Guru Dutt 100th Birth Anniversary: 9 जुलाई 1925 को जन्में गुरु दत्त का भारतीय सिनेमा के इतिहास में बड़ा योगदान रहा है। उनका निधन 10 अक्टूबर 1964 को हुआ था और उन्हें दुनिया से गए 6 दशक से ज्यादा हो चुके हैं। इतिहास के पन्नों में उनका नाम महान फिल्ममेकर्स के रूप में लिखा गया है। गुरु दत्त को देव आनंद के साथ 1951 में अपनी पहली फिल्म निर्देशित करने का मौका मिला था। जैसे ही उन्होंने अपना फिल्मी करियर शुरू किया, कुछ समय बाद ही उन्हें सिंगर गीता रॉय से प्यार हो गया। मगर उनके जीवन की खुशियां ज्यादा समय तक नहीं टिक पाईं। आज हम गुरु दत्त की लाइफ के ट्रेजिक पलों के बारे में बताने जा रहे हैं।

उनका नाम वहीदा रहमान के साथ जुड़ने लगा था। बताया जाता है शादीशुदा होते हुए गुरु दत्त को वहीदा से प्यार हो गया था और ये कारण गीता के सात उनकी शादी में तनाव का कारण बन गया था। उनके रिश्ते में कड़वाहट पैदा हो गई थी, जिसके बाद गुरु दत्त, गीता से अलग रहने लगे थे। गुरु दत्त और गीता के रिश्ते में इतनी दिक्कतें आने लगी थीं कि गीता ने अपने और गुरु के आलीशान बंगले को भूतिया तक बता दिया था।

गुरु दत्त ने गीता के कहने पर वो घर तुड़वा दिया था, लेकिन फिर वो कभी इस गम से उभर नहीं पाए। उनके रिश्ते और आलीशान बंगले से जुड़ा किस्सा हम आपको बताने जा रहे हैं। वो बंगला जो गुरु दत्त के दिल के बेहद करीब था, मगर पत्नी के कहने पर उन्होंने उसे तुड़वा दिया था। यासिर उस्मान की बॉलीवुड आइकन की बायोग्राफी में इससे जुड़ा किस्सा बताया गया है।

एक दोपहर, गीता दत्त अपने पति गुरु दत्त के साथ पाली हिल वाले बंगले के गेस्ट हाउस में सो रही थीं और तेज धमाके की आवाज से उनकी नींद खुल गई। शाम के करीब 4 बजे थे। उन्होंने देखा कि मजदूर उनकी आंखों के सामने घर को तोड़ रहे हैं। उन्होंने तुरंत अपने पति को बुलाया, जो स्टूडियो में काम कर रहे थे। उन्होंने गुरु दत्त से पूछा कि क्या हो रहा है, जिसका जवाब उन्हें मिला, “उन्हें करने दो! मैंने उन्हें इसे गिराने को कहा है।” इस किताब के अनुसार, अपने सपनों के घर को यूं गिरता देख गुरु दत्त का दिल टूट गया था, लेकिन अपनी पत्नी के आगे वो मजबूर हो गए थे।

गीता दत्त के अंधविश्वास के कारण टूटा था घर

उनकी बहन ललिता लाजमी ने किताब में कहा, “उनका मानना ​​था कि बंगला भूतिया था। घर में एक पेड़ था और उन्होंने कहा कि उस पेड़ में एक भूत रहता है, जो अपशकुन लेकर आ रहा है और उनकी शादी को बर्बाद कर रहा है। उन्हें बुद्ध की एक मूर्ति से भी दिक्कत थी जो उनके बड़े से ड्राइंग रूम में रखी हुई थी।”

