Javed Akhtar, Tarek Fateh: बॉलीवुड गीतकार जावेद अख्तर तमाम समसामयिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। कई बार उन्हें आलोचना का सामना भी करना पड़ता है। अब IAS अधिकारी संजय दीक्षित का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे जावेद अख्तर को घेरते नजर आ रहे हैं। वे कहते हैं कि जावेद अख्तर वैसे तो अपने आप को सेक्युलर कहते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर सेक्युलरिज्म का चोला उतार देते हैं।
वायरल वीडियो में संजय दीक्षित जावेद अख्तर और तारिक फतेह के बीच एक टीवी डिबेट के दौरान बातचीत का हवाला देते हुए कहते हैं कि किस तरह इस बातचीत में जावेद पर्सनल हो गए थे। वे कहते हैं कि डिबेट के दौरान तारिक फतेह मुद्दे के इर्द गिर्द घूमते रहे। जबकि जावेद अख्तर कभी मुद्दे पर आए ही नहीं। उन्होंने तारिक फतेह को सलाह दी कि उन्हें जावेद अख्तर की वंशावली का ख्याल रखना चाहिए।
IAS अधिकारी संजय दीक्षित तंज कसते हुए कहते हैं कि ‘जावेद अख्तर शुद्ध, निखालिस, प्योर अरबी फारुखी अशरफ हैं। वे अलाउद्दीन खिलजी के बारे में क्या सोचते हैं, मुगलों, जहांगीर, शाहजहां के बारे में क्या सोचते हैं, देख लीजिये। औरंगजेब के बारे में उन्होंने इसलिए नहीं कहा, क्योंकि उनकी वंशावली औरंगजेब के आसपास से ही उत्पन्न हुई। आप शाहीन बाग देख रहे हैं, तब्लीगी देख रहे हैं, ये सब चीजें इन्हीं अशराफ की देन है…।’
उन्होंने आगे कहा- ‘जावेद साहब वैसे तो अपने आप को नास्तिक कहते हैं। लेकिन ये सब वक्ती मामला है। जब मौका मिलता है तब वह अपना पुराना चोला पहन लेते हैं। जैसे कि-जब उन्हें दूसरी शादी करनी थी तो उन्होंने निकाह कर लिया। क्योंकि पहली शादी में डिवॉर्स में दिक्कतें आ रही थीं, तो उन्होंने कुछ दिनों के लिए अपना नास्तिक का चोला उतारा और निकाह कर लिया फिर दोबारा नास्तिक बन गए।’
संजय दीक्षित के इस वीडियो पर तमाम यूजर्स भी कमेंट कर रहे हैं। केतन जेठवा नाम के यूजर ने लिखा- हिंदुस्तान अब जाग गया है। गाने और फिल्मों के नाम पर लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकते। एक और यूजर ने लिखा- जावेद अख्तर विकीपीडिया से इतिहास पढ़ते हैं, तभी ऐसे तर्क देते हैं। एक और यूजर ने लिखा कि जावेद अख्तर जैसे लोगों ने विदेशियों से कम भारत को नुकसान नहीं पहुंचाया है। ये फिल्मों-गीतों के जरिये एजेंडा प्रमोट करते हैं।