निर्देशक-हर्षवर्धन कुलकर्णी, कलाकार-गुलशन दैवेया, राधिका आप्टे, वीर सक्सेना।
जिन लोगों ने इस फिल्म का ट्रेलर देखा होगा और उसकी वजह से अगर वे इसे देखने के लिए लालायित हों तो उनको निराशा होगी। ट्रेलर में जिस तरह के अश्लीलता का एहसास करानेवाले संवाद हैं वैसे इस फिल्म में नहीं हैं। फिर भी इस फिल्म में वैसे संवाद और दृश्य हैं जो इसको सिर्फ वयस्कों वाले बनाते हैं। बेशक ये एक पारिवारिक फिल्म नहीं है और ऐसी इसकी मंशा भी नहीं है।
फिल्म मंदार (गुलशन) नाम के एक व्यक्ति के इर्दगिर्द घूमती है जो मिजाज से बेहद कामुक है और वो बचपन से ही ऐसा है। स्कूली दिनों में वो सिर्फ लड़कियों के इर्दगिर्द नहीं घूमता बल्कि ज्यादा उम्र की महिलाओं का भी पीछा करता है। मंदार अश्लील फिल्में भी देखता है। अपनी हरकतों की वजह से उसे कई बार पिटना भी पड़ता है या पिटाई से बचने के लिए भागना भी पड़ता है।
अब फिल्म में नाटकीय मोड़ भी आना चाहिए। सो आता है। मंदार के माता पिता चाहते हैं उसकी शादी कर दें। ना नुकुर के बाद मंदार हां कर देता है। लेकिन शादी के लिए लड़की कौन हो इसकी तलाश भी आसान नहीं है। खैर, मंदार के जीवन में एक लड़की तृप्ति (राधिका) कभी आई थी। वो फिर से आती है। मंदार तो उससे शादी के लिए तैयार पर वो हां नहीं करती। खैर इसी और ना और हां में फिल्म पूरी हो जाती है।
वैसे तो हंटर बनाने के पीछे का घोषित मतलब तो सेक्स संबंधी मान्यताओं की ऐसी तैसी करना है लेकिन वास्तविक मतलब एक सेक्स कॉमेडी बनाना है सो बन गई। देखना है कि दर्शक इसे कितना पसंद करते हैं।