गुरु दत्त को अपने बंगले से था प्यार

लाजमी के मुताबिक गीता ने ही सुझाव दिया था कि वे घर खाली कर दें और इससे उनके पति का दिल टूट गया। किताब में गुरु दत्त के हवाले से कहा गया है, “मैं हमेशा अपने घर में खुश रहना चाहता था। मेरा घर पाली हिल की सभी इमारतों में सबसे खूबसूरत है। उस घर में बैठकर ऐसा नहीं लगता कि आप बॉम्बे में हैं। वो बगीचा, वो माहौल – मुझे और कहां मिल सकता है? इसके बावजूद, मैं उस घर में ज्यादा समय तक नहीं रह सका।”

वहीदा रहमान के कारण रिश्ते में आई थी दरार

गुरु दत्त और गीता ने साल 1953 में एक दूसरे से शादी की थी, मगर इनके रिश्ते में खुशियां मानो खत्म होने लगीं। इसकी वजह थी गुरु दत्त की लाइफ में वहीदा रहमान की एंट्री। जी हां! वहीदा रहमान के बारे में गीता दत्त को पता चल गया था और उन्हें लगने लगा था कि पाली हिल वाला घर उनके लिए अशुभ है। गीता ने अपने पति के साथ अपने बिगड़ते रिश्ते के लिए बंगले को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया था। कुछ लोगों ने उन्हें सुझाव दिया कि उनके बीच दरार पाली हिल बंगले में शिफ्ट होने के बाद ही शुरू हुई थी और उन्होंने इसे गंभीरता से ले लिया। दत्त के सपनों का बंगला जल्द ही उनकी नींद का आने का कारण बन गया। वो ज्यादातर समय अपने स्टूडियो में बिताने लगे। वो अपने स्टूडियो में चले जाते थे, जहां उनके एक छोटा कमरा था, वहां जाकर वो अपनी नींद पूरी किया करते थे।

7 ×7 फुट के कमरे में रहने लगे थे गुरु दत्त

किताब में लिखा है, “ये 7 ×7 फुट का कमरा था, जिसमें एक छोटा बिस्तर था। यहीं पर गुरु दत्त चुपचाप लेटते थे और उन्हें नींद आती थी।” लाजमी ने कहा, “मुझे याद है कि उनका जन्मदिन था, उन्हें वो घर बहुत पसंद था और जब इसे गिराया गया तो उनका दिल टूट गया था। गुरु दत्त ने गीता की बात मान ली थी, लेकिन इससे उनका दिल टूट गया। वो घर के लिए गीता को दोषी ठहराते थे। गीता को शक था और वो भूत-प्रेत में भी विश्वास करती थी। गुरु के ग्रह खराब थे। उन्होंने इस बारे में दोबारा नहीं सोचा। खूबसूरत बंगला तबाह कर दिया गया। जब से बंगला गिराया गया, गुरु दत्त का घर धीरे-धीरे टूटते गए।”

‘साहिब बीबी और गुलाम’ के राइटर बिमल मित्रा ये जानने के लिए उत्सुक थे कि गुरु दत्त ने घर को क्यों ध्वस्त कर दिया। वो उनके लिए भी चिंतित थे। गुरु दत्त ने उन्हें साइट पर ले जाने के लिए पूछा। मित्रा ने याद करते हुए किताब में बताया, “हम पाली हिल की खड़ी ढलान से नीचे उतर चुके थे। हम वापस उनके बंगले की ओर चल पड़े। कई मोड़ लेने के बाद हमारी कार बंगले तक पहुंची। वो राजसी बंगला जमींदोज हो गया था। जिस कमरे में गुरु सोते थे, अब उसकी जगह सिर्फ मलबा था। शानदार बाथरूम की जगह टूटे हुए नीले संगमरमर के टुकड़े पड़े थे। उन्हें बस टूटी हुई लकड़ी, प्लास्टर के टुकड़े और सपनों के टूटे हुए टुकड़े दिखाई दे रहे थे”

किताब में आगे लिखा है, “वो चुपचाप अपनी कार की ओर लौट गए।” लेकिन मित्रा को अभी भी यकीन नहीं था कि दत्त ने ये कदम क्यों उठाया। बंगले को ध्वस्त करने की असली वजह क्या थी? जब उन्होंने पूछा तो गुरु दत्त ने फुसफुसाते हुए जवाब दिया, “गीता की वजह से।” उस वक्त गुरु दत्त ने कहा था, “घर न होने की तकलीफ से, घर होने की तकलीफ और भयंकर होती है।”

