बताया है। उनके मुताबिक ऐसी फिल्में समाज के लिए सही नहीं हैं।

इतना ही नहीं जावेद अख्तर ने यशराज की फिल्म ‘जब तक है जान’ पर भी निशाना साधा। दरअसल फिल्म में अनुष्का शर्मा के किरदार को अलग-अलग नेशनेलिटी के आदमियों के साथ सोने की बात करते दिखाया गया है। इसपर जावेद अख्तर ने नाराजगी जाहिर की है। उनके मुताबिक एक स्ट्रॉन्ग महिला कैसी दिखती है फिल्ममेकर्स को ये बताना नहीं आता है।

उन्होंने यश राज की फिल्म ‘जब तक हैं जान’ पर भी नाराजगी जाहिर की, जिसमें अनुष्का शर्मा अलग-अलग राष्ट्रीयता के पुरूषों के साथ सोने की बात करती दिखीं थीं। उन्होंने अपने बयान पर इस बात पर जोर दिया है कि फिल्म निर्माताओं को इस बात की स्पष्ट समझ नहीं है कि एक मजबूत महिला वास्तव में कैसी दिखती है, यही वजह है कि एक्ट्रेस को अच्छे रोल नहीं मिलते हैं।