जावेद अख्तर हमेशा अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हमेशा पर्दा और बुर्के को गलत बताया है और हाल ही में SOA लिटरेरी फेस्टिवल 2025 में भी उनसे बुर्के को लेकर सवाल किया गया जिसपर उन्होंने कहा है कि चेहरे में ऐसा कुछ नहीं है जिसे छिपाना पड़े।

इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी द्वारा आयोजित इस सत्र के दौरान जावेद अख्तर से एक लड़की ने सवाल किया, ”आपने कहा कि आपको उन औरतों ने बड़ा किया जिन्होंने कभी बुर्का नहीं पहना? बुर्का पहनने में क्या बुराई है? आपके मुताबिक वे सभी मजबूत महिलाएं थीं, लेकिन खुद को कवर करना आपको कमजोर कैसे बना देता है?

जवाब देते हुए जावेद अख्तर ने सख्त लहजे में कहा, ”आपको अपने चेहरे से क्या शर्म है? मैंने माना कि बहुत रिवीलिंग कपड़े चाहे वो मर्द पहने या औरतें पहने, वो शालीन नहीं लगता है। अगर पुरुष शॉर्ट पहने और स्लीवलेस टीशर्ट पहने ऑफिस में आए या कॉलेज में आए तो अच्छी बात नहीं है। सभ्य तरीके से कपड़े पहनने चाहिए और औरतों को भी शालीन कपड़े पहनने चाहिए। लेकिन उसे अपना चेहरा क्यों ढकना चाहिए? उसके चेहरे में क्या अश्लील, भद्दा या असभ्य है, जो उसे ढकना चाहिए? क्यों ये वजह क्या है? क्या दबाव है?”

जावेद अख्तर ने आगे कहा, ”अगर वो कहती है कि वो अपनी मर्जी से कर रही है तो उसे ब्रेन वॉश किया गया है। क्योंकि वो जानती है वो ऐसा करेगी कोई ऐसा व्यक्ति है जो सराहेगा कि यह काम करना सही है। अगर आप उसे छोड़ देंगे तो कोई भी आदमी अपना फेस क्यों कवर करेगा? उसे अपने चेहरे से नफरत है क्या?

इस वीडियो के वायरल होने के बाद लोगों ने आरोप लगाना शुरू कर दिया कि क्या जावेद अख्तर बिहार सीएम का समर्थन कर रहे हैं जिन्होंने एक डॉक्टर का हिजाब खींच लिया था। जावेद अख्तर ने ट्वीट करते हुए साफ किया है कि वो पर्दा प्रथा के हर हाल में खिलाफ हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मैं नीतीश कुमार की उस हरकत को स्वीकार करता हूं जो उन्होंने महिला लेडी डॉक्टर के साथ किया। मैं मजबूत शब्दों में कह रहा हूं कि नीतीश कुमार को उस महिला डॉक्टर से बिना शर्त माफी मांगना चाहिए।

इस लिटरेरी फेस्टिवल में जावेद अख्तर को साहित्य और कला के क्षेत्र में योगदान के लिए SOA साहित्य सम्मान दिया गया।