पहलाज निहलानी ने साल 1986 में गोविंदा को फिल्म इल्ज़ाम से लॉन्च किया था। पहलाज ने बताया कि जब गोविंदा के पास काम नहीं था तब उन्होंने उन्हें शोला और शबनम और आंखें में भी लिया।
गोविंदा को कैसे मिला पहला ब्रेक?
‘Learn From The Legend’ पॉडकास्ट में बात करते हुए पहलाज निहलानी ने कहा,
“मैंने गोविंदा के साथ चार फिल्में कीं। मैं आंधी तूफ़ान के बाद एक नई फिल्म शुरू कर रहा था। मैं फिर से मिथुन चक्रवर्ती और शत्रुघ्न सिन्हा को लेना चाहता था, लेकिन मिथुन का शेड्यूल नहीं मिल पाया। तभी गोविंदा का नाम सामने आया।”
उन्होंने आगे बताया,
“मैंने पहली बार गोविंदा की तस्वीरें देखीं तो मुझे उनका चेहरा बिल्कुल पसंद नहीं आया। लेकिन अगले दिन वह अपनी डांस की वीडियो कैसेट लेकर आए। उस समय माइकल जैक्सन की वजह से ब्रेक डांस बहुत पॉपुलर था। मैंने गोविंदा से उनकी खूबियों के बारे में पूछा। चेहरा पसंद नहीं आया, लेकिन डांस, एक्शन और टैलेंट देखकर मैंने उन्हें कास्ट कर लिया। मेरी फिल्म में बहुत सारा एक्शन था, इसलिए मैंने उन्हें कहा – एक दिन में जवाब दूंगा।”
“आज तक कोई गोविंदा जैसा टैलेंटेड नहीं है” – पहलाज निहलानी
पहलाज निहलानी ने आगे कहा,
“एक्टर के तौर पर आज भी गोविंदा जैसा टैलेंटेड कोई नहीं है। हालांकि वो इंस्पेक्टर, डॉक्टर या वकील की भूमिका में फिट नहीं बैठते थे, उनकी हाइट वगैरह को देखकर- लेकिन एक बार जब कोई स्टार बन जाता है, तो आप उससे कुछ भी करवा सकते हैं।”
“जब गोविंदा के पास काम नहीं था, तब मैंने दीं शोला और शबनम और आंखें”
पहलाज ने बताया,
“जब गोविंदा के पास कोई काम नहीं था, तब मैंने शोला और शबनम दी। वो पहली बार कॉमेडी कर रहे थे। फिर दोबारा जब उनके पास काम नहीं था, मैंने उन्हें आंखें दी। मैंने उनकी पूरी इमेज बदल दी।”
“असल में आंखें में मैं दिलीप कुमार और महमूद को लेना चाहता था। लेकिन मैंने गोविंदा को इस रोल में ढाल दिया। अगर आज आप आंखें देखेंगे, तो कुछ जगहों पर आपको दिलीप कुमार और महमूद की झलक दिखेगी।”
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“गोविंदा हमेशा इनसिक्योर थे” – पहलाज निहलानी
जब उनसे पूछा गया कि क्या गोविंदा के बारे में ‘घमंडी’ होने की बातें सच थीं, तो पहलाज बोले –
“गोविंदा हमेशा इनसिक्योर थे। उनके पिता अरुण कुमार आहूजा बहुत बड़े हीरो थे, मेहबूब खान के जमाने के। वे प्रोड्यूसर भी थे लेकिन उन्हें भारी नुकसान हुआ। बहुत दर्द झेला उन्होंने। बहुत कुछ उनके हाथ से निकल गया और गोविंदा को स्ट्रगल करना पड़ा। ये सारी चीज़ें उनके अंदर बैठ गईं।”
“उसका फोकस सिर्फ पैसा कमाने पर था”- पहलाज निहलानी
पहलाज ने बताया,
“गोविंदा का फोकस यही था कि किसी भी तरह पैसा आ जाए। उनके ऊपर अपने भाइयों और बहनों की भी ज़िम्मेदारी थी। वे हमेशा पैसों की चिंता में उलझे रहते थे। उन्हें सब कुछ करना था – हर फिल्म, हर रोल।”
“इसका असर उनके एटीट्यूड पर पड़ा। जब काम और प्रेशर बढ़ा, तो उनके व्यवहार में भी बदलाव आया। वह वहमी भी हो गए। ये सारी चीज़ें उन्हें अंदर ही अंदर खाती रहीं। और जब काम बंद हो जाता है किसी का, तो वही बातें इंसान को नुकसान पहुंचाती हैं। वरना, आज भी आप ढूंढ लें, गोविंदा जैसा एक्टर नहीं मिलेगा।”