Mayoori Kango: घर से निकलते ही… कुछ दूर चलते ही… ये गाना आपने खूब सुना और देखा होगा, इस गाने में नजर आने वाला मासूम चेहरा मयूरी कांगो का है। मयूरी ने कई फिल्मों में काम किया है, फिल्मों के बाद मयूरी ने टेलीविजन में भी काम किया। मगर इसके बाद वो शादी करके विदेश में सेटल हो गईं, फिर उनकी जिंदगी ने यूटर्न लिया और वो गूगल की इंडस्ट्री हेड बन चुकी हैं, आइए जानते हैं मयूरी कांगो की ये इंस्पायरिंग स्टोरी।
15 अगस्त 1982 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में पैदा होने वाली मयूरी कांगो 42 साल की हो चुकी हैं। मयूरी के पिता भालचंद्र कांगो कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से जुड़े राजनेता हैं। मयूरी की मां सुजाता कांगों एक्ट्रेस रह चुकी हैं और उन्हीं की वजह से मयूरी भी इस इंडस्ट्री में आईं। मयूरी अपने माता-पिता की इकलौती बेटी हैं और वो बिजनेस में आगे बढ़ना चाहती थीं। औरंगाबाद के सेंट फ्रांसिस स्कूल से मयूरी ने स्कूल की पढ़ाई की और फिर औरंगाबाद के देवगिरी कॉलेज से मयूरी ने आगे की पढ़ाई की। मयूरी पढ़ाई में अच्छी थीं और बचपन से ही उन्होंने किसी बड़ी कंपनी की सीईओ बनने का ख्वाब देखा था। मगर वो आ गईं फिल्मों में।
फिल्मों में कैसे आईं मयूरी कांगो?
मयूरी जब 12वीं कर रही थीं, उस वक्त वो मां के साथ मुंबई आईं, उनकी मां सुजाता मुंबई में एक फिल्म की शूटिंग कर रही थीं और मयूरी उनके साथ थीं। निर्देशक सईद अख्तर मिर्ज़ा ने मयूरी को देखा तो उन्हें लगा कि उन्हें उनकी फिल्म की हीरोइन मिल गई। फिल्म का नाम था नसीम और इस फिल्म को बाद में नेशनल अवॉर्ड भी मिला। मयूरी को जब ये ऑफर मिला तो वो हैरान रह गईं, वो छोटी थीं और सिर्फ पढ़ाई कर रही थीं, मगर बाद में इस रोल के लिए उन्होंने हां कह दिया था। मयूरी कांगो ने आईआईटी कानपुर में पढ़ाई कर रही थीं और फिल्म के लिए पढ़ाई ड्रॉप कर दी। मयूरी ने बाद में अजय देवगन, महेश बाबू और संजय दत्त जैसे बड़े अभिनेताओं के साथ काम किया। मयूरी ने नसीम फिल्म में लीड रोल निभाया, इस फिल्म में उनकी मां सुजाता ने भी काम किया था। वहीं दिग्गज गीतकार और शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी ने भी इस फिल्म में काम किया था, फिल्म में वो मयूरी के दादाजी के रोल में थे।
महेश भट्ट की हीरोइन बन गईं मयूरी कांगो
फिल्ममेकर महेश भट्ट ने नसीम में मयूरी को देखा तो वो उनसे इम्प्रेस हो गए। उन्होंने अपनी फिल्म ‘पापा कहते हैं’ में मयूरी को जुगल हंसराज के अपोजिट साइन कर लिया, इसी फिल्म का गाना ‘घर से निकलते ही’ खूब हिट हुआ था। फिल्म साल 1996 में बड़े पर्दे पर रिलीज़ हुई थी। फिल्म हिट रही और मयूरी ने फिल्मों पर फोकस करना शुरू किया। मयूरी कांगो ने बेताबी, होगी प्यार की जीत और मेरे अपने में काम किया। साल 2000 में रानी मुखर्जी की फिल्म बादल में मयूरी सपोर्टिंग रोल में नजर आईं।
मयूरी कांगो को फिल्म इंडस्ट्री ने कहा ‘मनहूस’
मयूरी ने अपनी पहचान फिल्म इंडस्ट्री में बना ली तो उन्हें कई फिल्मों का ऑफर मिलने लगा, उन्होंने कई फिल्में साइन कर लीं। मगर जो भी फिल्में मयूरी ने साइन की वो किसी न किसी वजह से बनी ही नहीं। लोग मयूरी को मनहूस कहने लगे और धीरे धीरे उन्हें फिल्में मिलनी कम हो गईं। एक दो फिल्मों में वो छोटे रोल में नजर आईं मगर लीड रोल उन्हें नहीं मिला। इसके बाद मयूरी ने साउथ इंडस्ट्री में हाथ आजमाया मगर यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद मयूरी ने टेलीविजन की राह अपनाई और की टीवी सीरियल में काम किया, इसमें नरगिस, कहीं किसी रोज़, डॉलर बहू, किट्टी पार्टी, कुसुम, करिश्मा और क्या हादसा क्या हकीकत जैसे शोज़ शामिल थे। मगर मयूरी का मन एक्टिंग से उचट चुका था।
मयूरी ने फिल्मों को कहा अलविदा
मयूरी ने साल 2003 में एक एनआरआई बिजनेसमैन आदित्य ढिल्लों से शादी की और फिल्मी दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। पति के साथ वो अमेरिका में शिफ्ट हो गईं। मगर यहां उनका पुराना प्यार जागा और वो था बिजनेस की पढ़ाई। मयूरी ने कड़ी मेहनत की और स्कॉलरशिप हासिलकर एमबीए की पढ़ाई की। वहां की सालों तक मयूरी ने बड़ी कंपनीज में काम किया, फिर वो बेटे की मां बनीं और करियर के साथ बेटे को संभालना मुश्किल हो रहा था, मगर मयूरी जॉब नहीं छोड़ना चाहती थीं। मयूरी को इंडिया में एक बड़ी कंपनी में सीईओ का रोल ऑफर हुआ, 11 महीने के बेटे के साथ वो इंडिया आ गईं और यहां उन्हें खूब मेहनत करनी पड़ी, क्योंकि वो अपने टाइटल को जस्टिफाई करना चाहती थीं। भारत में मयूरी को लोग सिर्फ हीरोइन के तौर पर जानती थीं और खुद को प्रूफ करने के लिए मयूरी खूब मेहनत करतीं, हर मीटिंग अटेंड करतीं। मयूरी अब एक बेटे की मां हैं। आदित्य ढिल्लों से शादी करने के बाद मयूरी अमेरिका चली गई थी। अमेरिका जाकर मयूरी ने अपने बचपन का ख्वाब पूरा किया। उनकी मेहनत का ही नतीजा रहा कि साल 2019 में गूगल ने उन्हें इंडिया की हेड ऑफ इंडस्ट्री के तौर पर कंपनी में शामिल कर लिया। 5 साल से मयूरी गूगल में हैं और अपने बेहतरीन काम के लिए जानी जाती हैं। उनके नेतृत्व में, भारत में गूगल का ग्रॉस एड रेवेन्यू 28,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।