1950 में अमेरिका में रॉक एंड रोल कल्चर की शुरूआत हो रही थी। जैज़, ब्लूज़, कंट्री म्यूज़िक बनाने वाले अश्वेत म्यूज़ियिशंस अपने लिरिक्स के सहारे सधे हुए संदेश दे रहे थे, अमेरिका के कई व्हाइट लोग इस कल्चर से घबराए थे क्योंकि उनके बच्चे इन म्यूज़िशियन्स को सुनने लगे, उन्हें फॉलो करने लगे। यहां तक कि इस तरह के म्यूजिक को शैतान का म्यूजिक भी कहा गया। लेकिन एक दौर ऐसा आया जब ये भेद मिटने लगा और म्यूज़िक एक शक्तिशाली माध्यम के तौर पर उभरता चला गया। ड्ग्स, सेक्स और आत्मा झकझोर देने वाले म्यूज़िक से भरे इस कल्चर की वजह से 1960 के दौर में अमेरिका में एक पूरा काउंटर कल्चर खड़ा हो गया था। अमेरिकी लोग वियतनाम के साथ युद्ध से लोग परेशान थे, सोशल अनरेस्ट था, कंज्यूमिरस्म और ‘लव पीस हैप्पीनेस’ का संदेश लिए हिप्पी लाइफस्टायल के बीच जंग उफान पर थी।
1950 से 1980 के बीच रॉक एंड रॉल कल्चर ने फैशन से लेकर मॉरल स्टैंडर्ड्स और पॉलिटिक्स तक को चुनौतियां दी। अमेरिका में यूं भी उस दौर में सामाजिक उथल पुथल की स्थिति थी, शायद यही कारण था कि विरोध दर्शाने और प्रोटेस्ट करने के सबसे कारगर हथियार में भी म्यूज़िक को माना जाता था। हालांकि समय के साथ-साथ कई म्यूज़िक विधाओं का कमर्शियलाइज़ेशन होने लगा, इस दौर में तो कई पॉप स्टार्स तो अपने गानों के लिरिक्स तक खुद नहीं लिखते, हालांकि अब भी म्यूज़िक का अंडरग्राउंड कल्चर कई स्तर पर कमर्शियल बाधाओं से दूर शानदार एक्सपेरिमेंटल म्यूजिक तैयार कर रहा है। इस कल्चर ने दुनिया भर में लोगों की लाइफस्टायल को प्रभावित किया और उसी लाइफस्टायल से कहीं न कहीं संजय दत्त प्रभावित थे।
वे एक हिडोनिस्ट यानि सुखवादी थे, उनकी प्रिवीलेज ने उन्हें वो ताकत दी कि वे ज़्यादातर चीजें आसानी से हासिल कर सकते थे। रॉक एंड रोल कल्चर से प्रभावित संजय के पास बड़े बड़े स्पीकर्स होते थे, उनकी गाड़ी में हमेशा म्यूज़िक लाउड होता था, उनकी रोमैंटिक लाइफ एक्टिव रहती थी और बूट्स, कपड़ों में भी इसी लाइफस्टायल की झलक थी। वे जबरदस्त एयर गिटार बजाते थे और एक दौर ऐसा था जब वे पेड़ों के पीछे भागते सितारों पर हंसते थे लेकिन उन्हें खुद ये काम करना पड़ता था।
रॉक एंड रॉल के कई सितारे बेतहाशा शराब पीते थे और हार्ड लाइफ जीने वाले केरेक्टर्स थे। 1960 के दशक में जैसे जैसे इन सितारों की लाइफस्टायल पब्लिक होने लगी, इन म्यूजिक स्टार्स के ड्रग्स लेने की बातें सामने आने लगी। कई लोगों ने इन रिक्रिएशनल ड्रग्स को लिया और कई स्तर पर लोगों की ज़िंदगियां प्रभावित हुईं। ग्रेटफुल डेड के एक बैंड मेंबर के मुताबिक, कुछ लोगों के लिए ग्रेटफुल डेड के शो के लिए आना और ड्रग्स करना एक रिचुअल जैसा था। सिगरेट, शराब से संजय का सफऱ हार्ड ड्रग्स की तरफ मुड़ गया, इन ड्रग्स की तलब उनके जीवन और करियर को खत्म करती चली गई।
1970 तक आते आते कई रॉक एंड रोल सितारे ड्रग्स के प्रभावों से नकारात्मक तौर पर प्रभावित हुए। उस दौर में ड्रग कल्चर का स्तर कितना खतरनाक था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 27 साल की उम्र में ड्रग्स के द्वारा हुई मौतों का एक क्लब ही तैयार किया जा चुका है। इस क्लब को ’27 क्लब’ कहा जाता है और इस क्लब के मेंबर्स में अद्भुत जिम मॉरिसन, महानतम गिटारिस्ट में शुमार जिमी हेंड्रिक्स, 90 के दौर के सबसे लोकप्रिय म्यूज़िशियन कर्ट कोबेन और सुपरस्टार एमी वाइनहाउस जैसे नाम शामिल हैं। संजय जब अपनी एडिक्शन के चरम पर थे तो उनकी फैमिली से लेकर नौकर तक परेशान थे। हेरोईन की एक हाई डोज़ लेने के बाद संजय दो दिन बाद जागे थे और उनके नौकर उन्हें देखकर रोने लगे थे। संजय क्लब 27 का मेंबर बनने से बच गए, वो अपनी ज़िंदगी को कुछ हद तक ट्रैक पर ले आए और उसके बाद सुपरस्टार होने तक का सफर तय किया।
एक हिडोनिस्ट का मकसद ज़िंदगी में सुख की ओर भागना होता है, संजय को ड्रग्स में ये सुख मिल रहा था, इसलिए वे बेतहाशा ड्रग्स कर रहे थे, दुनिया के चुनिंदा महान लोगों ने ड्ग्स से ज़़िंदगियां काबू में और बेहतर की हैं। लेकिन संजय हर काम एक्स्ट्रीम में करने में विश्वास करते थे। संजय, जैक निकलसन या स्टीव जॉब्स की तरह स्मार्ट होते तो एलएसडी करने के बाद अपने पिता की ओर पागलों की तरह नहीं कूद पड़ते बल्कि वे उन दोनों की तरह ही अपनी ज़िंदगी को बेहतर दिशा दे पाते। हालांकि संजय की यात्रा इतनी अद्भुत इसलिए रही क्योंकि ड्रग्स की अंधेरी दुनिया और जेल के टॉर्चर से बाहर निकल सुपरस्टार का सफर तय करना बेहद मुश्किल है। यही कारण है कि राजू हिरानी से लेकर रणबीर कपूर तक उनकी इस यात्रा के बारे में जानकर हैरत में पड़ गए थे। भीषण परिस्थितियों से वापस नॉरमेल्सी की तरफ कदम बढ़ाने, अपनी ज़िंदगी को बिंदास अंदाज़ में जीने और मुन्नाभाई सीरीज़ से रॉबिनहुड सरीखी इमेज बनाने के चलते उन्हें लोग बाबा की उपाधि दे चुके हैं। संजू बाबा को जन्मदिन की शुभकामनाएं।