रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ ने बॉक्स ऑफिस पर दमदार कमाई की मगर फिल्म की काफी आलोचना भी हुई। कई सेलिब्रिटीज ने एनिमल का खुलकर विरोध किया था और उसमें से एक जावेद अख्तर भी थे। अब एक नए इंटरव्यू में एक बार फिर जावेद अख्तर ने संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म ‘एनिमल’ का जिक्र किया है। जावेद अख्तर ने सलीम खान के साथ मिलकर 1970 के दशक में कई फिल्में लिखीं, जिनमें लीड एक्टर ‘एंग्री यंग मैन’ रहता है जो कानून व्यवस्था से परेशान रहता है।
इंटरव्यू के दौरान जब जावेद अख्तर से पूछा गया जब उनसे पूछा गया कि आपका जो एंग्री यंग मैन का आइडिया था वो साउथ में तो अभी चल रहा है लेकिन नॉर्थ में कहीं न कहीं वो मिस है, तो अख्तर ने कहा, “वहां भी कहीं न कहीं एक कैरिकेचर बन रहा है। अब वह एक ऐसा आदमी है जो चाहता है कि महिला उसका जूता चाटे। तो एंग्री यंग मैन और स्ट्रॉन्ग मैन का कैरिकेचर बनना शुरू हो चुका है। हमारे यहां जो बच्चे हैं जो फिल्म डायरेक्ट कर रहे हैं वो बॉम्बे बॉर्न बच्चे हैं, उनके बाप-दादा छोटे शहरों से आए थे। उनके छोटे शहरों की अंडरस्टैंडिंग थी इनका नहीं है। इनकी पहली लैंग्वेज इंग्लिश है, वे सपने इंग्लिश में देखते हैं। वे हिंदी फिल्में देखते हुए नहीं बड़े हुए।”
फिर जावेद से पूछा गया कि क्या उन्होंने एनिमल देखी है और लेखक ने कहा, “मैंने एनिमल नहीं देखी है। लोगों ने मुझे इसके बारे में बताया, और मैंने न्यूजपेपर में पढ़ा कि वह औरत से अपना जूता चाटने के लिए कहता है। वह नीचे झुकती है, लेकिन भगवान का शुक्र है कि उन्होंने उसे वहीं काट दिया।”
जावेद अख्तर ने कहा कि आरआरआर उन्होंने देखी है और उसमें उन्हें कोई खराबी नहीं लगी वो तो दोस्तों की कहानी है। सीता और गीता को छोड़ दिया जाए तो मेरी कोई फिल्म महिला प्रधान नहीं रही है, लेकिन सलीम जावेद की फिल्में देखेंगे तो उसमें महिला का स्ट्रॉन्ग कैरेक्टर रहता है। वो डंब नहीं होती हैं, वो वर्किंग होती हैं, चाहे वो जंजीर की हों या त्रिशूल की दोनों लड़कियां, हेमा मालिनी और परवीन बाबी। हमारे पास कामकाजी महिलाएँ थीं, जिनकी हर चीज़ के बारे में अपनी राय थी। वह अपने पति को भगवान की तरह नहीं मानती थीं।”
इससे पहले, 9वें अजंता-एलोरा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में, जावेद ने कहा था कि एनिमल जैसी फिल्मों की सफलता “खतरनाक” थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, वांगा ने सिद्धार्थ कन्नन के साथ बातचीत में मिर्जापुर का जिक्र किया, जिसे जावेद के बेटे फरहान अख्तर ने प्रोड्यूस किया है और कहा कि जावेद को “अपने बेटे के काम की जांच करनी चाहिए।”
जावेद अख्तर, सलीम खान के साथ, शोले, दीवार, मिस्टर इंडिया जैसी कई अन्य फिल्मों के लेखन के लिए जाने जाते हैं।