किसान आंदोलन को लेकर केन्द्र सरकार और किसान संगठनों के नेताओं में आज(शनिवार को) बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकल पाया। किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान भी किया है। किसान आंदोलन को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियां और सामाजिक संगठन लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने एक बार फिर से मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
पुण्य प्रसून बाजपेयी ने ट्वीट करते हुए लिखा है,’अब सरकार संशोधन के लिए तैयार..तब संसद में संशोधन को तैयार नहीं थे..अब किसान को संशोधन भी मंज़ूर नहीं.. तब बिना वोटिंग कानून पास की जल्दबाज़ी..क्या समझे..?जनता से बड़ी संसद भी नहीं…’पुण्य प्रसून बाजपेयी के इस ट्वीट पर यूजर्स की तरह-तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं।
बेद नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’बहुमत में होने की वजह से सारे बिल बिना वोटिंग के पास कर-करके मनमानी करने की इनकी आदत हो गई है। मगर ये भूल जाते हैं इस देश में वो लोग भी हैं जो इन्हें लोकतंत्र याद दिला देंगे।’ रवि पनिहार नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’किसानों को अपनी समस्या का हल चाहिए वो कोई सरकार गिराने या झुकाने नही आए हैं। मगर आंदोलन में घुसे दलाल अपनी मतलबपरस्ती के लिए किसानों के कंधे पर बंदूक चला रहे हैं और उन दलालो के दलाल तुम्हारे जैसे भी है जिन्हें सच्चाई तो पता है मगर फिर भी भ्रम और झूठ फैलाना तुम्हारी मजबूरी है।’
अब सरकार संशोधन के लिए तैयार…
तब संसद में संशोधन को तैयार नहीं थे…अब किसान को संशोधन भी मंज़ूर नहीं..
तब बिना वोटिंग कानून पास की जल्दबाज़ी..क्या समझे…?
जनता से बड़ी संसद भी नहीं…— punya prasun bajpai (@ppbajpai) December 5, 2020
प्रशांत कुमार नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’सरकार अगर तैयार है तो उसे कमज़ोरी नहीं लोकतांत्रिक व्यवस्था में आधारभूत विश्वास मानना चाहिए। हम किसानों के साथ हैं लेकिन मुक्त बाजार और प्राइवेट सेक्टर की सहभागिता बढ़ाने के पक्षधर हैं। किसानों के हितों की समग्र और निर्विवाद रक्षा के लिए इन कानूनों का संशोधन चाहेंगे ना कि वापसी।’
कमल नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’प्रधानसेवक खुद को राजा समझ बैठे हैं, जो चाहे जिसे बेच दें। जो मर्जी निर्णय ले लें, लोगों का जबरदस्ती का भला करने के लिए। अभी रुको लोगों की भी बोली लगवाएंगे, जैसे गुलाम बिकते थे राजाओं के समय में।’जयंत सिंह डागर नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’वाह बाजपेयी जी।दोगले पत्रकार क्या-क्या झूठी खबरें प्रकाशित कर रहे हैं। किसानों को भड़काने मैं आपका भी कम योगदान नही है।’