सामाजिक विषयों को पर्दे पर लाने के लिए मशहूर हो चुके अनुभव सिन्हा की नई फिल्म ‘अनेक’ भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों (असम, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा) के राजनैतिक और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित है। ये राज्य कई बरसों से कई तरह के अलगाववादी राजनीति के प्रभाव में रहे हैं। यहां के कुछ नेताओं और दलों का यह कहना रहा कि इनके साथ अन्याय होता रहा है।

हालांकि पिछले कुछ बरसों से यहां शांति है पर कुछ अलगावादी ताकतें अभी भी सक्रिय हैं। अनुभव सिन्हा ने अपने तरीके से इसे समझने की कोशिश की है। इसमें आयुष्मान खुराना ने जोशुआ नाम के एक अंडर कवर एजंट की भूमिका निभाई है, जो छुप-छिपा कर अपनी तरफ से एक समानांतर अलगाववादी शख्स तैयार करता है, लेकिन मुख्य रूप से उसकी भूमिका सरकार के लिए अलगाववादी ताकतों के साथ एक शांति वार्ता की तैयारी की है। क्या वह इस काम में सफल होगा?

आंद्रिया केवीचुसा ने इसमें एडो नाम के एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है जिसका पिता अलगाववादी विचारधारा का है। वो एक मुक्केबाज है और भारत के लिए विश्व स्तर पर मुक्केबाजी का खिताब जीतना चाहती है। जोशुआ और एडो बीच एक हल्का सा रोमांटिक लगाव भी पैदा होता है पर ये राज आखिर खुल जाता है कि जोशुआ क्या है। फिर एडो क्या करेगी या जोशुआ क्या करेगा? फिल्म के दौरान और भी कई सवाल पैदा होते हैं? जैसे शांति क्या है, क्या एक की शांति दूसरे के लिए अशांति है, आखिर कुछ बच्चे भी क्यों अलगाववाद की राह पर चल पड़ते हैं।

फिल्म उत्तर पूर्वी राज्यों में निहित प्राकृतिक सौंदर्य को भी दिखाती है। आयुष्मान खुराना ने एक ऐसा किरदार निभाया है जो अपने काम में दक्ष है लेकिन जिसके दिमाग में राष्ट्रवाद, लोग, सरकारी हथकंडे आदि को लेकर कई सवाल पैदा होते हैं। पर सबसे सशक्त भूमिका एडो के रूप में आंद्रिया केवीचुसा की है जिसमें खेल खासकर मुक्केबाजी को लेकर गहरा लगाव है। उसका पिता अलगाववादी के तौर अपनी लड़ाई लड़ रहा होता है लेकिन एडो भी अपनी लड़ाई लड़ रही है। भारत के लिए स्वर्ण पदक लाने की। क्या वह इसमें सफल होगी? फिल्म की एक बड़ी खूबी ये है कि इसमें कई जटिल और पेचीदा मुद्दे एक प्रभावशाली कहानी के रूप मे उभरते हैं।