बता दें कि गुरु दत्त का परिवार इसके बाद दिलीप कुमार के बंगले के बगल में एक अपार्टमेंट में रहने लगा। कुछ महीनों बाद, उन्हें एहसास हुआ कि उनके रिश्ते को ठीक नहीं किया जा सकता तो फिर दत्त घर से निकल गए और सेंट्रल बॉम्बे में पेडर रोड पर आर्क रॉयल अपार्टमेंट में अकेले रहने लगे। गीता और उनके बच्चे महबूब स्टूडियो के बगल में एक घर में रहने चले गए।

दोनों की लाइफ का ये दर्दनाक मोड़ था। कुछ साल बाद ही 39 की उम्र में गुरु दत्त संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी। उन्होंने कथित तौर पर ढेर सारी नींद की गोलियां खा ली थी। उनके निधन के 8 साल बाद गीता ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनकी कहानी बॉलीवुड की सबसे दुखद कहानियों में से एक है।

दत्त ने अपनी खुद की फिल्म कंपनी शुरू की थी, जिसके बैनर तले उन्होंने रोमांटिक कॉमेडी ‘आर-पार’ और ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’ जैसी एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं। जिनमें वे मुख्य भूमिका में थे। मगर जो फिल्म उनकी पहचान बन गई वो थी, ‘प्यासा’। इस दिल दहलाने वाली फिल्म ने एक कलाकार के संघर्ष को दर्शाया और दशकों बाद, ये टाइम पत्रिका की 20वीं सदी की 100 महानतम फिल्मों की सूची में शामिल होने वाली एकमात्र हिंदी फिल्म बन गई।

इस फिल्म के बारे में भी बहन ने कही ये बात

दत्त की दिवंगत छोटी बहन ललिता लाजमी ने कहा था कि ‘प्यासा’ उनके भाई का ड्रीम प्रोजेक्ट था और वो इसे परफेक्ट बनाना चाहते थे। एक निर्देशक के रूप में, दत्त को फिल्म को क्रिएटिंग का शौक था, जैसे स्क्रिप्ट और डायलॉग में बहुत सारे बदलाव करना और कैमरा तकनीकों के साथ प्रयोग करना। वो सीन को हटाने और फिर से शूट करने के लिए जाने जाते थे, ‘प्यासा’ के दौरान ये बहुत ज्यादा हो गया था, उन्होंने इस फिल्म के क्लाइमेक्स सीक्वेंस को 104 टेक में शूट किया था। उनकी बहन का कहना था कि अगर कुछ परफेक्ट नहीं होता था तो गुरु दत्त नाराज हो जाते थे और चिल्लाने लगते थे।

यासिर उस्मान की किताब Guru Dutt: An Unfinished Story में इन बातों के बारे में बताया गया है। उनकी बहन ने कहा था, “उन्हें नींद नहीं आती थी। शराब की लत और उस पर निर्भरता शुरू हो गई थी। सबसे बुरे समय में, उन्होंने नींद की गोलियां खाना शुरू कर दिया, उन्हें अपनी व्हिस्की में मिलाना शुरू कर दिया था। गुरु दत्त ने ‘प्यासा’ को बनाने के लिए अपना सब कुछ दिया – अपनी नींद, अपने सपने और अपनी यादें।”

1956 में उनका ये ड्रीम प्रोजेक्ट पूरा होने वाला था, लेकिन तभी दत्त ने खुद की जान ले ली। उनकी बहन ने किताब में बताया है, “जब खबर आई, तो हम पाली हिल (जहां वो रहते थे) पहुंचे।” “मुझे पता था कि वो परेशान थे। वो अक्सर मुझे फोन करते थे और कहते थे कि हमें बात करनी है, लेकिन जब मैं वहां पहुंची तो उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा।”