Javed Akhtar, Salim Khan: इंडियन सिनेमा की एक बेहतरीन जोड़ी ‘सलीम-जावेद’ एक दिन अचानक यूं ही टूट गई। स्क्रीनप्ले और स्क्रिप्ट राइटर सलीम खान बताते हैं कि जावेद अख्तर एक दिन उनके पास आए और बोले कि वह अब अलग होना चाहते हैं। जावेद अख्तर की बात सुनकर सलीम खान काफी हैरान थे। वह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर हुआ क्या है जो जावेद अख्तर ने इतना बड़ा फैसला ले लिया।
जावेद अख्तर औऱ सलीम खान ने अपने करियर में एक से बढ़ कर एक फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी थीं। सलीम खान और जावेद अख्तर ने 1971-1987 के दौरान 24 फिल्मों में साथ काम किया था। इनमें से 20 फिल्में हिट हुई थीं। उन्होंने 22 बॉलीवुड फिल्मों के साथ दो कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया था। सलीम खान फिल्मों को आकार देने के लिए कहानियों और पात्रों को विकसित करते थे। वहीं जावेद अख्तर संवाद लिखने का काम करते थे। जावेद सलीम ने साथ फिल्म अंदाज, अधिकार, हाथी मेरे साथी, सीता औऱ गीता, यादों की बारात, जंजीर, मजबूर, हाथ की सफाई, दीवार, शोले, आखिरी दाव, ईमान धर्म, चाचा भतीजा, त्रिशूल, डॉन, काला पत्थर, दोस्ताना, शान, क्रांति, शक्ति, जमाना, मिस्टर इंडिया, बागबान आदि पर काम किया था।
करियर में मिल रही अच्छी खासी सफलता को जावेद ने वहीं विराम देने की ठानी औऱ सलीम से अपनी राहें जुदा कर लीं। सलीम खान ने नीलेश मिश्रा के चेट शो में बताया था-‘जिस दिन से उन्होंने कहा था कि मैं अलग होना चाहता हूं, उसके कुछ दिनों तक वह साथ थे। तकलीफ इस बात की थी कि वहां तक ले जाने में-बढ़ाने में जो (क्रिएटिव वर्क के बारे में बात नहीं कर रहा, स्टेटस के बारे में बात कर रहा हूं।) सलीम जावेद का बैनर पर नाम आता था, सलीम-जावेद के लिए पैसे एक्स्ट्रा मिलते थे। वो बनाने में मेरा एक हिस्सा था। वह वहां एक सेकेंड में गिर गया था। वहीं के वहीं खत्म हो गया था।’
सलीम ने आगे कहा- ‘कोई प्रॉब्लम होती, पिक्चर फ्लॉप हो गई होती या कोई और दूसरा कारण होता तो, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। तो ये सब बेवजह लगा। लास्ट की दो पिक्चरें दोनों हिट रहीं-मिस्टर इंडिया और शक्ति। तो ऐसे में एक विनिंग टीम टूटी है। यह इंडियन सिनेमा का लॉस था। आज भी वो फिल्में दिखाई जाती हैं, लोग इनसे सीखती हैं।’