निर्देशक- आनंद एल राय
कलाकार- शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा, कटरीना कैफ, तिग्मांशु धूलिया,अभय देओल
एक है बउआ सिंह (शाहरुख खान)। मेरठ में रहता है। कद है चार फुट छह इंच। आम बोलचाल में जिसे बौना कहते है वही है बउआ। बड़ा शरारती है। अपने पिता (तिग्मांशु धूलिया) से भी अदब से बात नहीं करता। घर के पैसे लुटाता है, वो भी बालकनी में खड़े होकर हवा में उड़ा-उड़ा के। घर पर ज्यादातर चारखाने वाले अंडरवेयर और बनियान में रहता है। लेकिन है वो बड़ा एंटरटेनिंग। कई लोगों को रिक्शे पर बिठाकर सिनेमा दिखाने ले जाता है। 38 साल का हो चुका है, लेकिन शादी नहीं हुई है। हर वक्त अपने लिए लड़की खोजता रहता है। इसी खोजबीन के दौरान एक दिन बउआ टकरा जाता है आफिया (अनुष्का शर्मा) से। आफिया सेरेब्रल पाल्सी यानी मष्तिकाघात का शिकार है। हालांकि इस बीमारी का फिल्म में जिक्र नहीं है। सिर्फ संकेत है। वो व्हीलचेयर के सहारे चलती है, लेकिन वैज्ञानिक है और अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ी है। बउआ पहले तो उसका मजाक उड़ाता है, लेकिन फिर उसे पटाने में लग जाता है। वो पट भी जाती है। बउआ के पिता दोनों की शादी कर देना चाहते हैं। शादी तय हो जाती है और घोड़ी पर सवार बउआ आफिया के यहां बारात लेकर पहुंच भी जाता है। लेकिन शादी के वक्त बउआ को पता चलता है कि उसे बबिता कुमारी (कटरीना कैफ) के साथ एक डांस कॉम्पटीशन में नाचने का मौका मिल सकता है।
बउआ मेरठ के आम शोहदों की तरह बबिता का फैन है। बस वो शादी की शेरवानी उतारता है और अंडरवेयर-बनियान पहने भाग खड़ा होता है। उधर बबिता की अलग कहानी है। वो बउआ को अपने करीब आने का मौका देती है, लेकिन उसके बाद धक्के मारकर बाहर निकाल देती है। उसके बाद बउआ क्या करता है ये मत पूछिए। विश्वास नहीं होगा। सच में। वो अमेरिका जाता है और वहां से रॉकेट पर सवार होकर सीधे मंगल ग्रह पर पहुंच जाता है। भरोसा नहीं हुआ न, पर फिल्म में ऐसा ही होता है। इस बात में कोई शक नहीं है कि ‘जीरो’ एक मनोरंजक फिल्म है। अपने संवादों और दृश्यों के जरिये यह जमकर हंसाती है। बउआ के किरदार में शाहरुख अच्छे लगते हैं। कटरीना कैफ पर फिल्माया गया आइटम नंबर भी धांसू है। फिल्म में कुछ पुराने गाने भी शामिल किए गए हैं। इसका जज्बाती पहलू भी दिल को छूने वाला है। इसमें दो विकलांग हैं- बउआ और आफिया। बउआ तो गैर-जिम्मेदार है, लेकिन आफिया एक संजीदा लड़की है।
दोनों अपनी-अपनी तरह का अधूरापन लिए हुए हैं। फिल्म में एक नैतिक पहलू भी उभरता है कि बतौर वैज्ञानिक आफिया बउआ को मंगल ग्रह पर क्यों भेजती है। हालांकि पहले एक चिंपांजी को भेजा जाना था, लेकिन उसकी हरकतों की वजह से बउआ को भेजा जाता है। खैर, अंत तक आते-आते आफिया के दिल में बउआ के लिए मिश्रित भावनाएं पैदा होने लगती हैं। एक तरफ वो बउआ को नापसंद करती है और दूसरी तरफ उसके दिल में बउआ के लिए प्यार भी बचा हुआ है। वैसे आफिया यानी अनुष्का शर्मा का कि रदार दिवंगत वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस से प्रेरित लगता है। अनुष्का का अभिनय भी दिल को छूने वाला है, शाहरूख भी एक अरसे के बाद फिल्म में जमे हैं। फिल्म में उनकी शोखी और उनकी ऊर्जा भरपूर दिखती है। कटरीना कैफ फिल्म में ठीक लगी हैं, लेकिन उनके अभिनय में किसी तरह का नयापन नहीं है।
‘जीरो’ देखकर आपको शाहरुख खान की फिल्म ‘ओम शांति ओम’ की याद ताजा हो सकती है। उसके एक गाने में कई फिल्मी हस्तियां एक साथ नजर आई थीं। ‘जीरो’ में भी शाहरुख की पुरानी फिल्मों की कई हीरोइनें नजर आती हैं जैसे- जूही चावला, काजोल, रानी मुखर्जी, करीना कपूर, दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट आदि। वहीं पुरुष सितारों में अकेले सलमान खान ही दिखते हैं। ‘जीरो’ में शाहरुख बौने बने हैं और वीएफएक्स तकनीक से उनकी लंबाई और चौड़ाई कम कर दी गई है। निर्देशक आनंद एल राय ने इस तकनीक से दो काम किए हैं। एक तो शाहरुख का मेकओवर कर दिया है यानी उनको नए सांचे में ढाल दिया है। दूसरा शारीरिक अपूर्णता वाले मसले को फिल्म का विषय बना दिया है। ‘जीरो’ अपेक्षाकृत छोटे शहरों के मिजाज को भी सामने लाती है।