अपनी अदाओं से लोगों को दीवाना बना देने वाली हेलेन की जिंदगी में एक दौर ऐसा भी आया था जब उन्हें घास-फूल खाकर गुजारा करना पड़ा था। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने इस राज का खुलासा किया। हेलेन ने बर्मा से लेकर बॉलीवुड तक के अपने सफर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जब वह बर्मा में अपने घर से निकली थीं तब उनके पिता ऑफिस में थे। उसके बाद से उन्होंने अपने पिता को नहीं देखा। उन्होंने बताया कि उनके पिता फ्रेंच काउंसलेट में थे। हेलेन ने बताया कि उन्होंने 6-7 महीनों तक जंगल और हर तरह का सफर किया और इस बीच उन्हें फूल और घास तक खानी पड़ती थी।
उन्होंने बताया कि 7 महीने के सफर के बाद वह असम पहुंच गईं और इसके बाद उन्हें क्योंकि न्यूट्रीशन की कमी के चलते ‘बेरी-बेरी’ नाम की बीमारी हो गई थीं तो अपना इलाज कराने के बाद वह वहां से कोलकाता चली गईं। कोलकाता में ही उन्होंने अपने भाई को खो दिया जिसके बाद वह वहां से नई दिल्ली आ गईं। उसके बाद साल 1947 में वह वहां से मुंबई आ गईं। उन्होंने बताया कि उनकी मां नर्स थीं और वह कुछ भी करके उनके तीन वक्त के खाने का इंतजाम किया करती थीं। उनकी मां कभी-कभी स्टूडियो जाया करती थीं तभी उन्हें लगा कि उनकी बेटी को एक्ट्रेस बनना चाहिए।
हेलेन ने बताया कि उनकी मां कुकू जी से मिली थीं और उनसे अपनी बेटी के लिए बात की थी। कुकू जी उस वक्त फिल्म शबिस्तान बना रहे थे, उस फिल्म में उन्हें एक छोटा सा रोल मिल गया था। इसके बाद उन्हें तकरीबन हर चीज को शुरू से सिखाया गया और हर छोटी से छोटी बारीकी समझाई गई। इसके बाद फिल्म ‘बदनाम’ में एक कुछ गानों में डांसिंग शॉट्स थे जिसमें एक सीन में किसी एक्ट्रेस को तबले के साथ नजर आना था। हेलेन ने बताया कि कई एक्ट्रेसेज के तबले के साथ क्लोजअप लेने के बाद हेलेन को उस सीन के लिए फाइनल किया गया और बाद में उन्हें इसी गाने की लीड एक्ट्रेस बना दिया गया।
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