‘शार्क टैंक इंडिया’ (Shark Tank India Season 3) के सीजन 3 की शुरुआत हो चुकी है। इसमें कंटेस्टेंट अपने बेहतरीन स्टार्टअप के आइडियाज लेकर पहुंच रहे हैं। इसी बीच अर्पिता अदिति (Arpita Aditi) अपने स्टार्टअप ‘दिल फूड्स’ का आइडिया लेकर पहुंचीं। इस दौरान उनके आइडिया से जजेस काफी इंप्रेस हुए और उन्हें 2 करोड़ की इक्विटी मिली। अर्पिता 50 लाख की इक्विटी के लिए वहां गई थीं। ऐसे में अब उन्होंने जनसत्ता.कॉम से खास बात की। चलिए बताते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा।
कैसे की दिल फूड्स की शुरुआत?
अर्पिता ने बताया, ‘मैं मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती हूं। मणिपाल यूनिवर्सिटी से पढ़ी हूं। पॉकेट मनी के लिए मैं रेस्त्रां में काम करती थी। यहां मैंने कैशियर और वेटर के तौर पर काम करती थी। ये मेरा पार्ट टाइम वर्क था। यहां से मैंने रेस्त्रां की समस्या को देखा और समझा। दूर से ये सब आसान लगता है लोग रिटायरमेंट के बाद प्लान करते हैं कि रेस्त्रां खोलेंगे। लेकिन काफी मुश्किल होता है लाभ के साथ इसे चलाना। मेरे सामने एक रेस्त्रां बंद हो गया था, जिसके बाद मैंने सोचा कि इस इंडस्ट्री में काम करना है। मैंने बाद में स्विगी ज्वॉइन किया। यहां मैं उनके सारे नेशनल पार्टनरशिप्स देखती थी। इस दौरान मेरी काफी रेस्त्रां वालों से बात हुई। उस समय हम वहां पर बड़े रेस्त्रां से बात करते थे लेकिन छोटे मालिक हम तक खुद पहुंचते थे और अपनी समस्या बताते थे कि उनका धंधा बंद होने वाला है। सब प्रॉफिट को लेकर कहते थे कि ऑनलाइन ही सब जाते हैं। हमारे पास कोई नहीं आता। फिर मैंने इस पर रिसर्च शुरू की तो पता चला हर साल 1 लाख रेस्त्रां बंद हो रहे हैं। केवल बड़े रन कर रहे हैं। तब मैंने तय किया कि मुझे छोटे रेस्त्रां पर काम करना है।’
शुरू की कंसल्टेंसी
‘मैंने स्विगी छोड़ दिया फिर एक कंसल्टैंसी जैसा शुरू किया। हमने सारे रेस्त्रां का ऑनलाइन बिजनेस हैंडल करना शुरू किया। ये हमारा पहला कदम था और यहां से हमने सबकी इंटरनल समस्या को समझा। हम उनकी समस्या को अंदर तक जानना चाहते थे। हमने ये कंसल्टेंसी चलाने के दो साल बाद तय किया कि एक बिजनेस होना चाहिए, जो उन छोटे रेस्त्रां मालिकों को प्रॉफिट दे सके। कोई भी सिचुएशन आए फिर भी उसे एक रिवेन्यू मिले। तब हमने दिल फूड्स की शुरुआत की।’
अर्पिता ने बताया, ‘शार्क टैंक में जाना काफी अच्छा अनुभव रहा है। शार्क टैंक के जजेस ने इतना बड़ा बिजनेस शुरू किया है तो ऐसे में उनके साथ बात करना अपने आप में ही एक अच्छा एक्सपीरियंस रहा है।’ अर्पिता ने जजेस को इंप्रेस करने को लेकर कहा, ‘जब मैं वहां गई थी तो सोचा था कि मैं वहां ईमानदार रहूंगी। उस तरीके से ही बताने कि कोशिश करूंगी, पूरी सच्चाई के साथ चीजों को प्रेजेंट कर सकूं करूंगी तो जजेस को मेरी ईमानदारी और मेहनत ही उनको ज्यादा पसंद आई। तब उन्होंने इन्वेस्ट करने का फैसला किया। मेरा मानना है कि कोई भी बिजनेस ईमानदारी के साथ ही बड़ा बनता है।’
घर से शुरू किया रेस्त्रां
अर्पिता ने अपने संघर्षों को लेकर कहा, ‘दिल फूड्स को शुरू करना आसान नहीं था। ना तो हमारे पास पैसे थे और ना ही रिसोर्सेस। ऐसे में मैंने घर से ही खाना बनाना शुरू किया। इंटरनेट की हेल्प से सीखा। जो हमारी पैकेजिंग है वो मैंने इंटरनेट से ही सीखा है। फिर उसे अपनी टीम को बताती थी। खुद ही सबकुछ करती थी। ये सबके लिए होता है। जब कोई शून्य से शुरू करता है। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि जो बिजनेस शुरू करता है। उसके पास खाने तक के पैसे नहीं होते हैं। ये स्ट्रगल काफी जुनूनी होता है, जब काम के आगे कुछ दिखाई नहीं देता है। ऐसे में मेरी फैमिली काफी सपोर्टिव रही।’