नए कृषि कानूनों को लेकर उत्तर भारत के किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के आंदोलन की वजह से सरकार बुरी तरह घिरी हुई है। विपक्षी पार्टियां और कुछ सामाजिक संगठन सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं। जाने-पहचाने पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी भी सरकार के खिलाफ मुखर हैं। पुण्य प्रसून बाजपेयी ने अपने यूट्यूब चैनल का लिंक डालकर ट्वीट करते हुए लिखा है,’सिख किसानों के दर्द की अनकही दास्ताँ…देश बनाने वालों के ख़िलाफ़ क्यों खड़ी है सरकार ?’
पुण्य प्रसून बाजपेयी के इस ट्वीट पर यूजर्स की तरह-तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं। बेद नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है ,’पावर जब गलत लोगों के हाथ में आ जाती है वो सही-गलत नहीं, सिर्फ अपना स्वार्थ देखते हैं उनका स्वार्थ किसानों के साथ नहीं है।’ मयंक मिश्रा नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’ पुण्य प्रसून बाजपेयी जी केन्द्र सरकार की किसान सम्मान निधि से ममता सरकार ने अपने राज्य के किसानों को वंचित रखा। कभी आपने उसपर अपनी चिंता जाहिर की है ?’
नारायण रूपाणी नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’चश्मा बदलने की ज़रूरत है आपको। कोई भी सरकार किसानों या देश के गरीबों के खिलाफ काम नहीं कर सकती।वक्त किसी निर्णय को गलत साबित कर सकता है , गलती कौन-सी सरकार से नहीं होती। नीयत में खोट हो तो अवश्य सबूत के साथ बताइएगा।’
सिख किसानों के दर्द की अनकही दास्ताँ…
देश बनाने वालों के ख़िलाफ़ क्यों खड़ी है सरकार ? https://t.co/RmIFxf1B9P via @YouTube
— punya prasun bajpai (@ppbajpai) December 11, 2020
अनंत नहाटा नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’10 दिन से उपर हो गए सड़क पर, कड़कड़ाती ठंड में उन्हें बैठे हुए…मंत्रालयों के हीटर 10 मिनट बंद करके देखो, शायद सोया ज़मीर जाग जाए!’ अबोजार नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’बीजेपी पार्टी हर समय अपने वोटबैंक के लिए काम करती है। चाहे इसके लिए उन्हें कैसे भी कदम क्यों ना उठाने पड़ें। इनका आम जनता के काम-काज से कोई लेना देना नहीं है।’
राजीव नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’यदि फर्जी गांधियों को भ्रष्टाचार करने से फुर्सत मिली होती या वो किसानों के लिए कुछ अच्छा कर देते, तो ये किसान आज सड़क पर नहीं रो रहे होते। तब तुम्हारे जैसे फर्जी पत्रकारों को केवल क्रांतिकारी बनने का जुनून छाया हुआ था जय हो अरविंद केजरीवाल की।’