बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को वर्ष 2002 के हिट एंड रन केस में बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान के पूर्व पुलिस अंगरक्षक और गवाह रवींद्र पाटिल की गवाही पर संदेह प्रकट किया और कहा कि उन पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति ए आर जोशी ने इस मामले में मुंबई की एक सत्र अदालत द्वारा इस साल छह मई को पांच वर्ष की जेल की सजा सुनाये जाने के खिलाफ अभिनेता द्वारा दाखिल की गयी याचिका पर फैसला लिखवाते समय यह बात कही। दुर्घटना के कुछ घंटे बाद ही पाटिल ने 28 सितंबर, 2002 को इस बाबत प्राथमिकी दर्ज करायी थी। अपनी प्राथमिकी में उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया था कि सलमान नशे की हालत में कार चला रहे थे या नहीं।
हालांकि एक अक्तूबर, 2002 को सलमान के खून जांच की रिपोर्ट आने के बाद पाटिल ने एक मजिस्ट्रेट के सामने यह बयान दिया कि सलमान ने उस रात शराब पी थी और उन्होंने गाड़ी को तेज गति से चलाने को लेकर अभिनेता को चेताया था कि लेकिन सलमान ने उनकी बात पर गौर नहीं किया।
न्यायाधीश ने बुधवार को कहा कि पाटिल की गवाही संदेह के घेरे में है क्योंकि जब बाद में उनका बयान दर्ज किया गया तो उसमें उन्होंने फेरबदल किया। लगातार तीसरे दिन अदालत में फैसला लिखवाते हुए न्यायाधीश ने कहा ‘‘इसको देखते हुए, उनकी (पाटिल की) गवाही पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता।’’
वकीलों, पत्रकारों और कानून के छात्रों से भरी अदालत में न्यायमूर्ति जोशी ने कहा कि उनके बयान को आंशिक तौर पर विश्वसनीय माना जा सकता है। रवींद्र पाटिल की वर्ष 2007 में मौत हो गयी थी और वह सत्र अदालत में ट्रायल के समय उपलब्ध नहीं थे। सलमान अदालत नहीं आये लेकिन उनकी बहन अलविरा खान-अग्निहोत्री मौजूद थीं।

