कथक सम्राट का जन्मदिन हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वसंतोत्सव संगीत नृत्य समारोह के रूप में मनाया गया। शंकरलाल हॉल में आयोजित दो दिवसीय समारोह में पंडित बिरजू महाराज ने समारोह की पहली शाम अभिनय पेश किया। समारोह की दूसरी शाम उनके शिष्य और शिष्याओं ने अपने नृत्य से समां बांधा। कलाश्रम की ओर से हुए समारोह की दूसरी शाम को कथक नृत्यांगना मालती श्याम ने तराने पर शुद्ध नृत्य पेश किया। उनकी शिष्याओं ने भी तराने पर कथक नृत्य की तकनीकी बारीकियों को पेश किया। कथक नृत्यांगना सुदेशना मौलिक ने दरबारी कथक नृत्य से अपनी प्रस्तुति का आगाज किया। उन्होंने परमेलु-थर्री कू कू का प्रदर्शन किया। उन्होंने चक्रदार तिहाई में 36 चक्करों का मोहक प्रयोग किया। सुदेशना ने मीरा बाई की रचना बरसे बदरिया सावन की में नायिका के भावों को दर्शाया। नृत्य में मयूर व झूले की गत का प्रयोग सुंदर था। कथक नर्तक व आचार्य अरिंदम दासगुप्त ने रवींद्रनाथ ठाकुर की रचना पर नृत्य किया। अरिंदम ने मॉडर्न स्कूल के छात्र-छात्राओं के साथ नृत्य किया। उन्होंने गुरुदेव की भानुसिंगेर पदावली के कीर्तन को नृत्य रचना के लिए चुना। कीर्तन-सजनी-सजनी राधिका लो राग विहाग में थी। कथक नृत्य शैली में प्रस्तुत नृत्य में राधा के भावों को अरिंदम ने बखूबी पेश किया।
लखनऊ घराने की एक अन्य नृत्यांगना शिखा खरे और उनके शिष्य व शिष्याओं ने भी समारोह में शिरकत की। उन्होंने ताल पंचम सवारी में कथक की तकनीकी बारीकियां प्रदर्शित कीं। उन्होंने विलंबित लय में उपज, आमद व परण में पैर का काम खास तौर पर पेश किया। समारोह का मुख्य आकर्षण रहा अभय शंकर और काकोली का युगल नृत्य। उन्होंने शिव वंदना से नृत्य आरंभ किया। यह पंडित बिरजू महाराज रचित रचना अर्धांग भष्म भभूत सोहे पर आधारित थी। अभय और काकोली ने बहुत सुघड़ता से शिव और पार्वती के रूप का विवेचन पेश किया। उनकी अगली प्रस्तुति नृत्य रचना सिनर्जी थी। कथक और समकालीन नृत्य शैली में पिरोई गई थी। यह बांसुरी व तबले के लय व ताल में सजाई गई थी। नृत्य रचना में प्रकृति के सौंदर्य के साथ, प्रकृति व पुरुष के माधुर्यपूर्ण संबंध का लयात्मक विवेचन पेश किया।
पंडित बिरजू महाराज की वरिष्ठ शिष्या दुर्गा आर्या ने अपने सधे नृत्य से मोहित किया। उन्होंने अपने नृत्य का आगाज ओमकार, गणेश व सरस्वती वंदना से किया। उन्होंने रचना निरतत श्याम सुढंग को नृत्य में सजाया। उनके पश्चात पंडित कृष्ण मोहन मिश्र, पंडित राम मोहन मिश्र व दीपक मिश्र ने समारोह में शिरकत की। वसंतोत्सव में पंडित संजू सहाय ने एकल तबला वादन प्रस्तुत किया जबकि, इशान, अर्चित, रेशमा व निशित ने सामूहिक तबला वादन पेश किया। इसके अलावा, पंडित नयन घोष ने सितार वादन पेश किया। उनके साथ तबले पर पंडित शुभंकर बनर्जी ने संगत की।

