गीतकार जावेद अख्तर अपनी बेबाकी के लिए जाने जात हैं। कोई भी मुद्दा हो वह हमेशा अपनी बात खुलकर सबसे सामने रखते हैं। एक बार फिर वह सुर्खियों में हैं। भरी सभा ने जावेद अख्तर ने ‘जय सिया राम’ के नारे लगवाये। इसके साथ ही उन्होंने हिंदुत्व का भी गुणगान किया। जावेद ने कहा कि हमने हिंदुओं से ही जीना सीखा है। जावेद का नारे लगाते हुए वीडियो तेजी से इंटरनेट पर वायरल हो रहा है और लोग उसपर अलग-अलग प्रकार की प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
दरअसल जावेद अख्तर मनसे प्रमुख राज ठाकरे के दीपोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए थे। जहां उन्होंने भारत की संस्कृति, हिंदुत्व और हिंदुओं की सहनशीलता को लेकर कई बातें की। जावेद ने कहा कि अब असहिष्णुता बढ़ गई है। पहले भी कुछ लोग ऐसे थे जिनमें सहन करने की शक्ति नहीं थी। लेकिन हिंदू ऐसे नहीं थे। उन्होंने कहा कि हिंदुओं का दिल हमेशा से बड़ा था। हिंदुओं में जो भी बदलाव आए हैं वो नहीं होना चाहिए। हिंदुओं को पुराने मूल्यों पर ही चलना चाहिए।
‘शोले’ फिल्म का जिक्र करते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि अगर वह फिल्म आज के जमाने में बनती तो हेमा मालिनी और धर्मेंद्र के मंदिर वाले सीन को लेकर विवाद खड़ा हो जाता है। सलीम कभी वह सीन ही नहीं लिख पाते। उन्होंने कहा,”देश में सहिष्णुता हिंदुओं की वजह से है और उन्हें गर्व है कि वह भगवान राम और सीता की भूमि पर पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा, “जब भी हम मर्यादा पुरुषोत्तम का जिक्र करते हैं तो भगवान श्री राम और माता सीता का ही नाम हमारे जुबान पर आता है।”
अख्तर ने राम और सीता के प्रेम का जिक्र करते हुए कहा वह प्रेम के प्रतीक हैं और उनका नाम अलग-अलग लेना पाप होगा। ऐसा करने वाला सिर्फ रावण ही था। जावेद ने कहा, “अगर आप भी सिर्फ एक नाम लेते हैं, तो आपके मन में भी कहीं ना कहीं रावण छुपा हुआ है।”
जावेद ने बताया कि वह नास्तिक हैं लेकिन वह मर्यादा पुरुषोत्तम राम का सम्मान करते हैं। उन्होंने श्रीराम को संस्कृता और सभ्यता का हिस्सा कहते हुए रामायण को सास्कृतिक विरासत बताया। उन्होंने कहा कि ये ही कारण है कि वह इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके साथ ही उन्होंने ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाये।