जैकी श्रॉफ अपने बिंदास अंदाज़ के लिए जाने जाते रहे हैं। फ़िल्मों में भले ही उन्होंने कई गंभीर रोल किए हो लेकिन शूट खत्म होते ही वे अपने मुंबईया अंदाज़ में नज़र आने लगते हैं। पल्स पोलिया का उनका विज्ञापन जितना देखा गया, उससे ज़्यादा सोशल मीडिया पर इस विज्ञापन का बिहाइंड द सीन्स वायरल हुआ क्योंकि वे उसमें अपने चिरपरिचित मुंबईया अंदाज़ में गालियां दे रहे थे। एक्टिंग की दुनिया में जहां हर अभिनेता नाप तौल कर और केयरफुल होकर पब्लिक लाइफ़ बिताता है, वहीं जैकी अपने करियर के शुरूआती दौर से ही बेपरवाह और बिंदास रहे। इसकी एक बानगी उस दौरान भी देखने को मिली, जब उन्होंने महज फ़िल्म का गाना सुनकर उस फ़िल्म को साइन कर लिया था।

जैकी अपनी मुंबईया टपोरी भाषा के लिए मशहूर हैं।

जैकी ने बताया कि ‘मैं उस समय माउंट मैरी रोड में शूटिंग कर रहा था। अनिल कपूर मेरे पास आया और बोला कि एक फ़िल्म है, ये करना है। मैंने पूछा – कौन बना रहा है तो अनिल ने बोला – विनोद। मैंने पूछा कि कौन विनोद? तो उसने कहा कि वो एक फ़िल्म बनाया है, खामोश नाम है। मैं इससे पहले भी एक फ़िल्म में अनिल के बड़े भाई का रोल कर चुका था तो मैं उस रोल के लिए ज़्यादा उत्साहित नहीं था।’

उन्होंने कहा कि ‘पर मुझे अनिल ने गाड़ी में बैठाया और बोला कि ये गाना सुन। मैंने पूछा कि ये किसने गाया है ? तो मैंने कहा कि मैंने गाया है, तू गाना तो सुन। मैंने गाना सुना और मुझे लगा कि जो गाना इतना अच्छा बनाता है तो फ़िल्म तो बहुत भारी बनाएगा। मैंने उस गाने को सुनकर 1988 में आई फ़िल्म परिंदा के लिए हामी भर दी। स्क्रिप्ट वगैरा मैं पढ़ता नहीं था तो मुझे खास फर्क नहीं पढ़ा। फ़िल्म के निर्देशक से बात होने पर मुझे एहसास हुआ कि रोल काफी मुश्किल है तो मैंने विनोद को कहा था कि ये रोल थोड़ा मुश्किल है और मुझे एक्टिंग नहीं आता है, तुम संभाल लेना।  इस फ़िल्म से विधु विनोद चोपड़ा का करियर चल निकला था और आज वे इंडस्ट्री के टॉप प्रोड्यूसर डायरेक्टर में शुमार हैं।’