गीता और गुरु दत्त की प्रेम कहानी तीन साल तक चली और कुल जमा 13 साल के उनके साथ ने कई रूप धरे। बेमिसाल और कमाल की दो प्रतिभाओं को वक्त के ‘हसीन सितम’ ने ऐसे मोड़ पर खड़ा किया वे ‘हम रहे न हम तुम रहें न तुम’ की स्थिति में पहुंच गए। आखिर एक दूसरे से अटूट प्यार और विवाह फिर नैतिक द्वंद्व, अविश्वास और अलगाव के सोपानों से गुजरी इस प्रेम कहानी की परिणिति गुरु दत्त के आत्मघात में हुई। 1942 में गीता दत्त का परिवार मुंबई आ गया था। दादर की हिंदू कॉलोनी में गांव के जमींदार की बेटी गीता दत्त की आलीशान लिमोजिन नदी में नाव-सी तैरती आती-जाती रहती थी। 1947 में ‘भाई भाई’ का गीत ‘मेरा सुंदर सपना बीत गया…’ लोकप्रिय हुआ और गीता दत्त स्टार गायिका बन गई। तब गुरु दत्त संघर्षरत थे। पुणे के प्रभात में उनका तीन साल तक असिस्टेंट डांस डायरेक्टर के रूप में काम करने का अनुबंध खत्म हो चुका था और वह बर्मा शैल में क्लर्क पिता के पास मुंबई आ गए थे। दत्त माटुंगा के एक छोटे से घर में रहते थे, जो हिंदू कॉलोनी के पास ही था।
गुरु के निर्देशन में गीता की पहली फिल्म ‘बाजी’ (1951) के गाने ‘तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले…’ खूब लोकप्रिय हुआ। फिल्म भी हिट हुई तो दोनों एक-दूसरे के और करीब आ गए। गीता के गाने की रेकॉर्डिंग जब भी कैंसल होती, वे गुरु के घर माटुंगा पहुंच जातीं और सीधे किचन में जाकर मदद करने लगतीं। स्थितियों को देख परिवार ने हिंदू कॉलोनी का घर छोड़ा और सांताक्रुज के अमिय कुटीर में चला गया। आखिर गीता की जिद पर परिवार तैयार हुआ और 26 मई, 1953 को दोनों की शादी हो गई। शादी के बाद दोनों पहले खार, फिर पॉली हिल के बंगले में रहने लगे। मगर दोनों के बीच दरारें शुरू हुईं 1956 में, जब गुरु दत्त ने अपनी चार फिल्मों (सीआइडी, प्यासा, कागज के फूल, साहिब बीवी और गुलाम) के लिए हैदराबाद से आई वहीदा रहमान से अनुबंध किया।
गुरु दत्त चाहते थे कि गीता सिर्फ उनकी फिल्मों के लिए गाए, तो दूसरी ओर गीता को लगता था कि दूसरी हीरोइनों के साथ काम करने पर गुरु उनसे दूर जा सकते हैं या उन्हें भूलने लगेंगे। हिंदू कॉलोनी की लड़की और मांटुगा के लड़के के बीच दूरियां बहुत ज्यादा बढ़ गई थीं। दोनों ही इस स्थिति का सामना नहीं कर पाए। नींद की गोलियों और शराब की आदत दोनों के जीवन में घर कर गई। उनके बीच तनाव का आलम यह था कि गुरु ने तीन बार आत्महत्या की कोशिशें कीं। 9 अक्तूबर, 1964 को शूटिंग रद्द होने के कारण गुरु दत्त ने गीता को फोन कर बच्चों से मिलने की इच्छा जताई। मगर गीता ने मांग खारिज कर दी। अगले दिन गुरु दत्त अपने घर में निष्प्राण मिले। गीता-गुरु की प्रेम कहानी एक अवसाद छोड़ कर खत्म हो गई।

